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दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बाद SADD प्रमुख सरना ने कहा- 'कालका और सिरसा अपनी संपत्ती बेचकर टीचरों को सैलरी दें'.

Release salaries of teachers: दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और शिरोमडी अकाली दल दिल्ली के बीच स्कूली टीचरों की सेलरी के मुद्दे पर घमासान जारी है, कल दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश के बाद SADD प्रमुख सरना ने कहा कि शिक्षकों की सैलरी कालका और सिरसा को अपनी निजी संपत्ती बेचकर चुकानी होगी.

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Published : Aug 22, 2023, 2:32 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में आजकल चुनावों के मद्दे नजर सिक्ख संगठनो की राजनीति अपने चरम पर है. दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और शिरोमणी अकाली दल दिल्ली के बीच स्कूली टीचरों की सैलरी के मुद्दे पर घमासान जारी है. सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बाद SADD प्रमुख सरना ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शिक्षकों की सैलरी कालका और सिरसा को अपनी निजी सम्पति बेचकर चुकानी होगी.

अपनी संपत्ती बेचकर स्कूल टीचरों को सैलरी दें: दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की संपत्तियों के मांगे गये ब्यौरे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिरोमणि अकाली दल दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा कि दिल्ली कमेटी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और उनके सरप्रस्त मनजिंदर सिंह सिरसा को अपनी-अपनी संपत्तियां बेचकर गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों के स्टाफ का बकाया भुगतान करना चाहिए.

'सिरसा और कालका अपनी अयोग्यता स्वीकार करें': वहीं सरदार सरना ने कहा कि गुरु हरकिश्न पब्लिक स्कूल के कर्मचारियों के बढ़ते वेतन संकट के कारण उच्च न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप करते हुए दिल्ली कमेटी की जायदादों की जांच स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है कि हालात कितने नाजुक हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सिरसा और कालका को अपनी अयोग्यता स्वीकार करनी चाहिए तथा नैतिकता दिखाते हुए अपनी संपत्तियों को खुले बाज़ार में बेचकर मेहनतकश स्टाफ की सैलरी का भुगतान करना चाहिए इससे वह एक मिसाल कायम कर सकते हैं.

इसके साथ ही सरदार सरना ने टिप्पणि करते हुए कहा कि अगर कालका और सिरसा अपनी संपत्तियों को बेचकर भुगतान करते हैं तो इससे वह न केवल दिल्ली कमेटी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाएंगे. जिसका वे नेतृत्व करते हैं. बल्कि ऐसा कर वे सिख समुदाय में नैतिकता का आदर्श भी स्थापित करेंगे.

अंत में उन्होंने कालका और सिरसा से अपील करते हुए कहा कि समय आ गया है कि वह स्टाफ सदस्यों की भलाई को प्राथमिकता दें जिन्होंने प्रति समर्पण भाव से काम किया है. इसलिए उच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया को संजीदगी से लेते हुए तुरंत कदम उठाएं और सुनिश्चित करें कि कर्मचारियों का वेतन बिना किसी देरी के दिया जाए

यह भी पढ़ें- G20 Summit 2023: दिल्ली में होंगे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, पुलिस के 18 हजार जवान संभालेंगे मोर्चा

नई दिल्ली: दिल्ली में आजकल चुनावों के मद्दे नजर सिक्ख संगठनो की राजनीति अपने चरम पर है. दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और शिरोमणी अकाली दल दिल्ली के बीच स्कूली टीचरों की सैलरी के मुद्दे पर घमासान जारी है. सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बाद SADD प्रमुख सरना ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शिक्षकों की सैलरी कालका और सिरसा को अपनी निजी सम्पति बेचकर चुकानी होगी.

अपनी संपत्ती बेचकर स्कूल टीचरों को सैलरी दें: दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की संपत्तियों के मांगे गये ब्यौरे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिरोमणि अकाली दल दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा कि दिल्ली कमेटी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और उनके सरप्रस्त मनजिंदर सिंह सिरसा को अपनी-अपनी संपत्तियां बेचकर गुरु हरिकृष्ण पब्लिक स्कूलों के स्टाफ का बकाया भुगतान करना चाहिए.

'सिरसा और कालका अपनी अयोग्यता स्वीकार करें': वहीं सरदार सरना ने कहा कि गुरु हरकिश्न पब्लिक स्कूल के कर्मचारियों के बढ़ते वेतन संकट के कारण उच्च न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप करते हुए दिल्ली कमेटी की जायदादों की जांच स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है कि हालात कितने नाजुक हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सिरसा और कालका को अपनी अयोग्यता स्वीकार करनी चाहिए तथा नैतिकता दिखाते हुए अपनी संपत्तियों को खुले बाज़ार में बेचकर मेहनतकश स्टाफ की सैलरी का भुगतान करना चाहिए इससे वह एक मिसाल कायम कर सकते हैं.

इसके साथ ही सरदार सरना ने टिप्पणि करते हुए कहा कि अगर कालका और सिरसा अपनी संपत्तियों को बेचकर भुगतान करते हैं तो इससे वह न केवल दिल्ली कमेटी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाएंगे. जिसका वे नेतृत्व करते हैं. बल्कि ऐसा कर वे सिख समुदाय में नैतिकता का आदर्श भी स्थापित करेंगे.

अंत में उन्होंने कालका और सिरसा से अपील करते हुए कहा कि समय आ गया है कि वह स्टाफ सदस्यों की भलाई को प्राथमिकता दें जिन्होंने प्रति समर्पण भाव से काम किया है. इसलिए उच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया को संजीदगी से लेते हुए तुरंत कदम उठाएं और सुनिश्चित करें कि कर्मचारियों का वेतन बिना किसी देरी के दिया जाए

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