नई दिल्ली: दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण और अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर केंद्र के लाए गए अध्यादेश का मामला शांत नहीं हो रहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को नोटिस जारी किया. अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए केंद्र द्वारा अध्यादेश लाया गया है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है. दिल्ली सरकार ने अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. दिल्ली सरकार इस पर रोक लगाने की मांग कर रही है.
वहीं, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने दिल्ली अध्यादेश के मामले में केन्द्र सरकार को नोटिस दिये जाने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह एक पूर्णतः न्यायिक प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत न्यायालय ने केन्द्र सरकार से इस मामले पर उनका रूख पूछा है.
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगी मंत्री लगातार प्रचारित कर रहे थे कि सर्वोच्च न्यायालय पहली तारीख पर ही अध्यादेश को रद्द कर देगा, पर आज न्यायालय में ऐसा कुछ नहीं हुआ. न्यायालय के दिल्ली अध्यादेश को रद्द अथवा स्टे न करने से केजरीवाल सरकार को सबक लेना चाहिए. न्यायिक एवं प्रशासनिक मुद्दे पर किसी सरकार की मनमर्जी से नहीं चलती.
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यमुना के निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की मांग
सचदेवा ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि यमुना के निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अविलंब सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि बाढ़ एक प्राकृतिक विपदा है और दिल्ली में बाढ़ आने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी पीड़ित लोगों को राहत पहुंचाने में सरकार का पूरा साथ देगी. यह आश्चर्यजनक है कि मुख्यमंत्री ने आज कहा कि जब तक यमुना में पानी का स्तर 206 मीटर पार नहीं करेगा तब तक यमुना क्षेत्र में रहने वाले लोगों को स्थानांतरित नहीं करेंगे.
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