नई दिल्ली/गाजियाबाद: सनातन धर्म में सावन मास में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. इस बार सावन मास 59 दिनों का है. सावन मास में कुल चार प्रदोष व्रत पड़ेंगे. सावन मास का पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई को पड़ रहा है. शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं.
ऐसे करें पूजा: शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठे. उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहने. घर के मंदिर को साफ करें और दीपक जलाएं. शुक्र प्रदोष व्रत का संकल्प लें. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा अर्चना करें. फिर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें. भगवान शिव को भांग धतूरा बेल पत्र, फूल और नवैद्य आदि को शिवलिंग पर अर्पित करें. प्रदोष व्रत के दिन शाम की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:-
- शुक्र प्रदोष तिथि आरंभ: 14 जुलाई, रात 07:17 PM से शुरू होगा.
- शुक्र प्रदोष तिथि समाप्त: 15 जुलाई, रात 08:32 पर समाप्त होगा.
- प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त: 14 जुलाई, रात 07:21 PM से आरंभ होकर रात 09:24 PM तक रहेगा.
प्रदोष व्रत का महत्व: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, शुक्र प्रदोष का व्रत करने और इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से धन प्राप्ति, शत्रु ग्रह बाधा से मुक्ति, संतान सुख और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. साथ ही कार्यों में बाधा बन रही अड़चने दूर होती हैं. शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी और शुक्र देव को समर्पित है. शुक्र प्रदोष के दिन विधि विधान से पूजा अर्चना करने और व्रत रखने से भगवान शिव मां लक्ष्मी और शुक्र देव की कृपा बनी रहती है.
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