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केजरीवाल ने दिल्ली को जीत लिया...देखिए स्पेशल रिपोर्ट

राजधानी दिल्ली में दोबारा से आम आदमी पार्टी की जीत हुई और दिल्लीवालों के दिल पर केजरीवाल छा गए. जीत के जश्न में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लगे रहे केजरीवाल के नारे भी लगाए. देखिए स्पेशल रिपोर्ट.

special report over the big victory of cm kejriwal
केजरीवाल ने दिल्ली को जीत लिया...देखिए स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Feb 11, 2020, 7:47 PM IST

नई दिल्ली: पूरे देश को जिन नतीज़ों का इंतज़ार था वो आ गए. राजधानी दिल्ली में दोबारा से केजरीवाल छा गए. रूझानों से ये तय है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार दोबारा बनने जा रही है. ये चुनाव भले ही दिल्ली के थे लेकिन इनपर नज़रें देश की थीं. अब जबकि रूझानों से तस्वीर साफ है तब हम कह सकते हैं कि दिल्ली की जनता कह रही है. लगे रहो केजरीवाल...

केजरीवाल ने दिल्ली में मारी बाजी

हरियाणा के हिसार जिले के सिवानी गांव में पैदा हुए अरविंद केजरीवाल को कहां पता था कि एक दिन वो दिल्ली के मुखिया बन जाएंगे. अरविंद केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की और टाटा स्टील में नौकरी करने लगे.

लेकिन शायद केजरीवाल जानते थे कि सबसे खतरनाक होता है ऑफिस से घर और घर से ऑफिस जाना. केजरीवाल ने नौकरी छोड़ दी. 1993 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की और भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हो गए. 1995 में उन्होंने अपनी 1993 की भारतीय राजस्व सेवा बैच की सुनीता से शादी की.

इसके बाद जो हुआ उसने ही केजरीवाल की किस्मत तय कर दी थी. केजरीवाल ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया. एक संगठन बनाया और समाजसेवा के काम में जुट गए. वक्त अपनी रफ्तार से चलता रहा. सरकार यूपीए की थी दौर अन्ना आंदोलन का आ गया था. राजधानी में एक बूढ़ा फकीर बैठा था और देश उसके इशारे पर घरों से निकल पड़ा था.

इस आंदोलन में केजरीवाल उभर कर सामने आए. केजरीवाल को लोगों ने जाना. केजरीवाल को दिल्ली ने देखा. केजरीवाल में सत्ता के विरोध के लिए लड़ने की हिम्मत को देखा. वक्त बड़ी तेजी से गुजर गया. अब आंदोलन खत्म हो गया. अन्ना अपने गांव रालेगढ़ सिद्धि लौट गए. और केजरीवाल ने जो किया वो इतिहास के पन्नों में हमेशा हमेशा के लिए दर्ज हो गया.

केजरीवाल ने अपनी पार्टी बना ली. नाम रखा- आम आदमी पार्टी. इसके बाद 2013 में क्या हुआ, 2015 में क्या हुआ आप अच्छे से जानते हैं और अब 2020 में क्या हुआ वो आप देख रहे हैं.

दिल्ली विधानसभा का चुनाव कोई आम चुनाव नहीं था. दिल्ली में बीजेपी 21 साल से सत्ता से बाहर है. ऐसे में बीजेपी ने जीतने के लिए हर पैंतरा अपनाया लेकिन लोगों ने केजरीवाल को ही अपने नेता माना.

नई दिल्ली: पूरे देश को जिन नतीज़ों का इंतज़ार था वो आ गए. राजधानी दिल्ली में दोबारा से केजरीवाल छा गए. रूझानों से ये तय है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार दोबारा बनने जा रही है. ये चुनाव भले ही दिल्ली के थे लेकिन इनपर नज़रें देश की थीं. अब जबकि रूझानों से तस्वीर साफ है तब हम कह सकते हैं कि दिल्ली की जनता कह रही है. लगे रहो केजरीवाल...

केजरीवाल ने दिल्ली में मारी बाजी

हरियाणा के हिसार जिले के सिवानी गांव में पैदा हुए अरविंद केजरीवाल को कहां पता था कि एक दिन वो दिल्ली के मुखिया बन जाएंगे. अरविंद केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की और टाटा स्टील में नौकरी करने लगे.

लेकिन शायद केजरीवाल जानते थे कि सबसे खतरनाक होता है ऑफिस से घर और घर से ऑफिस जाना. केजरीवाल ने नौकरी छोड़ दी. 1993 में उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की और भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हो गए. 1995 में उन्होंने अपनी 1993 की भारतीय राजस्व सेवा बैच की सुनीता से शादी की.

इसके बाद जो हुआ उसने ही केजरीवाल की किस्मत तय कर दी थी. केजरीवाल ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया. एक संगठन बनाया और समाजसेवा के काम में जुट गए. वक्त अपनी रफ्तार से चलता रहा. सरकार यूपीए की थी दौर अन्ना आंदोलन का आ गया था. राजधानी में एक बूढ़ा फकीर बैठा था और देश उसके इशारे पर घरों से निकल पड़ा था.

इस आंदोलन में केजरीवाल उभर कर सामने आए. केजरीवाल को लोगों ने जाना. केजरीवाल को दिल्ली ने देखा. केजरीवाल में सत्ता के विरोध के लिए लड़ने की हिम्मत को देखा. वक्त बड़ी तेजी से गुजर गया. अब आंदोलन खत्म हो गया. अन्ना अपने गांव रालेगढ़ सिद्धि लौट गए. और केजरीवाल ने जो किया वो इतिहास के पन्नों में हमेशा हमेशा के लिए दर्ज हो गया.

केजरीवाल ने अपनी पार्टी बना ली. नाम रखा- आम आदमी पार्टी. इसके बाद 2013 में क्या हुआ, 2015 में क्या हुआ आप अच्छे से जानते हैं और अब 2020 में क्या हुआ वो आप देख रहे हैं.

दिल्ली विधानसभा का चुनाव कोई आम चुनाव नहीं था. दिल्ली में बीजेपी 21 साल से सत्ता से बाहर है. ऐसे में बीजेपी ने जीतने के लिए हर पैंतरा अपनाया लेकिन लोगों ने केजरीवाल को ही अपने नेता माना.

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