नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के एक बयान ने गाड़ी मालिकों के बीच खलबली मचा दी है. दरअसल, गत दिनों नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने कहा था कि पांच साल बाद देश में पेट्रोल की जरूरत नहीं रह जाएगी. हमलोग इलेक्ट्रिक व्हीकल और हरित ऊर्जा के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. कारें और स्कूटर पूरी तरह हरित ऊर्जा यानी हाइड्रोजन, एथेनॉल, सीएनजी या एलएनजी पर आधारित होंगी. लेकिन इस पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में दो साल में सात फीसदी गाड़ियां ही इलेक्ट्रिक हो पाईं हैं और 2030 तक सरकार की ही लक्ष्य इसे 20 फीसदी करना है. वहीं सीएनजी गाड़ियों का डेटा सरकार के पास नहीं है. हालांकि 2001 में सीएनजी लगवाने का काम शुरू होने के बाद पहले साल सिर्फ 26 हजार गाड़ियों में सीएनजी लग पाईं थीं.
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गाड़ियों में ईंधन के विकल्प की इस बात से दिल्ली के वाहन मालिक इसलिए खासे परेशान हैं क्योंकि 21 साल पहले दिल्ली में पेट्रोल का विकल्प सीएनजी तो आया, लेकिन आज भी गाड़ियों में सीएनजी डलवाने के लिए कतारें लगती हैं. ऐसे में दिल्ली में पेट्रोल गाड़ियों की जितनी संख्या है, अगर पेट्रोल की जगह अन्य कोई और ईंधन का विकल्प होता है तो उसे अपनाने में वर्षों लग जाएंगे.
43 लाख से अधिक पेट्रोल गाड़ियांः परिवहन विभाग के मुताबिक दिल्ली में 43 लाख से अधिक पेट्रोल की गाड़ियां सड़कों पर दौड़ रहीं हैं. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट के प्रेसिडेंट राजेन्द्र कपूर कहते हैं सरकार को पहले इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना चाहिए, अभी दिल्ली एनसीआर में 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियां चलाना प्रतिबंधित है. ऐसी गाड़ियां नोटिस में आते ही जब्त कर ली जाती हैं, लेकिन दिल्ली में ऐसी गाड़ियों की तादात इतनी है कि सरकार के लिए भी कार्रवाई करना आसान नहीं. दिल्ली में जितनी पेट्रोल की गाड़ियां हैं अब पांच साल बाद पेट्रोल की जगह अन्य वैकल्पिक ईंधन के लिए गाड़ियों में रेट्रोफिटिंग की जरूरत होगी, जिसमें कई साल लग जाएंगे.
पहले साल सिर्फ 26 हजार गाड़ियों में लगी थी सीएनजीः कोर्ट के आदेश पर दिल्ली में अप्रैल 2001 से गाड़ियों में सीएनजी लगाने का काम शुरू हुआ तो परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार शुरुआती साल में कुल 9500 कारों में ही वाहन मालिकों ने किट लगवाया और इसे मिलाकर कुल 26,350 गाड़ियां जिसमें बस, मिनी बस, टैक्सी, ऑटो भी शामिल थीं. दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के मुताबिक सरकार दिल्ली को ई कैपिटल बनाने की दिशा में अग्रसर है. दिल्ली सरकार ने लक्ष्य रखा है कि दिल्ली की सड़कों पर वर्ष 2030 तक जितनी गाड़ियां दौड़ें, उसमें 20 फीसद गाड़ियां इलेक्ट्रिक हों. इस दिशा में लगातार काम चल रहा है.
परिवहन विभाग को भी आदेश दिए गए हैं कि दिल्ली में पुरानी डीजल गाड़ियों के बाद अब पेट्रोल गाड़ियों पर सख्ती शुरू करें. सरकार जल्द ही लगभग 43 लाख पेट्रोल गाड़ियों का भी रजिस्ट्रेशन रद्द करेगी. ये गाड़ियां भी 15 साल पुरानी होने वाली हैं. इनमें लगभग 11 लाख कार और 32 लाख दुपहिया वाहन शामिल हैं. बता दें कि 14 दिसंबर, 2021 को सरकार ने 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी कारों को दिल्ली से हटाने का आदेश जारी किया था. यह निर्णय एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार लिया गया था.
आंकड़ों से जानें दिल्ली की परिवहन व्यवस्था का हाल | |
दिल्ली में गाड़ियों की कुल संख्या | 1.22 करोड़ |
दोपहिया वाहनों की कुल संख्या | 82.39 लाख |
कार और जीपों की कुल संख्या | 33.84 लाख |
ऑटो रिक्शा की कुल संख्या | 1.14 लाख |
टैक्सियों की कुल संख्या | 1.12 लाख |
अन्य यात्री वाहन | 76231 |
(सभी आंकड़ें आर्थिक सर्वेक्षण दिल्ली की रिपोर्ट के अनुसार 2020-21) |