नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों से हटाए गए कंसल्टेंट, स्कॉलर, रिसर्च एसोसिएट के चलते अब केजरीवाल सरकार की कई योजनाएं पर काम करने की रफ्तार कम हो गई है. हालांकि पिछले दिनों सार्वजनिक मंचों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कई बार कह चुके हैं कि हम कोई भी कम रुकने नहीं देंगे. लेकिन सरकार के कामकाज में सहयोग करने के लिए गत वर्षो में 400 से अधिक कंसल्टेंट, रिसर्च एसोसिएट्स को नियुक्त किया गया था.
पिछले महीने सभी नियुक्तियों में अनियमितता पाए जाने पर उपराज्यपाल ने हटाने के आदेश जारी किए थे. इनके हटाए जाने से चाहे केजरीवाल सरकार के इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों के लिए जो पॉलिसी बनाने का काम चल रहा था, या फिर दिल्ली में परिवहन व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए डीटीसी के बेड़े में नई इलेक्ट्रिक बसें शामिल करने की योजनाएं थी, इन सब पर अब असर दिखना शुरू हो गया है. इसकी पुष्टि दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने भी की है.
कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार जनहित से जुड़ी योजनाओं को लेकर हमेशा प्रतिबद्ध रही है. प्रीमियम बस पॉलिसी हो या नई इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पॉलिसी, सभी पर तेजी से काम चल रहा था. अचानक इन योजनाओं पर काम कर रहे एक्सपर्ट और सलाहकारों की नियुक्ति को उपराज्यपाल के निर्देश पर रद्द कर दिया गया है. इसके चलते योजनाओं पर चल रही प्रक्रिया फिलहाल रुक गई है.
इसलिए की गई थी इनकी नियुक्ति
दिल्ली में केजरीवाल सरकार पिछली सरकारों से अलग अपनी योजनाओं और नीतियों को लागू करने के लिए अलग-अलग विभागों में कंसल्टेंट, स्कॉलर को नियुक्त किया था. इनकी नियुक्ति रद्द किए जाने के बाद बाकी बचे स्टाफ और अधिकारियों पर भी काम का बोझ बढ़ गया है. इन सलाहकारों के भरोसे जिन योजनाओं को बढ़ाया जा रहा था, उन पर फिलहाल प्रश्नचिन्ह लग गया है. परिवहन विभाग में इसका असर साफ तौर पर देखा जा रहा है. कंसल्टेंट, फेलोज के हटने के कारण नई इलेक्ट्रिकल व्हीकल पॉलिसी, प्रीमियम बस पॉलिसी को लागू करने के लिए चल रहा काम रुक गया है. डीटीसी में कंसल्टेंट के रूप में जिन वरिष्ठ अधिकारियों की सेवाओं और अनुभव का लाभ मिल रहा था, अब वह नहीं मिल रहा है. डीटीसी में तकनीकी विशेषता रखने वाले अधिकारियों का भी एकदम से कमी हो गई है. जिसके चलते ब्रेकडाउन की समस्या से निपटने में भी सरकार को दिक्कत आ रही है.
परिवहन विभाग में नियुक्त थे फेलोज व रिसर्च एसोसिएट
अलग-अलग विभागों में 400 से अधिक फेलोज और कंसल्टेंट में से 100 से अधिक दिल्ली विधानसभा में तैनात थे. वह विधानसभा से संबंधित कार्यों और मंत्रियों के कामकाज में सहयोग कर रहे थे. पिछले दिनों विधानसभा के विशेष सत्र में भी उन्हें हटाए जाने पर चर्चा हुई और सत्ता पक्ष के विधायकों और मंत्रियों ने इस पर नाराजगी जताई. उसके बाद सबसे अधिक फॉलोज व रिसर्च एसोसिएट्स परिवहन विभाग में तैनात थे. तकरीबन करीब 60 लोग परिवहन विभाग के काम के लिए कम कर रहे थे. सबसे ज्यादा नुकसान इलेक्ट्रिकल व्हीकल सेल को पहुंचा है. जहां कम कर रहे अधिकतर लोगों को हटा दिए जाने के कारण सरकार समय रहते नहीं इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी नहीं ला सकी. अभी पुरानी पॉलिसी को ही आगे बढ़ना होगा. इसी तरह प्रीमियम बस सर्विस और मोबाइल एप आधारित सीएबी सर्विस को लागू करने में भी दिक्कत हो रही है.
केजरीवाल सरकार के रोजगार बजट पर भी असर
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2047 तक दिल्ली के लोगों की प्रति व्यक्ति आय को सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आय तक बढ़ाने का विजन रखा था. दिल्ली की अर्थव्यवस्था की व्यापक समझ और 150 से ज्यादा स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन, फील्ड विजिट और इंटरव्यूज के माध्यम से प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की थी. इनके जरिए विकास और रोजगार के सृजन को बढ़ावा देने के लिए 10 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई थी. दिल्ली बाजार की अवधारणा तैयार की. इसके साथ ही ग्लोबल बेंचमार्किंग एक्सरसाइज में उद्योग विभाग की सहायता की और इस पहल पर भी अब काम प्रभावित होना तय है.
जानिए क्या है दिल्ली सरकार की ईवी पॉलिसी
दिल्ली के कुल वायु प्रदूषण में वाहनों से होने वाला प्रदूषण 22-26 फीसद है. दिल्ली इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी का लक्ष्य दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करना है. सरकार द्वारा नियुक्त फेलोज और रिसर्च एसोसिएट दिल्ली ईवी पॉलिसी के लिए रिसर्च, स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन और पॉलिसी मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका निभाते थे. केवल 2 वर्षों में, दिल्ली ईवी पॉलिसी ने 2900 से अधिक ईवी चार्जिंग पॉइंट स्थापित किए, जोकि भारत में सबसे ज्यादा है.
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