नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल जनलोकपाल के नारे के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए थे. सरकार बनने के बाद निजी स्कूलों पर नकेल कसना और अतिथि शिक्षकों को स्थायी करना सरकार के प्रमुख वादों में रहा था. लेकिन इन सभी से जुड़े बिल और इनके अलावा दर्जनों बिल अभी तक सरकार पास नहीं करवा पाई है. कई सारे बिल केंद्र के पास लंबित हैं.
बता दें कि जून 2015 से मार्च 2019 तक दिल्ली सरकार ने विधानसभा में 19 बिल पास किए थे. इन बिल पर मुहर के लिए इन्हें केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन इनमें से 16 बिल अभी भी केंद्र सरकार के पास लम्बित है. अब जबकि विधानसभा चुनाव सर पर है तब केजरीवाल सरकार केंद्र के प्रति नरम रुख अपनाते दिख रहे हैं. ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या दिल्ली सरकार ये सारे बिल मोदी सरकार से पास करा पाएंगी.
2015 में पेश हुआ था जनलोकपाल
केजरीवाल सरकार ने 11 नवम्बर 2015 को विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश किया था. इसे 4 दिसंबर 2015 को विधानसभा में पास कर दिया गया था. लेकिन तब से अब तक यह केंद्र सरकार के पास लंबित है.
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कई बिल केंद्र सरकार के पास है लंबित
30 दिसंबर 2015 को दिल्ली के विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा उपाध्यक्ष के वेतन बढ़ाने संबंधित बिल को भी दिल्ली विधानसभा ने पास किया था. इसके अलावा निजी स्कूलों के लेखा-जोखा को जांचने और बढ़ी हुई फीस को अभिभावकों को लौटाने संबंधित अमेंडमेंट बिल को दिल्ली विधानसभा ने 30 जून 2015 को पास किया था.
इसी तरह 1 दिसंबर 2015 को दिल्ली स्कूल बिल भी पास किया गया था और 26 नवंबर 2015 को सिटीजन बिल पास भी हुआ था. 4 अक्टूबर 2017 को गेस्ट टीचर्स को स्थायी करने से सम्बंधित बिल भी पास हुआ था. इन सभी बिल को केंद्र के पास भेजा गया था. लेकिन ये बिल अभी भी मोदी सरकार के पास लंबित है.
इसके अलावा, दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड अमेंडमेंट बिल 2015, दिल्ली मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव असेंबली अमेंडमेंट बिल 2015, दिल्ली राइट ऑफ सिटीजन टू टाइम बाउंड डिलीवरी ऑफ सर्विसेज अमेंडमेंट बिल 2015, मिनिमम वेजेज अमेंडमेंट बिल 2015, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर दिल्ली अमेंडमेंट बिल 2015, जैसे कुल 16 बिल अभी भी केंद्र द्वारा पास नहीं किए जा सके हैं.
मार्च 2019 तक 19 बिल पास किए थे
जून 2015 से मार्च 2019 तक दिल्ली विधानसभा ने जो 19 बिल पास किए उनमें से केवल नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी बिल 2015 पर ही केंद्र की मुहर लग चुकी है. वहीं जीएसटी लागू हो जाने के बाद वैल्यू एडेड टैक्स से जुड़े दो बिल की अब जरूरत नहीं रही. लेकिन बाकी के सभी बिल दिल्ली सरकार के साथ-साथ आम आदमी के लिए भी काफी जरूरी हैं. लेकिन केंद्र अभी तक इन बिलों पर फैसला नहीं कर पाया है.
ये सभी बिल किसी न किसी तरह से आम आदमी पार्टी के चुनावी वादों से जुड़े हैं. इसे को लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय से सवाल किया तो उनका जवाब था कि 'इनमें से कई बिल 3-4 साल पुराने हैं और हम इन्हें लेकर फॉलोअप करते रहते हैं.
हमारे अधिकार में इनका फॉलोअप ही है : गोपाल राय
गोपाल राय ने कहा कि इन लम्बित बिलों को लेकर हमारी केंद्र के साथ चर्चा भी हुई है और हम चाहते हैं कि हमारी सरकार के जो दायित्व हैं, हम उनसे आगे बढ़कर काम करें. गोपाल राय ने यह भी कहा कि हमारे अधिकार में तो बस इनका फॉलोअप ही है और हम वो कर रहे हैं.