नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) के चुनावों से पहले निगम में शासित भाजपा की सरकार द्वारा लगातार कई अहम योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का दौर बदस्तूर जारी है. इसी कड़ी में अब दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (South Delhi Municipal Corporation) अपने अंतर्गत आने वाली ओखला की जो लैंडफिल साइट (Landfill Site) है, उसे देश की तीसरी आधुनिक इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट (Modern Engineering Landfill Site) बनाने जा रही है.
बता दें कि इस लैंडफिल साइट (Landfill Site) की तो अगले 18 महीने में पूरे तरीके से इसे तैयार कर लिया जाएगा. जिससे कि एक तरफ जहां एसडीएमसी (South Delhi Municipal Corporation) के अंतर्गत आने वाली ओखला लैंडफिल साइट पर कूड़े की समस्या से निजात मिलेगी. तो वहीं कूड़े के पहाड़ की वजह से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोका जा सकेगा. साथ ही भूजल भी दूषित नहीं होगा.
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हाल ही में कमिश्नर ज्ञानेश भारती (Commissioner Gyanesh Bharti) ने इस पूरे मामले पर जानकारी देते हुए कहा कि उसके अनुसार आधुनिक इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट (Modern Engineering Landfill Site) तेहखंड (Tehkhand) में तैयार की जाएगी. जो ओखला लैंडफिल साइट के पास ही होगा. इसके लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority) से एसडीएमसी को लगभग 27 एकड़ की जमीन पहले ही मिल चुकी है. जिसके बाद इस साइट पर कूड़े के पहाड़ को खत्म करने में सहायता मिलेगी. साथ ही एसडीएमसी द्वारा बनाई जा रही आधुनिक इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट देश की तीसरी ऐसी लैंडफिल साइट होगी. बता दें कि पहले महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में भी इस तरह के लैंडफिल साइट स्थापित हो चुकी है और उसे सफलता भी मिली है. लेकिन दिल्ली एनसीआर के क्षेत्र में यह पहली लैंडफिल साइट होगी जो अपने आप में एक मिसाल हो सकती है.
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इस पूरी योजना के मद्देनजर एसडीएमसी 42 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है. इस पूरी राशि का 53 फीसदी हिस्सा एसडीएमसी द्वारा मुहैया कराया जाएगा. जबकि राशि का 47 फीसदी हिस्सा स्वच्छ भारत मिशन की तरफ से निगम को केंद्र के प्राप्त होगा. निगम के इंजीनियरिंग विभाग के मुख्य अधिकारी के अनुसार एसडीएमसी जो आधुनिक इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट बनाने जा रहा है. यह सामान्य लैंडफिल साइट से अलग होगी और उसके मुकाबले में आधुनिक भी होगी. इस पूरी लैंडफिल साइट में 11 मीटर का गहरा गड्ढा खोदा जाएगा और उसमें ओखला लैंडफिल साइट पर जो कूड़ा निस्तारण होगा. उसकी राख को निष्पादन करने के लिए इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट में भरा जाएगा. जिसे भरने में अधिकारियों के मुताबिक लगभग 10 साल का समय लगेगा. इस पूरी वैज्ञानिक प्रक्रिया से न तो वायु प्रदूषण होगा और न ही भूजल प्रदूषित होगा. वर्तमान हालातों को देखते हुए एसडीएमसी ओखला के लैंडफिल साइट को आधुनिक लैंडफिल साइट में तब्दील करेगी, साथ ही वहां एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाएगा. जिसको लेकर अगले 1 महीने में टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी.
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एसडीएमसी के अंतर्गत आने वाली ओखला लैंडफिल पर कूड़े के पहाड़ की समस्या को समाप्त करने के मद्देनजर निगम जल्द ही आधुनिक लैंडफिल साइट विकसित करने जा रही है. जिसके मद्देनजर एसडीएमसी को ना सिर्फ डीडीए से जमीन मिल चुकी है. बल्कि इस पूरे प्रोजेक्ट के मद्देनजर केंद्र से भी वित्तीय सहायता मिलने जा रही है. बता दें कि यह देश की तीसरी आधुनिक लैंडफिल साइट होगी.