नई दिल्ली: एक सौतेले पिता ने अपनी 12 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया. इसका खुलासा तब हुआ जब बच्ची गर्भवती हो गई. मामले में बच्ची के पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस घटना के चलते स्कूल से उसका नाम काट दिया गया. दो वक्त की रोटी के लिए भी समस्या हो गई. लेकिन यह बच्ची जब डीएलएसए में मदद के लिए पहुंची तो वहां से उसे सहारा मिला. इसके बाद अब बच्ची ने नए जीवन की शुरुआत की है.
आरोपी पिता गिरफ्तार
12 साल की बच्ची एक सरकारी स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा थी. जानकारी के अनुसार घर पर वह जब अकेली रहती तो सौतेला पिता उसके साथ दुष्कर्म करता था. वह उसे धमकाता था कि इस बारे में वो किसी को ना बताए. डरी हुई मासूम चुपचाप सौतेले पिता के इस शर्मनाक अपराध को सहन करती रही. कुछ माह बाद उसे पेट में दर्द हुआ. उसे जब अस्पताल ले जाया गया तो पता चला कि वह गर्भवती है. इसके बाद बच्ची ने पूरे मामले का खुलासा किया. पुलिस ने इस बाबत मामला दर्ज कर आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया.
बच्ची ने दिया बेटे को जन्म
बच्ची के गर्भवती होने का जब पता चला तो काफी देर हो चुकी थी. उसका गर्भपात नहीं करवाया जा सकता था. इसलिए अस्पातल में बच्ची ने एक बेटे को जन्म दिया जिसे बाद में एक सरकारी संस्था को सौंप दिया गया. उधर इस पूरी घटना के चलते स्कूल से बच्ची का नाम काट दिया गया जबकि वह पढ़ना चाहती थी. आसपास के लोग उसे हीन निगाह से देखते थे. बच्ची के लिए यह माहौल बेहद निराशाजनक था क्योंकि इस पूरे प्रकरण में उसकी कोई गलती नहीं थी.
मदद के लिए डीएलएसए में लगाई गुहार
इस बच्ची एवं उसकी माँ को पता चला कि इस तरह के मामलों में डीएलएसए से मदद मिलती है. वह मदद के लिए डीएलएसए पहुंचे और सचिव विनोद मीणा से मिले. उन्होंने बच्ची को तुरंत राहत राशि जारी की और दुष्कर्म के मामले में सहयोग के लिए वकील को नियुक्त किया. इसकी वजह से पैरवी मजबूती से हुई और दोषी पिता को अदालत ने सजा सुनाई.
नये जीवन की शुरुआत के लिए 11 लाख रुपये
डीएलएसए सचिव विनोद मीणा ने बताया कि इस घटना के चलते बच्ची को नये जीवन की शुरुआत करनी थी. इसलिए डीएलएसए की तरफ से उसे 11 लाख रुपये दिए गए हैं. इसमें से कुछ राशि फिलहाल उसे दे दी गई है जबकि बड़ा हिस्सा एफडी में डाल दिया गया है. यह रकम उसके 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर मिलेगी ताकि उसकी पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा न आये.
स्कूल में मिला दाखिला
सचिव विनोद मीणा ने बताया कि उन्होंने जब बच्ची से पूछा कि वह पढ़ना चाहती है तो उसने हामी भरी. उन्होंने जब यह पूछा कि वह कौन से स्कूल में पढ़ना चाहती है तो बच्ची ने बताया कि वह उसी स्कूल में जाना चाहती है जहां से उसका नाम काटकर निकाल दिया गया. इसलिए उन्होंने जांच अधिकारी को निर्देश देकर इस बच्ची का उसी स्कूल में पांचवी कक्षा में दाखिला करवाया. यह बच्ची पढ़ने में बहुत होशियार है जिसके चलते उसे आगे बढ़ाकर सातवीं कक्षा में भेज दिया गया है. यह बच्ची अब अन्य बच्चों की तरह सामान्य जीवन व्यतीत कर रही है.