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Raghav Chadha On Bungalow: सरकारी बंगला खाली करने के आदेश पर राघव चड्ढा बोले- मुझे निशाना बनाया जा रहा है - Raghav Chadha to vacate Type 7 bungalow

राघव चड्ढा ने कहा कि राज्यसभा के 70 से अधिक वर्षों के इतिहास में यह अप्रत्याशित घटना है कि एक मौजूदा राज्यसभा सांसद को उसके आवंटित आवास से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है. दरसल, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने राघव चड्ढा को टाइप 7 बंगला खाली करने का आदेश दिया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 7, 2023, 7:54 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा को लुटियंस जोन में मिले टाइप 7 बंगला खाली करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय के बंगला खाली करने के नोटिस को सही ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सरकारी आवास पर कब्जे का अधिकार नहीं है क्योंकि यह केवल एक सांसद के रूप में उन्हें दिया गया विशेषाधिकार था. कोर्ट के आदेश के बाद अब राघव चड्ढा का बयान सामने आया है.

आदेश में कई अनियमितताएं

सरकारी बंगले को लेकर कोर्ट के आदेश के बाद राघव ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "मुझे आवंटित किए गए आधिकारिक आवास को बिना किसी सूचना के रद्द किया गया है, जो मनमाने रवैये को दर्शाता है. राज्यसभा के 70 से अधिक वर्षों के इतिहास में यह अप्रत्याशित घटना है कि एक मौजूदा राज्यसभा सदस्य को उसके आवंटित आवास से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है, जहां वो पिछले कुछ समय से रह रहा है और बतौर राज्यसभा सदस्य उसका कार्यकाल 4 साल से अधिक अभी भी बाकी है."

राघव चड्ढा ने कहा कि इस पूरी कवायद के तरीके को देखकर यह मानने के लिए विवश होना पड़ रहा है कि ये सब भाजपा के आदेश पर अपने राजनीतिक उद्देश्यों और निजी स्वार्थों के लिए किया गया है, ताकि उनके जैसे मुखर सांसदों द्वारा उठाई जा रही राजनीतिक आलोचना को दबाया जा सके."

उक्त आवास का आवंटन राज्यसभा के माननीय सभापति द्वारा स्वयं उनकी सभी विशिष्टताओं को ध्यान में रखने के बाद किया गया था. हालांकि बाद में बिना किसी कारण के आवास रद्द कर दिया गया. यह स्वतः संज्ञान कार्रवाई गलत तरीके से निशाना बनाने और परेशान करने के लिए की गई. इसी बीच संसद से उनका निलंबन भी कर दिया गया. यह सब सत्ता पक्ष के इशारे पर मुखर सांसदों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है. यह संसद सदस्यों का अपने कार्यों के उचित निर्वहन में अनुचित हस्तक्षेप है. साथ ही बदले की राजनीति की पराकाष्ठा है.

मुझे निशाना बनाया जा रहा…
बंगले के आवंटन रद किए जाने पर राघव ने कहा कि उनके कई पड़ोसी पहली बार सांसद बने हैं, जिनमें सुधांशु त्रिवेदी, दानिश अली, राकेश सिन्हा और रूपा गांगुली शामिल हैं. इन्हें भी इनकी पात्रता से ऊपर वाले आवास आवंटित है. दिलचस्प बात यह है कि 240 में से लगभग 118 राज्यसभा सदस्य अपनी पात्रता से उच्चे श्रेणी के आवास में रह रहे हैं, लेकिन भाजपा से सवाल पूछने वाले और स्वस्थ लोकतंत्र को बनाए रखने वाले मुखर सांसदों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. उनके मामले में भी ऐसा ही हुआ और यह एक चिंताजनक स्थिति है.

उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने शुरू में उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी और अंतरिम राहत दी थी. कोर्ट ने अब मेरे मामले को कानूनी पेचीदगियों पर पहुंचा दिया है, जिसके बारे में मुझे कानूनी रूप से सलाह दी गई है कि यह कानून की गलत समझ पर आधारित है. वह उचित समय पर कानून के तहत उचित कार्रवाई करेंगे. यह बताने की जरूरत नहीं है कि वे पंजाब और भारत के लोगों की आवाज निडरता से उठाना जारी रखूंगा, चाहे इसके लिए मुझे कोई भी कीमत चुकानी पड़े.

यह भी पढ़ें- Case of vacating government bungalow: AAP सांसद राघव चड्ढा को बड़ा झटका, कोर्ट ने सरकारी बंगाला खाली करने का दिया आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा को लुटियंस जोन में मिले टाइप 7 बंगला खाली करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय के बंगला खाली करने के नोटिस को सही ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि उन्हें सरकारी आवास पर कब्जे का अधिकार नहीं है क्योंकि यह केवल एक सांसद के रूप में उन्हें दिया गया विशेषाधिकार था. कोर्ट के आदेश के बाद अब राघव चड्ढा का बयान सामने आया है.

आदेश में कई अनियमितताएं

सरकारी बंगले को लेकर कोर्ट के आदेश के बाद राघव ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "मुझे आवंटित किए गए आधिकारिक आवास को बिना किसी सूचना के रद्द किया गया है, जो मनमाने रवैये को दर्शाता है. राज्यसभा के 70 से अधिक वर्षों के इतिहास में यह अप्रत्याशित घटना है कि एक मौजूदा राज्यसभा सदस्य को उसके आवंटित आवास से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है, जहां वो पिछले कुछ समय से रह रहा है और बतौर राज्यसभा सदस्य उसका कार्यकाल 4 साल से अधिक अभी भी बाकी है."

राघव चड्ढा ने कहा कि इस पूरी कवायद के तरीके को देखकर यह मानने के लिए विवश होना पड़ रहा है कि ये सब भाजपा के आदेश पर अपने राजनीतिक उद्देश्यों और निजी स्वार्थों के लिए किया गया है, ताकि उनके जैसे मुखर सांसदों द्वारा उठाई जा रही राजनीतिक आलोचना को दबाया जा सके."

उक्त आवास का आवंटन राज्यसभा के माननीय सभापति द्वारा स्वयं उनकी सभी विशिष्टताओं को ध्यान में रखने के बाद किया गया था. हालांकि बाद में बिना किसी कारण के आवास रद्द कर दिया गया. यह स्वतः संज्ञान कार्रवाई गलत तरीके से निशाना बनाने और परेशान करने के लिए की गई. इसी बीच संसद से उनका निलंबन भी कर दिया गया. यह सब सत्ता पक्ष के इशारे पर मुखर सांसदों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है. यह संसद सदस्यों का अपने कार्यों के उचित निर्वहन में अनुचित हस्तक्षेप है. साथ ही बदले की राजनीति की पराकाष्ठा है.

मुझे निशाना बनाया जा रहा…
बंगले के आवंटन रद किए जाने पर राघव ने कहा कि उनके कई पड़ोसी पहली बार सांसद बने हैं, जिनमें सुधांशु त्रिवेदी, दानिश अली, राकेश सिन्हा और रूपा गांगुली शामिल हैं. इन्हें भी इनकी पात्रता से ऊपर वाले आवास आवंटित है. दिलचस्प बात यह है कि 240 में से लगभग 118 राज्यसभा सदस्य अपनी पात्रता से उच्चे श्रेणी के आवास में रह रहे हैं, लेकिन भाजपा से सवाल पूछने वाले और स्वस्थ लोकतंत्र को बनाए रखने वाले मुखर सांसदों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. उनके मामले में भी ऐसा ही हुआ और यह एक चिंताजनक स्थिति है.

उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने शुरू में उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी और अंतरिम राहत दी थी. कोर्ट ने अब मेरे मामले को कानूनी पेचीदगियों पर पहुंचा दिया है, जिसके बारे में मुझे कानूनी रूप से सलाह दी गई है कि यह कानून की गलत समझ पर आधारित है. वह उचित समय पर कानून के तहत उचित कार्रवाई करेंगे. यह बताने की जरूरत नहीं है कि वे पंजाब और भारत के लोगों की आवाज निडरता से उठाना जारी रखूंगा, चाहे इसके लिए मुझे कोई भी कीमत चुकानी पड़े.

यह भी पढ़ें- Case of vacating government bungalow: AAP सांसद राघव चड्ढा को बड़ा झटका, कोर्ट ने सरकारी बंगाला खाली करने का दिया आदेश

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