नई दिल्ली: तुगलकाबाद स्थित रविदास मंदिर को गैर-कानूनी तरीके से गिराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जहां सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के तुगलकाबाद वन क्षेत्र में गुरु रविदास के मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर संबंधित पक्षकारों से शुक्रवार को कहा कि वे मंदिर के लिए बेहतर जगह के लिए सर्वमान्य समाधान के साथ आएं.
डीडीए के खिलाफ दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल के साथ मंदिर पुनर्निर्माण की रूपरेखा तैयार कर न्यायालय को प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.
मुख्य द्वार खोलने की अपील
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान राजेश लिलोठिया ने बताया कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में प्रस्तुत तथ्यों का अवलोकन किया. साथ ही डीडीए को अटॉर्नी जनरल के साथ इस मुद्दे पर एक सर्वमान्य और सम्मानजनक हल करने और दलित समुदाय की आस्था के अनुरूप मंदिर का पुनर्निर्माण का कार्य किस प्रकार संभव हो सकता है. इसकी रूपरेखा तैयार कर न्यायालय को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
बातचीत के दौरान लिलोठिया ने बताया कि उन्होंने कोर्ट के सामने ये प्रार्थना की थी कि जब तक मंदिर का पूरा निर्माण ना हो जाए तब तक मंदिर का मुख्य द्वार खोल दिया जाए ताकि श्रद्धालु वहां पूजा कर सकें. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहीं पर भी मंदिर को गिराने का आदेश नहीं दिया था. इसके बावजूद डीडीए ने पिछले 10 अगस्त को मंदिर गैरकानूनी तरीके से गिरा दिया था.
उन्होंने कहा कि रविदास मंदिर का अपना ऐतिहासिक महत्व है. सन 1509 में रविदास मंदिर के निर्माण के लिए सिकंदर लोदी ने जमीन दी थी. खुद संत शिरोमणि गुरु रविदास ने भी यहां कुछ दिन निवास किया था.