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Rouse Avenue Court : 2007 में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला के दोषियों की सजा पर सुनवाई

2007 में पश्चिम बंगाल में एक कोयला ब्लॉक के आवंटन घोटाला के दोषी करार दिए गए HEPL नामक कंपनी और उसके तीन अधिकारियों की सजा की अवधि पर दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट सुनवाई करेगी. 2007 coal block allocation scam case

Rouse Avenue Court
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Published : Sep 5, 2022, 8:47 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) आज 2007 में पश्चिम बंगाल में एक कोयला ब्लॉक के आवंटन के मामले (West Bengal Coal Block Allocation scam Case) में धोखाधड़ी का दोषी करार दिए गए हिमाचल एमटा पावर लिमिटेड (Himachal Mta Power Limited) नामक कंपनी और उसके तीन अधिकारियों की सजा की अवधि पर सुनवाई करेगी. मामले की सुनवाई स्पेशल जज संजय बंसल करेंगे.

1 सितंबर को कोर्ट ने हिमाचल एमटा पावर लिमिटेड (Himachal Mta Power Limited) समेत चारों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और 420 का दोषी करार दिया था. कंपनी के अलावा जिन्हें दोषी करार दिया गया उनमें कंपनी के दो डायरेक्टर उज्जल कुमार उपाध्याय और बिकास मुखर्जी समेत कंपनी के सीजीएम (पावर) एनसी चक्रवर्ती शामिल हैं. चारों पर आरोप है कि इन्होंने कोल ब्लॉक आवंटन हासिल करने के लिए प्रोजेक्ट की भूमि के लिए गलत सूचना दी.

सीबीआई (Central Beuro of Investigation) के मुताबिक तीनों आरोपियों ने हिमाचल एमटा पावर लिमिटेड (Himachal Mta Power Limited) कंपनी के साथ मिलकर साजिश रची और पश्चिम बंगाल के गौरांगडीड एबीसी कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने के लिए कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) को जून 2007 में झूठी जानकारी दी. सीबीआई के मुताबिक इन लोगों ने कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल कर केंद्र सरकार के साथ धोखाधड़ी की. इन लोगों ने कोयला मंत्रालय को झूठ बोला कि उन्होंने 74 करोड़ रुपये का निवेश किया है और प्रोजेक्ट के लिए 80 एकड़ भूमि अधिगृहित की है. सीबीआई ने इस मामले में 7 अगस्त 2014 को एफआईआर दर्ज किया था.

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नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) आज 2007 में पश्चिम बंगाल में एक कोयला ब्लॉक के आवंटन के मामले (West Bengal Coal Block Allocation scam Case) में धोखाधड़ी का दोषी करार दिए गए हिमाचल एमटा पावर लिमिटेड (Himachal Mta Power Limited) नामक कंपनी और उसके तीन अधिकारियों की सजा की अवधि पर सुनवाई करेगी. मामले की सुनवाई स्पेशल जज संजय बंसल करेंगे.

1 सितंबर को कोर्ट ने हिमाचल एमटा पावर लिमिटेड (Himachal Mta Power Limited) समेत चारों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और 420 का दोषी करार दिया था. कंपनी के अलावा जिन्हें दोषी करार दिया गया उनमें कंपनी के दो डायरेक्टर उज्जल कुमार उपाध्याय और बिकास मुखर्जी समेत कंपनी के सीजीएम (पावर) एनसी चक्रवर्ती शामिल हैं. चारों पर आरोप है कि इन्होंने कोल ब्लॉक आवंटन हासिल करने के लिए प्रोजेक्ट की भूमि के लिए गलत सूचना दी.

सीबीआई (Central Beuro of Investigation) के मुताबिक तीनों आरोपियों ने हिमाचल एमटा पावर लिमिटेड (Himachal Mta Power Limited) कंपनी के साथ मिलकर साजिश रची और पश्चिम बंगाल के गौरांगडीड एबीसी कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने के लिए कोयला मंत्रालय (Ministry of Coal) को जून 2007 में झूठी जानकारी दी. सीबीआई के मुताबिक इन लोगों ने कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल कर केंद्र सरकार के साथ धोखाधड़ी की. इन लोगों ने कोयला मंत्रालय को झूठ बोला कि उन्होंने 74 करोड़ रुपये का निवेश किया है और प्रोजेक्ट के लिए 80 एकड़ भूमि अधिगृहित की है. सीबीआई ने इस मामले में 7 अगस्त 2014 को एफआईआर दर्ज किया था.

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