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किसान नेता रामपाल के सवाल, न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिकता के उपरांत भी किसान वंचित क्यों ?

केंद्र सरकार कानून/योजनाओं को राज्यों द्वारा क्रियान्वयन कराने के लिए प्रोत्साहन देने की योजनाओं की घोषणा कर प्रभावी अनुवीक्षण (मॉनिटरिंग) के द्वारा शीघ्र पूरी करा सकती है. पांच वर्ष का समय व्यतीत हो जाना केंद्र सरकार द्वारा इस कार्य को प्राथमिकता नहीं देने का परिचायक है. इस विषय को गति देने के लिए केंद्र सरकार को प्रोत्साहन की दृष्टि से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की क्रियान्वित पर राज्यों द्वारा किये जाने वाले खर्चों के पुनर्भरण की घोषणा तत्काल करनी चाहिए.

किसान नेता रामपाल
किसान नेता रामपाल
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Published : Dec 8, 2021, 8:28 PM IST

नई दिल्लीः दो दशकों से अधिक समय से जिन सुधारों की प्रक्रिया के आधारों पर पांच जून 2020 को जिन तीन कानूनों को केंद्र सरकार लेकर आयी और 29 नवंबर 2021 को निरस्त करने के लिए संसद को विधेयक पारित करने पड़े थे, इन्ही सुधारों के अंतर्गत केंद्र द्वारा आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन मंडी (उन्नयन एवं सुविधा) अधिनियम, 2017 का प्रारूप तैयार किया गया. उसे केंद्र सरकार ने लागू कराने के लिए रूचि दिखाई होती तो देश के किसानो के चेहरे खिले होते. यह कहना है किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट (National President of Kisan Mahapanchayat Rampal Jat) का.

रामपाल जाट ने कहा कि राज्यों ने भी इस विषय में किसानों के साथ बेरुखी (Rampal Jat said states also showed disinterest with farmers) दिखाई है. गुजरात में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में क्रय-विक्रय नहीं करने का अनुज्ञा पत्रों में उल्लेख होते हुए भी इसकी पालना अभी तक नहीं किया गया. इसी प्रकार अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में फसल बेचने को विवश होना पड़ता है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी की वैधानिकता होते हुए भी कृषि उपजों के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्राप्ति से किसान वंचित है.

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्या कहा किसान नेता ने.

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रामपाल ने कहा कि एक शब्द MAY को SHALL नहीं बनाने के कारण जम्मू कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान, गोवा में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों क्रय-विक्रय रोकने के प्रावधान राज्यों की इच्छा पर छोड़े हुए है. SHALL शब्द प्रतिस्थापित होते ही ये प्रावधान भी बाध्यकारी हो सकते हैं किन्तु राज्यों की उदासीनता के कारण किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के वैधानिक अधिकार दूर की कौड़ी बना हुआ है.

इसे भी पढ़ेंः Farmer Protest : हरियाणा के संगठन आंदोलन खत्म करने को राजी, इन मांगों पर बनी सहमति

इनके अतिरिक्त आंध्रप्रदेश, असम, पंजाब, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, मेघालय, केरल, त्रिपुरा, कर्णाटक, छत्तीसगढ़ राज्यों में आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन मंडी (उन्नयन एवं सुविधा) अधिनियम, 2017 के आधार पर कानून बनाए जाने से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी को वैधानिकता प्रदान की जा सकती है.

नई दिल्लीः दो दशकों से अधिक समय से जिन सुधारों की प्रक्रिया के आधारों पर पांच जून 2020 को जिन तीन कानूनों को केंद्र सरकार लेकर आयी और 29 नवंबर 2021 को निरस्त करने के लिए संसद को विधेयक पारित करने पड़े थे, इन्ही सुधारों के अंतर्गत केंद्र द्वारा आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन मंडी (उन्नयन एवं सुविधा) अधिनियम, 2017 का प्रारूप तैयार किया गया. उसे केंद्र सरकार ने लागू कराने के लिए रूचि दिखाई होती तो देश के किसानो के चेहरे खिले होते. यह कहना है किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट (National President of Kisan Mahapanchayat Rampal Jat) का.

रामपाल जाट ने कहा कि राज्यों ने भी इस विषय में किसानों के साथ बेरुखी (Rampal Jat said states also showed disinterest with farmers) दिखाई है. गुजरात में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में क्रय-विक्रय नहीं करने का अनुज्ञा पत्रों में उल्लेख होते हुए भी इसकी पालना अभी तक नहीं किया गया. इसी प्रकार अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में फसल बेचने को विवश होना पड़ता है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी की वैधानिकता होते हुए भी कृषि उपजों के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्राप्ति से किसान वंचित है.

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्या कहा किसान नेता ने.

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रामपाल ने कहा कि एक शब्द MAY को SHALL नहीं बनाने के कारण जम्मू कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान, गोवा में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों क्रय-विक्रय रोकने के प्रावधान राज्यों की इच्छा पर छोड़े हुए है. SHALL शब्द प्रतिस्थापित होते ही ये प्रावधान भी बाध्यकारी हो सकते हैं किन्तु राज्यों की उदासीनता के कारण किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के वैधानिक अधिकार दूर की कौड़ी बना हुआ है.

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इनके अतिरिक्त आंध्रप्रदेश, असम, पंजाब, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, मेघालय, केरल, त्रिपुरा, कर्णाटक, छत्तीसगढ़ राज्यों में आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन मंडी (उन्नयन एवं सुविधा) अधिनियम, 2017 के आधार पर कानून बनाए जाने से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी को वैधानिकता प्रदान की जा सकती है.

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