नई दिल्ली : दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में कार्यरत एक न्यूरोसर्जन की भ्रष्टाचार मामले में हाल ही में हुई गिरफ्तार के बाद अस्पताल प्रशासन अब सतर्क हो गया है. आगे से मरीजों से सर्जरी के लिए बाहर से इंप्लांट खरीदवाने के नाम पर वसूली न हो इसके लिए प्रशासन ने कदम उठाए हैं. अस्पताल प्रशासन ने मरीजों के परिजनों को अस्पताल के अंदर से ही सर्जरी में काम आने वाले इंप्लांट्स मिल जाएं, इसके लिए व्यवस्था करने की तैयारी की है. साथ ही जब तक अस्पताल के अंदर से ही इंप्लांट खरीदने की व्यवस्था नहीं हो जाती है, तब तक प्रस्तावित सर्जरी को रोक दिया गया है. अभी तक अस्पताल एक टेंडर के माध्यम से बाहर से उपकरण खरीद रहा था.
अस्पताल के एक डॉक्टर का कहना है कि प्रस्तावित सर्जरी को रोके जाने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अगर जल्द ही अस्पताल ने इसके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की तो मरीजों की परेशानियां और बढ़ेगी, क्योंकि नई पॉलिसी को लागू करने में समय लग सकता है. अभी अस्पताल प्रशासन इस बात का भी पता लगाया जा रहा है कि कहीं और विभागों में तो इस तरह की गड़बड़ी नहीं चल रही है. अभी एक अन्य डॉक्टर द्वारा सर्जरी में एक्सपायर इंप्लांट इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है, इसलिए इस तरह की घटनाओं को रोकने पर काम चल रहा है, लेकिन फ़िलहाल जल्द सर्जरी के लिए दिशा निर्देश जारी होने जा रहे हैं.
बता दें कि कम लागत पर उपकरणों और सस्ती दवाइयों की खरीद के लिए वर्ष 2016 में सफदरजंग अस्पताल में अमृत फार्मेसी की स्थापना की गई थी. आर्थोपेडिक विभाग ने पिछले साल फार्मेसी के जरिए इम्प्लांट डिवाइस खरीदने की योजना बनाई थी. अब प्रशासन भी इसकी योजना बना रहा है, जिसमें एक ऐसी नीति पर विचार किया जा रहा है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सभी उपकरणों को प्रत्येक विभाग में एक मंच से खरीदा जाएगा. सभी विभागों से उनकी आवश्यकता वाले उपकरणों की सूची मांगी गई है.
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अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉक्टर बीएल शेरवाल ने बताया कि बहुत ही गंभीर मरीजों की जल्दी सर्जरी करने की व्यवस्था की गई है. साथ ही इस तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए जांच कमेटी गठित की गई है. उल्लेखनीय है कि इलाज और सर्जरी के लिए उपकरण खरीदवाने में पैसे लेने की संलिप्तता के आरोप में सीबीआई ने सफदरजंग अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष रावत को पिछले हफ्ते उसके चार साथियों के साथ गिरफ्तार किया था.
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