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निगम मुख्यालय पर आमरण अनशन पर बैठे सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष - दिल्ली सफाई कर्मचारी अनशन

दिल्ली सफाई कर्मचारी एक्शन कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह चूडियाणा निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि कि 2008 से वो नौकरी पर लगे हुए हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते उनके बाद के लोग पक्के कर दिए गए और उन पर ध्यान नहीं दिया गया.

sanitation worker on hunger strike at delhi corporation headquarters
दिल्ली सफाई कर्मचारी अनशन
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Published : Oct 19, 2020, 7:22 PM IST

नई दिल्ली: कर्मचारियों को पक्का करने की मांग कर रहे दिल्ली सफाई कर्मचारी एक्शन के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह चूडियाणा निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. आरोप है कि 2008 से वो नौकरी पर लगे हुए हैं लेकिन भ्रष्टाचार के चलते उनके बाद के लोग पक्के कर दिए गए और उनपर ध्यान नहीं दिया गया. सालों से वो बड़े अधिकारियों से इसको लेकर अर्जी दे रहे हैं और आखिरकार आमरण अनशन को मजबूर हो गए हैं.

अनशन पर बैठे सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष

ईटीवी भारत से बातचीत में चूडियाणा कहते हैं कि आखिरी बार वो जब निगम अधिकारियों से मिले थे, तब उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उनकी फाइल मंगाई जा रही है. हालांकि हफ्ते निकल जाने के बाद भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. पिछले 5 अक्टूबर को उन्हें अनशन पर नहीं बैठने दिया गया लेकिन अब वो परेशान हो चुके हैं.

वीरेंद्र कहते हैं कि निगम में भ्रष्टाचार फैला हुआ है, जो पैसे देता है उसे पक्का कर देते हैं. जिस क्राइटेरिया से पक्का किया जाता है वो भी पूरा हो चुका है. वीरेंद्र कहते हैं कि अब वो तब तक नहीं उठेंगे जबतक कि उनकी मांगें नहीं मानो जाती.

नई दिल्ली: कर्मचारियों को पक्का करने की मांग कर रहे दिल्ली सफाई कर्मचारी एक्शन के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह चूडियाणा निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. आरोप है कि 2008 से वो नौकरी पर लगे हुए हैं लेकिन भ्रष्टाचार के चलते उनके बाद के लोग पक्के कर दिए गए और उनपर ध्यान नहीं दिया गया. सालों से वो बड़े अधिकारियों से इसको लेकर अर्जी दे रहे हैं और आखिरकार आमरण अनशन को मजबूर हो गए हैं.

अनशन पर बैठे सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष

ईटीवी भारत से बातचीत में चूडियाणा कहते हैं कि आखिरी बार वो जब निगम अधिकारियों से मिले थे, तब उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उनकी फाइल मंगाई जा रही है. हालांकि हफ्ते निकल जाने के बाद भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया है. पिछले 5 अक्टूबर को उन्हें अनशन पर नहीं बैठने दिया गया लेकिन अब वो परेशान हो चुके हैं.

वीरेंद्र कहते हैं कि निगम में भ्रष्टाचार फैला हुआ है, जो पैसे देता है उसे पक्का कर देते हैं. जिस क्राइटेरिया से पक्का किया जाता है वो भी पूरा हो चुका है. वीरेंद्र कहते हैं कि अब वो तब तक नहीं उठेंगे जबतक कि उनकी मांगें नहीं मानो जाती.

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