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केंद्र ने लटकाए 16 बिल, समझौते की रणनीति से पास कराने की जुगत में CM केजरीवाल? - modi

गोपाल राय ने कहा कि इन लम्बित बिलों को लेकर हमारी केंद्र के साथ चर्चा भी हुई है और हम चाहते हैं कि हमारी सरकार के जो दायित्व हैं, हम उनसे आगे बढ़कर काम करें.

अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी etv bharat
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Published : Jul 13, 2019, 5:43 PM IST

नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल जनलोकपाल के नारे के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए थे. सरकार बनने के बाद निजी स्कूलों पर नकेल कसना और अतिथि शिक्षकों को स्थायी करना सरकार के प्रमुख वादों में रहा था. लेकिन इन सभी से जुड़े बिल और इनके अलावा दर्जनों बिल अभी तक सरकार पास नहीं करवा पाई है. कई सारे बिल केंद्र के पास लंबित हैं.

दिल्ली के कई बिल केंद्र सरकार के पास लंबित

बता दें कि जून 2015 से मार्च 2019 तक दिल्ली सरकार ने विधानसभा में 19 बिल पास किए थे. इन बिल पर मुहर के लिए इन्हें केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन इनमें से 16 बिल अभी भी केंद्र सरकार के पास लम्बित है. अब जबकि विधानसभा चुनाव सर पर है तब केजरीवाल सरकार केंद्र के प्रति नरम रुख अपनाते दिख रहे हैं. ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या दिल्ली सरकार ये सारे बिल मोदी सरकार से पास करा पाएंगी.


2015 में पेश हुआ था जनलोकपाल

केजरीवाल सरकार ने 11 नवम्बर 2015 को विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश किया था. इसे 4 दिसंबर 2015 को विधानसभा में पास कर दिया गया था. लेकिन तब से अब तक यह केंद्र सरकार के पास लंबित है.

Special story on kejriwal modi new freindship polticis
दिल्ली के कई बिल केंद्र सरकार के पास लंबित

कई बिल केंद्र सरकार के पास है लंबित

30 दिसंबर 2015 को दिल्ली के विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा उपाध्यक्ष के वेतन बढ़ाने संबंधित बिल को भी दिल्ली विधानसभा ने पास किया था. इसके अलावा निजी स्कूलों के लेखा-जोखा को जांचने और बढ़ी हुई फीस को अभिभावकों को लौटाने संबंधित अमेंडमेंट बिल को दिल्ली विधानसभा ने 30 जून 2015 को पास किया था.

इसी तरह 1 दिसंबर 2015 को दिल्ली स्कूल बिल भी पास किया गया था और 26 नवंबर 2015 को सिटीजन बिल पास भी हुआ था. 4 अक्टूबर 2017 को गेस्ट टीचर्स को स्थायी करने से सम्बंधित बिल भी पास हुआ था. इन सभी बिल को केंद्र के पास भेजा गया था. लेकिन ये बिल अभी भी मोदी सरकार के पास लंबित है.


इसके अलावा, दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड अमेंडमेंट बिल 2015, दिल्ली मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव असेंबली अमेंडमेंट बिल 2015, दिल्ली राइट ऑफ सिटीजन टू टाइम बाउंड डिलीवरी ऑफ सर्विसेज अमेंडमेंट बिल 2015, मिनिमम वेजेज अमेंडमेंट बिल 2015, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर दिल्ली अमेंडमेंट बिल 2015, जैसे कुल 16 बिल अभी भी केंद्र द्वारा पास नहीं किए जा सके हैं.

मार्च 2019 तक 19 बिल पास किए थे

जून 2015 से मार्च 2019 तक दिल्ली विधानसभा ने जो 19 बिल पास किए उनमें से केवल नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी बिल 2015 पर ही केंद्र की मुहर लग चुकी है. वहीं जीएसटी लागू हो जाने के बाद वैल्यू एडेड टैक्स से जुड़े दो बिल की अब जरूरत नहीं रही. लेकिन बाकी के सभी बिल दिल्ली सरकार के साथ-साथ आम आदमी के लिए भी काफी जरूरी हैं. लेकिन केंद्र अभी तक इन बिलों पर फैसला नहीं कर पाया है.

ये सभी बिल किसी न किसी तरह से आम आदमी पार्टी के चुनावी वादों से जुड़े हैं. इसे को लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय से सवाल किया तो उनका जवाब था कि 'इनमें से कई बिल 3-4 साल पुराने हैं और हम इन्हें लेकर फॉलोअप करते रहते हैं.

हमारे अधिकार में इनका फॉलोअप ही है : गोपाल राय

गोपाल राय ने कहा कि इन लम्बित बिलों को लेकर हमारी केंद्र के साथ चर्चा भी हुई है और हम चाहते हैं कि हमारी सरकार के जो दायित्व हैं, हम उनसे आगे बढ़कर काम करें. गोपाल राय ने यह भी कहा कि हमारे अधिकार में तो बस इनका फॉलोअप ही है और हम वो कर रहे हैं.

नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल जनलोकपाल के नारे के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए थे. सरकार बनने के बाद निजी स्कूलों पर नकेल कसना और अतिथि शिक्षकों को स्थायी करना सरकार के प्रमुख वादों में रहा था. लेकिन इन सभी से जुड़े बिल और इनके अलावा दर्जनों बिल अभी तक सरकार पास नहीं करवा पाई है. कई सारे बिल केंद्र के पास लंबित हैं.

दिल्ली के कई बिल केंद्र सरकार के पास लंबित

बता दें कि जून 2015 से मार्च 2019 तक दिल्ली सरकार ने विधानसभा में 19 बिल पास किए थे. इन बिल पर मुहर के लिए इन्हें केंद्र सरकार को भेजा गया था, लेकिन इनमें से 16 बिल अभी भी केंद्र सरकार के पास लम्बित है. अब जबकि विधानसभा चुनाव सर पर है तब केजरीवाल सरकार केंद्र के प्रति नरम रुख अपनाते दिख रहे हैं. ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या दिल्ली सरकार ये सारे बिल मोदी सरकार से पास करा पाएंगी.


2015 में पेश हुआ था जनलोकपाल

केजरीवाल सरकार ने 11 नवम्बर 2015 को विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश किया था. इसे 4 दिसंबर 2015 को विधानसभा में पास कर दिया गया था. लेकिन तब से अब तक यह केंद्र सरकार के पास लंबित है.

Special story on kejriwal modi new freindship polticis
दिल्ली के कई बिल केंद्र सरकार के पास लंबित

कई बिल केंद्र सरकार के पास है लंबित

30 दिसंबर 2015 को दिल्ली के विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा उपाध्यक्ष के वेतन बढ़ाने संबंधित बिल को भी दिल्ली विधानसभा ने पास किया था. इसके अलावा निजी स्कूलों के लेखा-जोखा को जांचने और बढ़ी हुई फीस को अभिभावकों को लौटाने संबंधित अमेंडमेंट बिल को दिल्ली विधानसभा ने 30 जून 2015 को पास किया था.

इसी तरह 1 दिसंबर 2015 को दिल्ली स्कूल बिल भी पास किया गया था और 26 नवंबर 2015 को सिटीजन बिल पास भी हुआ था. 4 अक्टूबर 2017 को गेस्ट टीचर्स को स्थायी करने से सम्बंधित बिल भी पास हुआ था. इन सभी बिल को केंद्र के पास भेजा गया था. लेकिन ये बिल अभी भी मोदी सरकार के पास लंबित है.


इसके अलावा, दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड अमेंडमेंट बिल 2015, दिल्ली मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव असेंबली अमेंडमेंट बिल 2015, दिल्ली राइट ऑफ सिटीजन टू टाइम बाउंड डिलीवरी ऑफ सर्विसेज अमेंडमेंट बिल 2015, मिनिमम वेजेज अमेंडमेंट बिल 2015, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर दिल्ली अमेंडमेंट बिल 2015, जैसे कुल 16 बिल अभी भी केंद्र द्वारा पास नहीं किए जा सके हैं.

मार्च 2019 तक 19 बिल पास किए थे

जून 2015 से मार्च 2019 तक दिल्ली विधानसभा ने जो 19 बिल पास किए उनमें से केवल नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी बिल 2015 पर ही केंद्र की मुहर लग चुकी है. वहीं जीएसटी लागू हो जाने के बाद वैल्यू एडेड टैक्स से जुड़े दो बिल की अब जरूरत नहीं रही. लेकिन बाकी के सभी बिल दिल्ली सरकार के साथ-साथ आम आदमी के लिए भी काफी जरूरी हैं. लेकिन केंद्र अभी तक इन बिलों पर फैसला नहीं कर पाया है.

ये सभी बिल किसी न किसी तरह से आम आदमी पार्टी के चुनावी वादों से जुड़े हैं. इसे को लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय से सवाल किया तो उनका जवाब था कि 'इनमें से कई बिल 3-4 साल पुराने हैं और हम इन्हें लेकर फॉलोअप करते रहते हैं.

हमारे अधिकार में इनका फॉलोअप ही है : गोपाल राय

गोपाल राय ने कहा कि इन लम्बित बिलों को लेकर हमारी केंद्र के साथ चर्चा भी हुई है और हम चाहते हैं कि हमारी सरकार के जो दायित्व हैं, हम उनसे आगे बढ़कर काम करें. गोपाल राय ने यह भी कहा कि हमारे अधिकार में तो बस इनका फॉलोअप ही है और हम वो कर रहे हैं.

Intro:जून 2015 से मार्च 2019 तक दिल्ली सरकार ने विधानसभा में 19 बिल पास किए और इनपर मुहर के लिए इन्हें केंद्र सरकार को भेजा गया. लेकिन इनमें से 16 बिल अभी अभी केंद्र के पास लम्बित हैं. अब जबकि विधानसभा चुनाव आने को है और केजरीवाल केंद्र के प्रति सामंजस्य की स्थिति में दिख रहे हैं, सवाल यह है कि क्या वे ये बिल केंद्र से पास करा पाएंगे.


Body:नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार जनलोकपाल के नारे के साथ सत्ता में आई थी. सरकार बनने के बाद निजी स्कूलों पर नकेल और अतिथि शिक्षकों को स्थायी करना सरकार के प्रमुख वादों में रहा. लेकिन इन सभी से जुड़े बिल और इनके अलावा दर्जनों बिल अभी केंद्र के पास लंबित हैं.

दिल्ली सरकार ने 11 नवम्बर 2015 को विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश किया, जिसे 4 दिसंबर 2015 को पास कर दिया गया. लेकिन तब से अब तक यह केंद्र सरकार के पास लंबित है. 30 दिसंबर 2015 को दिल्ली के विधायक, मंत्री मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा उपाध्यक्ष के वेतन बढ़ाने संबंधित बिल को दिल्ली विधानसभा ने पास किया. इन सभी को केंद्र के पास भेजा गया, लेकिन ये भी अब तक लंबित हैं.

निजी स्कूलों के लेखा जोखा को जांचने और बढ़े हुई फीस को अभिभावकों को लौटाने संबंधित अमेंडमेंट बिल को दिल्ली विधानसभा ने 30 जून 2015 को पास किया था. इसी तरह 1 दिसंबर 2015 को दिल्ली स्कूल बिल पास किया गया, 26 नवंबर 2015 को सिटीजन बिल पास हुआ, 4 अक्टूबर 2017 को गेस्ट टीचर्स को स्थायी करने से सम्बंधित बिल पास हुआ, लेकिन ये अभी तक केंद्र की मुहर के लिए प्रतीक्षारत हैं.

इनके अलावा, दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड अमेंडमेंट बिल 2015, दिल्ली मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव असेंबली अमेंडमेंट बिल 2015, दिल्ली राइट ऑफ सिटीजन टू टाइम बाउंड डिलीवरी आफ सर्विसेज अमेंडमेंट बिल 2015, मिनिमम वेजेज अमेंडमेंट बिल 2015, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर दिल्ली अमेंडमेंट बिल 2015, जैसे कुल 16 बिल अभी भी केंद्र द्वारा पास नहीं किए जा सके हैं.

जून 2015 से मार्च 2019 तक दिल्ली विधानसभा ने जो 19 बिल पास किए उनमें से केवल नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी बिल 2015 पर ही केंद्र की मुहर लग चुकी है, वहीं, जीएसटी लागू हो जाने के बाद वैल्यू एडेड टैक्स से जुड़े दो बिल की अब जरूरत नहीं रही. लेकिन बाकी के सभी बिल दिल्ली सरकार के साथ साथ आम आदमी के लिए भी काफी जरूरी हैं.

ये सभी बिल किसी न किसी तरह से आम आदमी पार्टी के चुनावी वादों से जुड़े हैं. इसे लेकर जब हमने दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय से सवाल किया तो उनका जवाब था कि 'इनमें से कई बिल 3-4 साल पुराने हैं और हम इन्हें लेकर फॉलोअप करते रहते हैं. गोपाल राय ने कहा कि इन लम्बित बिलों को लेकर हमारी केंद्र के साथ चर्चा भी हुई है और हम चाहते हैं कि हमारी सरकार के जो दायित्व हैं, हम उनसे आगे बढ़कर काम करें. गोपाल राय ने यह भी कहा कि हमारे अधिकार में तो बस इनका फॉलोअप ही है और हम वो कर रहे हैं.


Conclusion:हाल के दिनों में अरविंद केजरीवाल कई बार केंद्र के साथ सामंजस्य और कदम से कदम मिलाकर दिल्ली के हित में आगे बढ़ने की बात कह चुके हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि अब जबकि विधानसभा चुनाव नजदीक है और अरविंद केजरीवाल के केंद्र के साथ सुखद सम्बन्ध दिख रहे हैं, ऐसे में क्या केंद्र अपनी तरफ से कदम बढ़ाते हुए दिल्ली विधानसभा के इन लंबित बिलों पर मुहर लगा पाता है या फिर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को इन बिलों से जुड़े कामों के बिना ही विधानसभा चुनाव में उतरना पड़ता है.
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