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वूलन की बिक्री पर कोराना का साया, बढ़ती सर्दी के बीच भी बाजार में मंदी

इस साल पहले सर्दी पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ रही है. तापमान में लगातार गिरावट हो रही है, न्यूनतम तापमान 6 डिग्री तक पहुंच गया है. सुबह शाम ठिठुरन भी शुरू हो गई है. लेकिन अगर वही बात करें सर्दी से बचाने वाले गर्म कपड़ों की तो इनकी मांग अभी भी मंदी है, जहां हर साल सर्दियां शुरू होने से 1 महीने पहले से ही लोग गर्म कपड़ों की खरीदारी शुरु कर देते थे. वही नवंबर में भी गर्म कपड़ों की डिमांड नहीं हो रही है.

Woolen sales have been affected by Korana
कोराना के कारण वूलन की बिक्री प्रभावित.
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Published : Dec 8, 2020, 10:38 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में सर्दी ने पिछले करीब 17 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है नवंबर में ही दिसंबर जैसी सर्दी पड़ रही है. लेकिन बाजारों में गर्म कपड़ों की मांग नहीं है दुकानदारों का कहना है कि कोरोनावायरस के चलते इस बार सर्दियों के व्यापार पर खासा असर पड़ा है. जहां एक तरफ स्टॉक आसानी से नहीं मिल रहा है वहीं दूसरी तरफ दुकानों तक खरीदार बहुत कम पहुंच रहे हैं.

कोराना के कारण वूलन की बिक्री प्रभावित.

बाजारों तक भी नहीं पहुंचा कपड़ों का नया ट्रेंड

ईटीवी भारत की टीम सर्दियों के कपड़े के व्यापार का जायजा लेने के लिए दिल्ली के अलग-अलग बाजारों में पहुंची, दक्षिण दिल्ली स्थित लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट जो हर किसी की पसंदीदा मार्केट है, यहां बच्चों से लेकर युवा महिलाओं के खास तौर पर पसंदीदा और नई ट्रेंड के कपड़े मिलते हैं, चाहे सर्दी हो या गर्मी, हर मौसम के लिए यहां पर नया फैशन उपलब्ध होता है.

लेकिन मार्केट में पहुंच रहे खरीदारों का कहना है कि इस बार मार्केट में कुछ नया ट्रेंड या नए डिजाइन के कपड़े नहीं है जो पिछले साल तक हम मार्केट में देख रहे थे वही कपड़े दिख रहे हैं.

कई सावधानियों के साथ खरीदारी कर रहे लोग

इसके अलावा खरीदारों ने कहा कि इस बार कपड़े खरीदने के लिए काफी सावधानियां बरतनी पड़ रही है. कपड़े खरीदने के बाद सबसे पहले उन्हें सैनिटाइज कर रहे हैं और गर्म पानी से धोकर ही धूप में सुखाकर पहन रहे हैं, जहां पहले नए कपड़े बिना धोकर भी पहन लेते थे.

लेकिन अब नए कपड़ों को धोकर ही पहनना पड़ रहा है. इसके साथ ही लोगों ने कहा क्योंकि संक्रमण के चलते घर से निकलना कम हो रहा है बच्चे घर पर है अधिकतर लोग घर पर ही रह कर काम कर रहे हैं ऐसे में कपड़ों की ज्यादा आवश्यकता भी नहीं पड़ रही.

गांधीनगर और चांदनी चौक में हैं वूलन मार्केट

CTI के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने बताया राजधानी दिल्ली में सर्दियों के कपड़ों की जो मुख्य मार्केट हैं वो गांधीनगर और चांदनी चौक है. जहां से दिल्ली के सरोजिनी नगर, करोल बाग, लाजपत नगर समेत सभी अलग अलग बाज़ारो में सर्दियों के कपड़े पहुचाएं जाते हैं और मुख्य तौर पर राजधानी में यह सर्दियों के कपड़े पंजाब और जम्मू कश्मीर से आते हैं.

पंजाब में सर्दियों के कपड़ों की अलग-अलग मील है जहां पर ही कपड़े बनते हैं और फिर राजधानी दिल्ली के मुख्य बाजारों तक पहुंचते हैं. इसके अलावा बृजेश गोयल ने जानकारी दी कि हर साल सर्दियों के सीजन में पूरी दिल्ली में करीब 12 सौ करोड़ का बिजनेस होता है.

सर्दी से बचाव के लिए अलग-अलग डिजाइन के कपड़े यहां आते हैं और राजधानी में सर्दियों के लेटेस्ट डिजाइन के कपड़े मिलते हैं. ऐसे में काफी अच्छा बिजनेस यहां पर होता है लेकिन इस बार कोरोना के चलते इस पर भी प्रभाव पड़ा है, महामारी के चलते सर्दियों के कपड़ों का प्रोडक्शन नहीं हो पाया है.

ट्रांसपोर्टेशन भी महंगा हुआ है इसके चलते भी व्यापार पर असर पड़ा है. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी सर्दी के 3 महीने बाकी हैं ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में कुछ अच्छा बिजनेस हो सकता है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में सर्दी ने पिछले करीब 17 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है नवंबर में ही दिसंबर जैसी सर्दी पड़ रही है. लेकिन बाजारों में गर्म कपड़ों की मांग नहीं है दुकानदारों का कहना है कि कोरोनावायरस के चलते इस बार सर्दियों के व्यापार पर खासा असर पड़ा है. जहां एक तरफ स्टॉक आसानी से नहीं मिल रहा है वहीं दूसरी तरफ दुकानों तक खरीदार बहुत कम पहुंच रहे हैं.

कोराना के कारण वूलन की बिक्री प्रभावित.

बाजारों तक भी नहीं पहुंचा कपड़ों का नया ट्रेंड

ईटीवी भारत की टीम सर्दियों के कपड़े के व्यापार का जायजा लेने के लिए दिल्ली के अलग-अलग बाजारों में पहुंची, दक्षिण दिल्ली स्थित लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट जो हर किसी की पसंदीदा मार्केट है, यहां बच्चों से लेकर युवा महिलाओं के खास तौर पर पसंदीदा और नई ट्रेंड के कपड़े मिलते हैं, चाहे सर्दी हो या गर्मी, हर मौसम के लिए यहां पर नया फैशन उपलब्ध होता है.

लेकिन मार्केट में पहुंच रहे खरीदारों का कहना है कि इस बार मार्केट में कुछ नया ट्रेंड या नए डिजाइन के कपड़े नहीं है जो पिछले साल तक हम मार्केट में देख रहे थे वही कपड़े दिख रहे हैं.

कई सावधानियों के साथ खरीदारी कर रहे लोग

इसके अलावा खरीदारों ने कहा कि इस बार कपड़े खरीदने के लिए काफी सावधानियां बरतनी पड़ रही है. कपड़े खरीदने के बाद सबसे पहले उन्हें सैनिटाइज कर रहे हैं और गर्म पानी से धोकर ही धूप में सुखाकर पहन रहे हैं, जहां पहले नए कपड़े बिना धोकर भी पहन लेते थे.

लेकिन अब नए कपड़ों को धोकर ही पहनना पड़ रहा है. इसके साथ ही लोगों ने कहा क्योंकि संक्रमण के चलते घर से निकलना कम हो रहा है बच्चे घर पर है अधिकतर लोग घर पर ही रह कर काम कर रहे हैं ऐसे में कपड़ों की ज्यादा आवश्यकता भी नहीं पड़ रही.

गांधीनगर और चांदनी चौक में हैं वूलन मार्केट

CTI के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने बताया राजधानी दिल्ली में सर्दियों के कपड़ों की जो मुख्य मार्केट हैं वो गांधीनगर और चांदनी चौक है. जहां से दिल्ली के सरोजिनी नगर, करोल बाग, लाजपत नगर समेत सभी अलग अलग बाज़ारो में सर्दियों के कपड़े पहुचाएं जाते हैं और मुख्य तौर पर राजधानी में यह सर्दियों के कपड़े पंजाब और जम्मू कश्मीर से आते हैं.

पंजाब में सर्दियों के कपड़ों की अलग-अलग मील है जहां पर ही कपड़े बनते हैं और फिर राजधानी दिल्ली के मुख्य बाजारों तक पहुंचते हैं. इसके अलावा बृजेश गोयल ने जानकारी दी कि हर साल सर्दियों के सीजन में पूरी दिल्ली में करीब 12 सौ करोड़ का बिजनेस होता है.

सर्दी से बचाव के लिए अलग-अलग डिजाइन के कपड़े यहां आते हैं और राजधानी में सर्दियों के लेटेस्ट डिजाइन के कपड़े मिलते हैं. ऐसे में काफी अच्छा बिजनेस यहां पर होता है लेकिन इस बार कोरोना के चलते इस पर भी प्रभाव पड़ा है, महामारी के चलते सर्दियों के कपड़ों का प्रोडक्शन नहीं हो पाया है.

ट्रांसपोर्टेशन भी महंगा हुआ है इसके चलते भी व्यापार पर असर पड़ा है. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी सर्दी के 3 महीने बाकी हैं ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में कुछ अच्छा बिजनेस हो सकता है.

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