नई दिल्ली: कोरोना से पूरी तरह ठीक होना भी इंसान के स्वस्थ होने की गारंटी नहीं है. इन दिनों कोरोना से ठीक होने के बाद लोगों को नींद नहीं आने की समस्या हो रही है. पोस्ट कोविड होने वाली बीमारियों पर रिसर्च कर रहे सीनियर कंसलटेंट फिजिशियन अमरेंद्र झा ने बताया कि यह जरूरी नहीं है कि अनिद्रा की समस्या इतनी बढ़ जाए कि आपको डॉक्टर को दिखाना पड़े.
ये आ रही समस्या
सीनियर कंसलटेंट फिजिशियन डॉ. अमरेंद्र झा ने बताया कि अनिद्रा के उपचार से पहले हमें इसकी समस्या जाननी चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों होता है. आमतौर पर कम सोने वाला इंसान जो 5 से 6 घंटे सोता है और कोरोना से ठीक होने के बाद यदि 3 से 4 घंटे भी नहीं सो पा रहा है तो यह दिक्कत है जिसका निवारण करना जरूरी है.
यदि किसी को 8 से 10 घंटे सोने की आदत है और वह और वह कोरोना से ठीक होने के बाद 5 से 6 घंटे भी नहीं सो पा रहा हो तो यह दिक्कत है. अगर किसी इंसान की रात में 4 से 5 बार नींद खुल रही है तो यह भी दिक्कत है.
सोने के समय यदि उन्हें नींद नहीं आ रही है तो यह भी एक दिक्कत है. अगर सुबह जो उठने का समय होता है उससे पहले भी अगर नींद खुल जाती है और ऐसा एक से डेढ़ महीने तक होता है तो यह एक बड़ी समस्या है.
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स्लीप हाइजीन को करना होगा फॉलो
सीनियर फिजिशियन कंसलटेंट डॉ अमरेंद्र झा ने बताया कि अगर लोग स्लीप हाइजीन को फॉलो करेंगे तो उन्हें निश्चित रूप से राहत मिलेगी. स्लीप हाइजीन के अंतर्गत यह करना होता है कि रात को सोने से 2 घंटे पहले इंसान को कोई ऐसा काम नहीं करना होता जिसे किसी इंसान को दुख या खुशी मिले. कोई भी एक्साइटमेंट वाला काम नहीं करना होता है. बहुत ज्यादा एक्सरसाइज या ज्यादा टीवी नहीं देखना चाहिए.
सोने से पहले बहुत ज्यादा किताबें नहीं पढ़नी चाहिए जो दिमाग पर जोर डालें. बहुत ज्यादा सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जिससे दिमाग पर तनाव बढ़े.
सोने का होना चाहिए फिक्स पैटर्न
डॉ. अमरेंद्र झा ने बताया कि अगर कोरोना से ठीक होने के बाद अनिद्रा की शिकायत आ रही है तो उस इंसान को सोने का पैटर्न बनाना चाहिए. ठीक उसी तरह उसे जागने का भी एक पैटर्न बनाना चाहिए. अगर कोई इंसान रात को 10 बजे सोता है तो उसे कोशिश करनी चाहिए कि रोज रात को 10 बजे के करीब ही सोए. दिन में छोटे-छोटे नैप नहीं लेनी चाहिए.
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दिन में सोने से रात को सोने में दिक्कतें आती हैं. जब भी कोई इंसान सोने जाए तो बेडरूम का वातावरण शांत होना चाहिए. आसपास शोर-शराबा नहीं होना चाहिए. अनिद्रा के इलाज में एक्सरसाइज बहुत अहम किरदार निभाता है. यदि कोई इंसान एक्सरसाइज करता है तो उसके शरीर से इंडोर्फिन्स निकलता है जो प्लेजर हार्मोन है जिससे शरीर शांत होता है.
अनिद्रा को दूर करने में मेडिटेशन की अहम भूमिका होती है. मेडिटेशन से दिमाग शांत होता है और अच्छी नींद आती है. यदि किसी कारणों से इस से भी अनिद्रा की बीमारी ठीक नहीं होती तो एंटी एंग्जायटी ड्रग्स का इस्तेमाल करना चाहिए. एंटी एंजायटी ड्रग्स को डॉक्टर की सलाह पर ही लेनी चाहिए क्योंकि हर मेडिकल स्टोर पर यह दवाइयां नहीं मिलती हैं और बिना डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन के यह दवाई उपलब्ध नहीं होती है. इन दवाइयों में एडिक्शन की गुंजाइश नहीं होती है और तीन से चार हफ्ते तक इन दवाइयों के सेवन से निश्चित रूप से लाभ मिलता है.