नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को जबरन उगाही से जुड़े एक मामले में पूर्व विधायक रामबीर शौकीन को आरोपमुक्त कर दिया है, लेकिन मुख्य नीरज शेहरावत उर्फ़ बवानिया पर उगाही का केस बरकरार रहेगा. इस मामले में कमल डबास ने शिकायत दर्ज कराई की थी. जिसमे पीड़ित ने दिल्ली के कुख्यात गैंगेस्टर नीरज बवानिया पर जबरन उगाही करने का आरोप लगाया था. पीड़ित ने अपनी शिकायत में कहा था कि नीरज गैंग के कुछ लोग उसके बीएनबी शूटर्स नामक पब में जो राजौरी गार्डन में स्थित है पर आए थे और पीड़ित को धमकाने लगे.
नीरज बवानिया ने कहा कि इस पब से होने वाली आमदनी में से आधा हिस्सा उसको चाहिए. वो बिना कुछ निवेश किए जब पीड़ित कमलदीप ने नीरज से बात करवाने को कहा तो वो लोग पीड़ित को कमरुद्दीन के दफ्तर पर लेकर गए. पीड़ित के वहां पहुंचने के बाद नीरज बवानिया ने उसके पब व्यवसाय में से 50 प्रतिशत देने के लिए धमकाया था. पीड़ित के बार-बार निवेदन करने के बाद आरोपी ने उससे 2.5 लाख रुपये पहुंचाने को कहा.
पीड़ित के शिकायत के बाद पुलिस ने नीरज बवानिया और रामबीर शौकीन के खिलाफ केस दर्ज की. पुलिस ने शिकायती के 161/164 सीआरपीसी के बयान दर्ज कराए. अभियोजन पक्ष की और से रामबीर और नीरज पर पीड़ित से जबरन 2.5 लाख रुपये उगाही के आरोप लगाए गए. बचाव पक्ष के वकील ने अपनी सफाई में कोर्ट से कहा की आरोपी रामबीर को पुलिस द्वारा इस मामले में फंसाया जा रहा है. जबकि उसका इस मामले से कुछ लेना देना नहीं है. क्योकि वो वारदात वाले स्थान पर उपस्थित नही था, और न ही पुलिस को उसके पास से ऐसी कोई रकम बरामद हुई है.
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से कहा कि आरोपपत्र में आरोपियों पर लगे सभी सबूत मौजूद है जो इस अपराध में दोनों आरोपियों की बराबर भूमिका दर्शा रहे हैं. इतने सबूत दोनों आरोपीयों पर मुकदमा चलाने को काफी है. कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षो को ध्यानपूर्वक सुना और अपने आदेश में कहा की शिकायती कमल और गवाह संदीप के बयानों से ये साफ हो गया है कि कमलजीत डबास ने आरोपी नीरज बवानिया की धमकी से डरकर संदीप सहरावत को 2.5 लाख रुपए दिए थे, जो कि वो पैसे संदीप द्वारा रामबीर को उसके दफ्तर पर दिए गए थे. इस प्रकार कोर्ट द्वारा दोनों आरोपी नीरज और रामबीर पर आरोप तय किये गए थे.
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आरोपी रामबीर शौकीन ने अपने वकील के माध्यम से दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट अपने ऊपर लगे आरोपों से मुक्त होने के लिए कोर्ट में एक याचिका लगाई थी. जिस पर आरोपी के वकील ने कोर्ट से कहा कि जिस वक्त ने घटना हुई थी. उस समय रामबीर अपने दफ्तर पर मौजूद नहीं था. दूसरा आरोपी नीरज रामबीर का रिश्तेदार है इसलिए उसका रामबीर के दफ्तर पर आना जाना लगा रहता है. शिकायतकर्ता ने कभी भी अपनी शिकायत में रामबीर के शामिल होने के सबूत नहीं दिए. कोर्ट ने दोनों पक्ष को सुनने के बाद रामबीर को आरोप से मुक्त कर दिया है. साथ ही नीरज पर ये केस चलाने के आदेश दिए हैं.
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