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Delhi Snooping Case: नेताओं की जासूसी मामले में चल सकता है राजद्रोह का मुकदमा, LG ने मांगी रिपोर्ट

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Published : Mar 13, 2023, 4:19 PM IST

दिल्ली जासूसी मामले में केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के बाद दिल्ली के LG ने भी जांच करने और राजद्रोह के तहत केस चलाने की संभावनाओं पर रिपोर्ट मांगा. उन्होंने यह कदम कांग्रेस नेताओं की शिकायतों को आधार बनाते हुए उठाया है.

केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती
केजरीवाल सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट मामले में जासूसी को लेकर कांग्रेस नेताओं की शिकायत को आधार बनाते हुए उपराज्यपाल कार्यालय ने जांच के आदेश दिए हैं. उपराज्यपाल कार्यालय ने मुख्य सचिव को कांग्रेस नेताओं की शिकायत और इसमें राजद्रोह के तहत मुकदमा चलाने की संभावनाओं पर रिपोर्ट देने को कहा है. पिछले दिनों कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, पूर्व मंत्री मंगतराम सिंघल, किरण वालिया ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से मुलाकात कर इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य सभी अधिकारियों के खिलाफ राजद्रोह अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने का आग्रह किया था.

जासूसी के लिए बनाई यूनिटः पूर्व कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित कहना था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जासूसी के लिए फीडबैक यूनिट बनाई और यूनिट के लिए मशीनें खरीदी गई. यह दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. दीक्षित का कहना था कि आंतरिक सुरक्षा भी दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है, इसीलिए एक फीडबैक यूनिट का गठन किया गया था और यह निर्णय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता वाली दिल्ली कैबिनेट ने लिया था.

यह भी पढ़ेंः आय से अधिक संपत्ति मामले में अखिलेश यादव को मिली बड़ी राहत

उन्होंने उपराज्यपाल से मांगी थी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और फीडबैक यूनिट स्थापित करने वाले अधिकारियों पर राजद्रोह कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएं. दीक्षित ने इस मामले में यूएपीए के तहत देशद्रोह का मुकदमा चलाने की भी मांग की थी. कांग्रेस नेता ने उच्चस्तरीय एजेंसियों से जांच कराने की मांग की थी.

गृह मंत्रालय दे चुका है मंजूरीः बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फीडबैक यूनिट द्वारा विपक्षी दलों की कथित जासूसी कराने के मामले में मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी थी. इससे पहले उपराज्यपाल ने मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई के अनुरोध को मंजूरी दी थी और इसे गृह मंत्रालय को भेज दिया था.

बता दें, 2015 में सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार ने एक फीडबैक यूनिट का गठन किया था. इसका मकसद सभी विभागों के काम पर नजर रखना था. इसे बनाने के पीछे दिल्ली सरकार ने तर्क दिया था कि वह विभागों में भ्रष्टाचार पर नजर रखना चाहते हैं.

यह भी पढ़ेंः G-20 Summit: कश्मीरी गेट, दिल्ली गेट के आएंगे अच्छे दिन, एएसआई ने योजना पर शुरू किया काम

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट मामले में जासूसी को लेकर कांग्रेस नेताओं की शिकायत को आधार बनाते हुए उपराज्यपाल कार्यालय ने जांच के आदेश दिए हैं. उपराज्यपाल कार्यालय ने मुख्य सचिव को कांग्रेस नेताओं की शिकायत और इसमें राजद्रोह के तहत मुकदमा चलाने की संभावनाओं पर रिपोर्ट देने को कहा है. पिछले दिनों कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, पूर्व मंत्री मंगतराम सिंघल, किरण वालिया ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से मुलाकात कर इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य सभी अधिकारियों के खिलाफ राजद्रोह अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने का आग्रह किया था.

जासूसी के लिए बनाई यूनिटः पूर्व कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित कहना था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जासूसी के लिए फीडबैक यूनिट बनाई और यूनिट के लिए मशीनें खरीदी गई. यह दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. दीक्षित का कहना था कि आंतरिक सुरक्षा भी दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है, इसीलिए एक फीडबैक यूनिट का गठन किया गया था और यह निर्णय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता वाली दिल्ली कैबिनेट ने लिया था.

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उन्होंने उपराज्यपाल से मांगी थी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और फीडबैक यूनिट स्थापित करने वाले अधिकारियों पर राजद्रोह कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएं. दीक्षित ने इस मामले में यूएपीए के तहत देशद्रोह का मुकदमा चलाने की भी मांग की थी. कांग्रेस नेता ने उच्चस्तरीय एजेंसियों से जांच कराने की मांग की थी.

गृह मंत्रालय दे चुका है मंजूरीः बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फीडबैक यूनिट द्वारा विपक्षी दलों की कथित जासूसी कराने के मामले में मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी थी. इससे पहले उपराज्यपाल ने मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई के अनुरोध को मंजूरी दी थी और इसे गृह मंत्रालय को भेज दिया था.

बता दें, 2015 में सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार ने एक फीडबैक यूनिट का गठन किया था. इसका मकसद सभी विभागों के काम पर नजर रखना था. इसे बनाने के पीछे दिल्ली सरकार ने तर्क दिया था कि वह विभागों में भ्रष्टाचार पर नजर रखना चाहते हैं.

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