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Ghaziabad में आज काम पर वापस लौटेंगे वकील, लाठीचार्ज के विरोध में चल रही हड़ताल स्थगित

वकीलों द्वारा लाठीचार्ज के विरोध में चल रही हड़ताल तीन हफ्तों के लिए स्थगित, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के आश्वासन के बाद माने

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 3 hours ago

नई दिल्ली/गाजियाबाद: बार एसोसिएशन गाजियाबाद द्वारा अधिवक्ताओं की हड़ताल को स्थगित कर दिया गया है, 29 अक्टूबर 2024 से शुरू हुई इस हड़ताल का कुल अवधि 26 दिन तक चलने के बाद अब तीन हफ्तों के लिए स्थगित कर दिया गया है. अधिवक्ता 26 नवंबर 2024 से न्यायालयीन कार्यों में वापस लौटेंगे.

हड़ताल का कारण: इस हड़ताल की शुरुआत तब हुई थी जब 29 अक्टूबर को कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किया गया था. इस घटना के बाद से अधिवक्ता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे और कचहरी परिसर में धरना दे रहे थे. इसके फलस्वरूप, आम लोगों को न्यायिक सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था, जिससे उनके दैनिक जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ा.

निर्णय और संवाद: हड़ताल को स्थगित करने का निर्णय बार एसोसिएशन गाजियाबाद के कार्यकारिणी और समन्वय समिति द्वारा लिया गया है. यह निर्णय उत्तर प्रदेश की विभिन्न बार एसोसिएशन के साथ विचार-विमर्श करने के बाद किया गया. बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने बताया कि माननीय मुख्य न्यायाधीश उत्तर प्रदेश के आश्वासन और वार्ता के आधार पर यह कदम उठाया गया है.

यह भी पढ़ें- वकीलों पर लाठीचार्ज मामला: काम पर वापस लौटेंगे अधिवक्ता लेकिन रखी कई शर्तें, उपचुनाव को लेकर कही ये बात

अधिवक्ताओं ने बार एसोसिएशन गाजियाबाद के माध्यम से प्रदेश के सभी बार एसोसिएशनों को अपील की है कि वे 26 नवंबर से अपने-अपने जिलों में न्यायिक कार्य को सुचारू रूप से संचालित करें. हालांकि, गाजियाबाद के अधिवक्ता जनपद न्यायाधीश का बहिष्कार करते रहेंगे और यदि तीन सप्ताह में उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे फिर से आंदोलन करने को प्रेरित होंगे.

इस हड़ताल का प्रमुख कारण जिला जज गाजियाबाद का ट्रांसफर और निलंबन, दोषी पुलिसकर्मियों का निलंबन, वकीलों पर दर्ज मुकदमे वापस लेना, लाठी चार्ज में घायल वकीलों को सहायता राशि प्रदान करना, और दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग थी.

अधिवक्ताओं की हड़ताल के दौरान, 11 और 12 नवंबर को उन्होंने हापुड़ मार्ग को भी जाम किया था. इसके बाद, 16 नवंबर को एक महासम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के अधिवक्ता शामिल हुए थे.

यह भी पढ़ें- गाजियाबाद में वकीलों का सड़क जाम कार्यक्रम स्थगित, 16 नवंबर को होगा महासम्मेलन

नई दिल्ली/गाजियाबाद: बार एसोसिएशन गाजियाबाद द्वारा अधिवक्ताओं की हड़ताल को स्थगित कर दिया गया है, 29 अक्टूबर 2024 से शुरू हुई इस हड़ताल का कुल अवधि 26 दिन तक चलने के बाद अब तीन हफ्तों के लिए स्थगित कर दिया गया है. अधिवक्ता 26 नवंबर 2024 से न्यायालयीन कार्यों में वापस लौटेंगे.

हड़ताल का कारण: इस हड़ताल की शुरुआत तब हुई थी जब 29 अक्टूबर को कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किया गया था. इस घटना के बाद से अधिवक्ता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे और कचहरी परिसर में धरना दे रहे थे. इसके फलस्वरूप, आम लोगों को न्यायिक सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था, जिससे उनके दैनिक जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ा.

निर्णय और संवाद: हड़ताल को स्थगित करने का निर्णय बार एसोसिएशन गाजियाबाद के कार्यकारिणी और समन्वय समिति द्वारा लिया गया है. यह निर्णय उत्तर प्रदेश की विभिन्न बार एसोसिएशन के साथ विचार-विमर्श करने के बाद किया गया. बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने बताया कि माननीय मुख्य न्यायाधीश उत्तर प्रदेश के आश्वासन और वार्ता के आधार पर यह कदम उठाया गया है.

यह भी पढ़ें- वकीलों पर लाठीचार्ज मामला: काम पर वापस लौटेंगे अधिवक्ता लेकिन रखी कई शर्तें, उपचुनाव को लेकर कही ये बात

अधिवक्ताओं ने बार एसोसिएशन गाजियाबाद के माध्यम से प्रदेश के सभी बार एसोसिएशनों को अपील की है कि वे 26 नवंबर से अपने-अपने जिलों में न्यायिक कार्य को सुचारू रूप से संचालित करें. हालांकि, गाजियाबाद के अधिवक्ता जनपद न्यायाधीश का बहिष्कार करते रहेंगे और यदि तीन सप्ताह में उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे फिर से आंदोलन करने को प्रेरित होंगे.

इस हड़ताल का प्रमुख कारण जिला जज गाजियाबाद का ट्रांसफर और निलंबन, दोषी पुलिसकर्मियों का निलंबन, वकीलों पर दर्ज मुकदमे वापस लेना, लाठी चार्ज में घायल वकीलों को सहायता राशि प्रदान करना, और दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग थी.

अधिवक्ताओं की हड़ताल के दौरान, 11 और 12 नवंबर को उन्होंने हापुड़ मार्ग को भी जाम किया था. इसके बाद, 16 नवंबर को एक महासम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के अधिवक्ता शामिल हुए थे.

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