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किसान आंदोलन: समर्थन में 6 महिला संगठन आए आगे, 18 को देशव्यापी प्रदर्शन

किसान आंदोलन में हर कोई अपना समर्थन देने आगे आ रहा है. ऐसे में किसानों के समर्थन में महिला संगठन भी आगे आए हैं. संगठनों ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने का फैसला किया है.

six women organizations came forward to support farmers in protest
किसानों के समर्थन में आगे आए महिला संगठन
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Published : Jan 8, 2021, 8:58 PM IST

नई दिल्ली: आंदोलनरत किसानों के समर्थन में महिला संगठन भी आगे आए हैं. छह महिला ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए आगामी 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने का फैसला किया है. इस मौके पर देशभर में विरोध-प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे.

किसानों के समर्थन में आगे आए महिला संगठन

कौन-कौन हैं महिला संगठन

जिन महिला संगठनों ने किसानों के समर्थन में प्रदर्शन करने की घोषणा की है. उनमें नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमन एसोसिएशन, आल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमन एसोसिएन, प्रगतिशील महिला संगठन, आल इंडिया अग्रगामी महिला समिति और ऑल इंडिया महिला सांस्कृति संगठन शामिल हैं. इन छह महिला संगठनों ने आज एक बयान जारी कर कहा है कि इन तीन कृषि कानूनों का महिलाओं पर काफी बुरा असर पड़ेगा.

ये भी पढ़ें:-सिंघु बॉर्डर: किसान आंदोलन में देखने को मिल रहा है तकनीक का बेजोड़ मेल..

महिलाओं के उत्तराधिकार पर चोट पड़ेगी

प्रगतिशील महिला संगठन की नेता और वकील पूनम कौशिक ने कहा कि ये कृषि कानून कारपोरेटपरस्त हैं. उनका कहना है कि ठेका खेती कानून से महिलाओं के उत्तराधिकार पर चोट पड़ेगी क्योंकि किसान का अपने खेत से ही अधिकार खत्म हो जाएंगे. इससे घर में पैसा काफी कम आएगा. पूनम कौशिक ने कहा कि आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम देश की राशन व्यवस्था को खत्म कर देगा. कई भोजन कल्याणकारी योजनाएं जैसे आंगनबाड़ी स्कीम खत्म हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि देश की 56 फीसदी महिलाओं में खून की कमी की बीमारी है. अगर कल्याणकारी योजनाओं पर असर पड़ेगा तो स्थिति और खराब होगी. ये छह महिला संगठन 18 जनवरी को पूरे देश में अपना विरोध प्रदर्शन करेंगी और सड़कों पर उतरेंगी.

नई दिल्ली: आंदोलनरत किसानों के समर्थन में महिला संगठन भी आगे आए हैं. छह महिला ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए आगामी 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने का फैसला किया है. इस मौके पर देशभर में विरोध-प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे.

किसानों के समर्थन में आगे आए महिला संगठन

कौन-कौन हैं महिला संगठन

जिन महिला संगठनों ने किसानों के समर्थन में प्रदर्शन करने की घोषणा की है. उनमें नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमन एसोसिएशन, आल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमन एसोसिएन, प्रगतिशील महिला संगठन, आल इंडिया अग्रगामी महिला समिति और ऑल इंडिया महिला सांस्कृति संगठन शामिल हैं. इन छह महिला संगठनों ने आज एक बयान जारी कर कहा है कि इन तीन कृषि कानूनों का महिलाओं पर काफी बुरा असर पड़ेगा.

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महिलाओं के उत्तराधिकार पर चोट पड़ेगी

प्रगतिशील महिला संगठन की नेता और वकील पूनम कौशिक ने कहा कि ये कृषि कानून कारपोरेटपरस्त हैं. उनका कहना है कि ठेका खेती कानून से महिलाओं के उत्तराधिकार पर चोट पड़ेगी क्योंकि किसान का अपने खेत से ही अधिकार खत्म हो जाएंगे. इससे घर में पैसा काफी कम आएगा. पूनम कौशिक ने कहा कि आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम देश की राशन व्यवस्था को खत्म कर देगा. कई भोजन कल्याणकारी योजनाएं जैसे आंगनबाड़ी स्कीम खत्म हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि देश की 56 फीसदी महिलाओं में खून की कमी की बीमारी है. अगर कल्याणकारी योजनाओं पर असर पड़ेगा तो स्थिति और खराब होगी. ये छह महिला संगठन 18 जनवरी को पूरे देश में अपना विरोध प्रदर्शन करेंगी और सड़कों पर उतरेंगी.

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