नई दिल्ली: मेंगलुरु के रहने वाले 74 साल के एडविन ने अपनी जवानी में कई अपराध किए. इसके चलते वो थाने का हिस्ट्रीशीटर बन गया. वहां साल 1969 में थाने में उसका डोजियर तैयार हुआ. आमतौर पर यह डोजियर नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन किसी ने सोचा नहीं होगा कि यही डोजियर एडविन के लिए वरदान बन जाएगा.
इस डोजियर की मदद से दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा अब उसे सैनिक फॉर्म में मौजूद करोड़ों रुपए की कोठी का मालिक साबित करने जा रही है. वहीं इस कोठी पर कब्जा जमाए हुए रिटायर्ड इंस्पेक्टर समेत तीन लोगों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है.
जानकारी के मुताबिक साल 1985 में राजीव गांधी सरकार के समय सरकारी दस्तावेजों की जासूसी करने वाले कुमर नारायण को गिरफ्तार किया गया था. उस समय डिफेंस कालोनी में वह रहता था. जेल से निकलने के बाद उसने 1995 में सैनिक फॉर्म में 1100 गज की कोठी खरीदी. यहां वो अपनी पत्नी गीता नारायण के साथ रहता था. 20 मार्च 2000 को कुमर नारायण की मौत हो गई. वहीं एक दिसंबर 2002 को गीता नारायण की उनके घर में ही हत्या कर दी गई. इस शादी से उनकी कोई संतान नहीं थी. पुलिस ने गीता नारायण का अंतिम संस्कार किया और कोठी की चाबी सैनिक फॉर्म चौकी में रख दी.
2008 में सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर ने बताया खुद को किराएदार
साल 2008 में एक दिन पुलिस ने देखा कि किसी ने कोठी पर लगा ताला तोड़ दिया है. वहां जाकर देखा तो पता चला कि दिल्ली पुलिस के सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर रण सिंह कोठी में दाखिल हो गए हैं. उसने पुलिस को बताया कि इस कोठी के मालिक की बेटी राधिका है. राधिका भी वहां एक अन्य शख्स इंद्र सिंह के साथ मौजूद थी. रण सिंह ने बताया कि साल 2005 से राधिका की इस कोठी में वह किराएदार है, जबकि वास्तव में कोठी की चाबी पुलिस के पास थी.
पुलिस ने उसे कोठी से बाहर निकाल दिया और वहां ताला लगा दिया. राधिका के बयान में विरोधाभास था. पहले उसने खुद को कुमर नारायण की बेटी बताया और बाद में गोद ली हुई बेटी बन गई.
राधिका ने किया बेटी होने का दावा
पुलिस के सामने राधिका ने कुमर नारायण की बेटी होने का दावा किया. उसने मंगलापुरी के स्कूल का दस्तावेज दिखाया जिसमें कुमार नारायण ने लिखा था कि उसकी बेटी को स्कूल में दाखिला दिया जाए. यह दस्तावेज दिखाकर उसने गीता नारायण का डेथ सर्टिफिकेट बनवा लिया और बैंक खाते में रखे उनके आठ लाख रुपये भी निकाल लिए. उधर रण सिंह ने मामले की शिकायत दिल्ली पुलिस की विजिलेंस से कर दी. वहां एसीपी ने जब जांच की तो पाया कि यह लोग गलत तरीके से घर में घुस रहे थे. इसलिए उन्होंने अंबेडकर नगर थाने में रण सिंह एवं उसके साथियों पर एफआईआर दर्ज करवा दी. बाद में इसे जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया गया. वहीं साल 2015 में रण सिंह ने राधिका से यह संपत्ति अपने नाम पर करवा ली.
आर्थिक अपराध शाखा ने तलाशा असली वारिस
इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा के पास सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिर नुकसान किसे हुआ. यह अदालत को बताना आवश्यक था. वर्ष 2018 में अतिरिक्त आयुक्त सुवाशीष चौधरी के सामने यह मामला आया तो उन्होंने एसआई शिव देव को जांच में लगाया. शिव ने सबसे पहले कुमर नारायण के परिवार को तलाशना शुरू किया. वो केरल के पलक्कड़ का रहने वाला था. एसआई शिव जब वहां पहुंचा तो कोई भी उसके बारे में जानकारी देने को तैयार नहीं था, क्योंकि कुमर के खिलाफ गंभीर मामला दर्ज था. इसके बाद पुलिस गीता नारायण के परिवार को तलाशते हुए मेंगलुरु पहुंची.
वहां पता चला कि यह गीता की दूसरी शादी थी. उसका बेटा एडविन अब 74 साल का है. थाने में उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं. यह प्रॉपर्टी गीता के नाम पर थी और एडविन उसका इकलौता बेटा है. इस तरह पुलिस को वह शख्स मिल गया जो इस संपत्ति का हकदार है और जिसे नुकसान हो रहा है.
थाने के डोजियर से मिला अहम सबूत
पुलिस के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती एडविन और गीतांजलि के बीच के संबंध दस्तावेज के जरिए सामने लाना था. क्योंकि मेंगलुरु में गीतांजलि का नाम कुछ और था. पुलिस जब लोकल थाने में पहुंची तो पता चला कि वहां साल 1969 में एडविन का डोजियर बना था. उसमें लिखा था कि उसकी मां का नाम गीतांजलि नारायण है, जिसने कुमर नारायण नामक शख्स से शादी कर रखी है. वह उसके साथ डिफेंस कॉलोनी में रहती है. यह दस्तावेज मिलते ही पुलिस के हाथ सबसे बड़ा सबूत लग गया. पुलिस इसकी कॉपी लेकर आई और आरोप पत्र तैयार किया.
तीन लोगों के खिलाफ दायर हुआ आरोप पत्र
तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त सुवाशीष चौधरी की देखरेख में एसआई शिव देव ने इस मामले में आरोप पत्र तैयार किया. इस मामले में सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर रण सिंह, खुद को कुमर नारायण की बेटी बताने वाली राधिका और इंद्र सिंह को आरोपी बनाया गया है. इंद्र सिंह की मां कुमर नारायण के घर पर घरेलू नौकरानी थी. आरोप पत्र में बताया गया है कि इंद्र सिंह को इस परिवार के बारे में पूरी जानकारी थी, इसलिए गीतांजलि की मौत के बाद उसने रणसिंह और राधिका के साथ मिलकर साजिश के तहत करोड़ों रुपए की यह संपत्ति कब्जाई. उसे अच्छे से पता था कि इस समय उनका कोई वारिस नहीं है, लेकिन अब असली वारिस को पुलिस ने तलाश लिया है. पुलिस के अनुसार एडविन बेहद गरीब है और उसके बच्चे दुबई में मजदूरी करते हैं.