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Shani Pradosh 2022: संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है व्रत, जानें पूजा विधि और मुहूर्त

संतान की प्राप्ति के लिए होने वाला शनि प्रदोष का व्रत कल यानी 5 नवंबर को है. प्रदोष व्रत की पूजा शाम 5:06 से शुरू होगी. इसको लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं.

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Published : Nov 4, 2022, 5:55 PM IST

Updated : Nov 4, 2022, 10:57 PM IST

Shani Pradosh 2022
Shani Pradosh 2022

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra, Ghaziabad) के अध्यक्ष आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक शनिवार को होने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) कहा जाता है. 5 नवंबर को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा. शनिवार शाम 5:06 तक के द्वादशी तिथि है और उस दिन सूर्यास्त 5:30 बजे होगा अर्थात सूर्य उदय से पहले यह द्वादशी तिथि समाप्त हो रही है. इसलिए प्रदोष व्रत शनिवार को ही मनाया जाएगा.

संतान प्राप्ति का मिलता है सुख: हर महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं. प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और शनि प्रदोष व्रत तो संतान प्राप्ति के निमित्त किया जाने वाला व्रत है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करें. संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करें. प्रदोष व्रत की पूजा 5:06 से आरंभ होगी. इसमें भगवान शिव की प्रतिमा मां पार्वती सहित स्थापना करके विशिष्ट मंत्रों से अथवा उनकी आरती और प्रदोष कथा पढ़े तथा शंकर भगवान की पूजा करें. प्रसाद, फल, मिष्ठान, नैवेद्य आदि से भगवान शिव का भोग लगाएं.

कथा: शनि प्रदोष व्रत की कथा इस प्रकार है. किसी नगर में सेठ और सेठानी रहा करते थे. काफी संपत्ति, धन सम्पत्ति उसके पास थी. नौकर चाकर थे, किंतु उसके संतान नहीं थी. वे हमेशा दुखी थे और संतान प्राप्ति कीचिंता करते थे. अंत में सोचा कि संसार नाशवान है. ईश्वर की पूजा, ध्यान और तीर्थ स्थानों का भ्रमण किया जाए.

वे अपने सारा कार्य विश्वस्त सेवकों को सौंप कर तीर्थ यात्रा के लिए चल दिए. गंगा किनारे एक सन्त तपस्या करे थे. सेठ ने विचार किया कि तीर्थ यात्रा करने से पहले इन सन्त का आशीर्वाद ले लिया जाए और वह कुटिया में संत के समक्ष ही बैठ गए. संत ने आंखें खोली और उनके आने का कारण पूछा.

सेठ दंपती ने संत को प्रणाम किया. पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा. संत ने कहा शनि प्रदोष का व्रत कीजिए. भगवान शिव की आशुतोष के रूप में प्रार्थना करो. तुम्हारी इच्छा शीघ्र ही पूरी होगी. वे दोनों संत का आशीर्वाद लेकर उन्हें प्रणाम करके तीर्थ यात्रा पर निकल गए. उसके पश्चात जब घर लौटे तो शनि प्रदोष का बड़ी श्रद्धा के साथ व्रत किया और भगवान शिव की पूजा की उसके प्रभाव से सेठ दंपती को पुत्र संतान की प्राप्ति हुई. संतान के इच्छुक दंपत्ति शनि प्रदोष का व्रत करके अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं. संतान का ना होना, संतान की तरक्की न होना, संतान के पढ़ाई में बाधा आदि दोषों को दूर करने के लिए शनि प्रदोष का व्रत सफलता देने वाला है.


प्रदोष व्रत का महत्व:

रवि प्रदोष: रविवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं. इस व्रत के करने से यश, कीर्ति और आयु का लाभ होता है.

सोम प्रदोष: सोमवार को प्रदोष होने से सोम प्रदोष कहते हैं. यह भगवान शिव का प्रिय दिन है. इसलिए भगवान शंकर की कृपा के लिए, उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सोम प्रदोष का व्रत उत्तम रहता है.

भौम प्रदोष: मंगलवार को प्रदोष होने से भौम प्रदोष कहलाता है. इसका व्रत करने से कर्ज से मुक्ति होती है. भूमि भवन का लाभ होता है और समाज में सम्मान मिलता है.

बुध प्रदोष: बुधवार को प्रदोष होने से बुध प्रदोष कहलाता है. यह व्रत करने से नौकरी, व्यापार, कीर्ति और स्वास्थ्य लाभ होता है.

गुरु प्रदोषः गुरुवार को प्रदोष होने से गुरु प्रदोष व्रत होता है इसमें व्रत करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर कृपा मिलती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है.

शुक्र प्रदोष: शुक्रवार को प्रदोष होने से शुक्र प्रदोष कहलाता है इसे करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है. परिवार के सदस्यों में संबंधों का लाभ होता है. और घर की महिला सदस्य स्वस्थ व प्रसन्न रहती है.

शनि प्रदोष: शनिवार को प्रदोष होने से शनि प्रदोष होता है. इसका व्रत करने से कार्य में सफलता और समाज के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग मिलता है. संतान सुख की प्राप्ति होती है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है. यहां यह बताना जरूरी है कि ETV Bharat किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra, Ghaziabad) के अध्यक्ष आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक शनिवार को होने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) कहा जाता है. 5 नवंबर को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा. शनिवार शाम 5:06 तक के द्वादशी तिथि है और उस दिन सूर्यास्त 5:30 बजे होगा अर्थात सूर्य उदय से पहले यह द्वादशी तिथि समाप्त हो रही है. इसलिए प्रदोष व्रत शनिवार को ही मनाया जाएगा.

संतान प्राप्ति का मिलता है सुख: हर महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं. प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और शनि प्रदोष व्रत तो संतान प्राप्ति के निमित्त किया जाने वाला व्रत है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करें. संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करें. प्रदोष व्रत की पूजा 5:06 से आरंभ होगी. इसमें भगवान शिव की प्रतिमा मां पार्वती सहित स्थापना करके विशिष्ट मंत्रों से अथवा उनकी आरती और प्रदोष कथा पढ़े तथा शंकर भगवान की पूजा करें. प्रसाद, फल, मिष्ठान, नैवेद्य आदि से भगवान शिव का भोग लगाएं.

कथा: शनि प्रदोष व्रत की कथा इस प्रकार है. किसी नगर में सेठ और सेठानी रहा करते थे. काफी संपत्ति, धन सम्पत्ति उसके पास थी. नौकर चाकर थे, किंतु उसके संतान नहीं थी. वे हमेशा दुखी थे और संतान प्राप्ति कीचिंता करते थे. अंत में सोचा कि संसार नाशवान है. ईश्वर की पूजा, ध्यान और तीर्थ स्थानों का भ्रमण किया जाए.

वे अपने सारा कार्य विश्वस्त सेवकों को सौंप कर तीर्थ यात्रा के लिए चल दिए. गंगा किनारे एक सन्त तपस्या करे थे. सेठ ने विचार किया कि तीर्थ यात्रा करने से पहले इन सन्त का आशीर्वाद ले लिया जाए और वह कुटिया में संत के समक्ष ही बैठ गए. संत ने आंखें खोली और उनके आने का कारण पूछा.

सेठ दंपती ने संत को प्रणाम किया. पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा. संत ने कहा शनि प्रदोष का व्रत कीजिए. भगवान शिव की आशुतोष के रूप में प्रार्थना करो. तुम्हारी इच्छा शीघ्र ही पूरी होगी. वे दोनों संत का आशीर्वाद लेकर उन्हें प्रणाम करके तीर्थ यात्रा पर निकल गए. उसके पश्चात जब घर लौटे तो शनि प्रदोष का बड़ी श्रद्धा के साथ व्रत किया और भगवान शिव की पूजा की उसके प्रभाव से सेठ दंपती को पुत्र संतान की प्राप्ति हुई. संतान के इच्छुक दंपत्ति शनि प्रदोष का व्रत करके अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं. संतान का ना होना, संतान की तरक्की न होना, संतान के पढ़ाई में बाधा आदि दोषों को दूर करने के लिए शनि प्रदोष का व्रत सफलता देने वाला है.


प्रदोष व्रत का महत्व:

रवि प्रदोष: रविवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं. इस व्रत के करने से यश, कीर्ति और आयु का लाभ होता है.

सोम प्रदोष: सोमवार को प्रदोष होने से सोम प्रदोष कहते हैं. यह भगवान शिव का प्रिय दिन है. इसलिए भगवान शंकर की कृपा के लिए, उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सोम प्रदोष का व्रत उत्तम रहता है.

भौम प्रदोष: मंगलवार को प्रदोष होने से भौम प्रदोष कहलाता है. इसका व्रत करने से कर्ज से मुक्ति होती है. भूमि भवन का लाभ होता है और समाज में सम्मान मिलता है.

बुध प्रदोष: बुधवार को प्रदोष होने से बुध प्रदोष कहलाता है. यह व्रत करने से नौकरी, व्यापार, कीर्ति और स्वास्थ्य लाभ होता है.

गुरु प्रदोषः गुरुवार को प्रदोष होने से गुरु प्रदोष व्रत होता है इसमें व्रत करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर कृपा मिलती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है.

शुक्र प्रदोष: शुक्रवार को प्रदोष होने से शुक्र प्रदोष कहलाता है इसे करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है. परिवार के सदस्यों में संबंधों का लाभ होता है. और घर की महिला सदस्य स्वस्थ व प्रसन्न रहती है.

शनि प्रदोष: शनिवार को प्रदोष होने से शनि प्रदोष होता है. इसका व्रत करने से कार्य में सफलता और समाज के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग मिलता है. संतान सुख की प्राप्ति होती है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है. यहां यह बताना जरूरी है कि ETV Bharat किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी.

Last Updated : Nov 4, 2022, 10:57 PM IST
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