नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मुंडका के अंदर हुए भीषण अग्निकांड के बाद सियासी माहौल पूरे तरीके से गरमा गया है. इस बीच राजधानी दिल्ली में व्यवसायिक गतिविधियों को लेकर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं. गौरतलब है कि दिल्ली में नगर निगम के द्वारा राजधानी के अंदर सिर्फ नॉन पोल्यूटिंग व्यवसाय को करने की इजाजत दी गई है. रिहायशी इलाकों में कोई भी व्यवसाय शुरू करने से पहले जमीन का कन्वर्जन कराने के साथ उसका चार्ज भरना आवश्यक होता है. साथ ही व्यवसाय के मुताबिक फैक्ट्री लाइसेंस, जर्नल ट्रेड लाइसेंस या फिर ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है. जिसके बाद ही उस जमीन का प्रयोग किया जा सकता है और यह लाइसेंस निगम के द्वारा तभी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए जाते हैं जब व्यक्ति के पास फायर विभाग के द्वारा एनओसी और तमाम जरूरी दस्तावेज उपलब्ध होते हैं.
राजधानी दिल्ली में अवैध अतिक्रमण पर दिल्ली नगर निगम द्वारा लगातार की जा रही कार्रवाई को लेकर सियासी विवाद गरमाया हुआ है. वहीं इस सब के बीच राजधानी दिल्ली में 2 दिन पहले मुंडका इंडस्ट्रियल क्षेत्र में 4 मंजिला इमारत में भीषण आग लगने और उसमें झुलसकर 30 से ज्यादा लोगों की दुखद मृत्यु हो जाने पर दिल्ली में अब ओर सियासत और तेज हो गई है.
मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया में 4 मंजिला इमारत में हुए भीषण अग्निकांड के बाद जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी और बीजेपी आमने-सामने हैं और एक दूसरे पर पूरे अग्निकांड की जिम्मेदारी का टिकरा फोड़ रही है. वहीं दूसरी तरफ मामले की गंभीरता को देख दिल्ली सरकार के द्वारा मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए जाने के साथ ही नार्थ एमसीडी ने नींद से जागते हुए, निगम के कमिश्नर संजय गोयल के द्वारा अपने सभी 6 जोन के डीसी को कड़े निर्देश दे दिए गए हैं कि 48 घंटे के अंदर एरिया का सर्वे करके बताएं कि कौन सी फैक्ट्री बिना लाइसेंस के चल रही है और कहां कानून का पालन नहीं किया जा रहा और नियमों का उल्लंघन हो रहा है. यह पूरी रिपोर्ट अगले 48 घंटे में निगम अधिकारियों को जमा करानी होगी.
इन मांगों पर होगी निगम द्वारा इमारतों की जांच-
- मुंडका में आने वाली ऐसी सभी इमारतें जो रिहायशी या लाल डोरे की जमीन पर स्थित है.
- निर्माण के वर्ष के साथ बिल्डिंग की ऊंचाई कितनी है, बिल्डिंग पुरानी है या नई है, उसकी मेंटेनेंस सही से की गई है या नहीं, इमारत में कोई मरम्मत का काम चल रहा है या नहीं.
- बिल्डिंग का प्लान मंजूर हुआ था या नहीं अगर नहीं हुआ उसके बाद भी कंस्ट्रक्शन की गई तो किसकी लापरवाही है.
- सबसे जरूरी फायर विभाग से बिल्डिंग को नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट मिला है या नहीं.
- फैक्ट्री लाइसेंस ट्रेड लाइसेंस और दूसरी परमिशन निगम से ली गई है या नहीं.
- बिल्डिंग का कन्वर्जन चार्ज, प्रॉपर्टी टैक्स ओर निगम का कोई बकाया तो नहीं.
- कोई ऐसी इमारत तो नहीं है या बिल्डिंग तो नहीं है जिस पर पहले भी कोई एक्शन लिया गया हो और उसमें सुधार ना हुआ हो.
मुंडका अग्निकांड के पीछे एक बात तो साफ है कि इसमें लापरवाहियों की एक लंबी फेहरिस्त है. जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
देश की राजधानी दिल्ली में आने वाले विभिन्न इंडस्ट्रियल एरिया जो दिल्ली नगर निगम के तीन अलग-अलग हिस्सों के अंतर्गत आते हैं. उनमें किसी भी प्रकार की कोई भी पोल्यूटिंग इंडस्ट्री को दिल्ली में स्थापित करने की अनुमति निगम के द्वारा नहीं दी गई है. राजधानी दिल्ली में सिर्फ नॉन पोल्यूटिंग इंडस्ट्री को ही स्थापित करके कारोबार किया जा सकता है. हालांकि बीते 2 साल में दिल्ली की तीनों नगर निगमों द्वारा दिल्ली में उद्योगों को बढ़ावा देने के मद्देनजर नियमों को सरल कर व्यापारी वर्ग को एक बड़ी राहत दी गई है. सभी प्रकार के लाइसेंस और इजाजत के साथ फीस को अब निगम की ऑनलाइन वेबसाइट पर ही जमा कराया जा सकता है, जिससे नौकरशाही पर निगम के द्वारा लगाम लगाने के साथ भ्रष्टाचार पर भी काफी हद तक रोक लगाई गई है. वहीं इमारत में जहां पहले सिर्फ ग्राउंड फ्लोर पर ही इंडस्ट्रियल क्षेत्र के अंदर इंडस्ट्री स्थापित करने की इजाजत होती थी. वहीं अब इमारत के हर मंजिल पर निगम के द्वारा परमिशन दी जाने की सुविधा निगम ने शुरू कर दी है. जिसके मद्देनजर निगम की वेबसाइट पर आवेदन करके आसानी से ना सिर्फ फैक्ट्री लाइसेंस प्राप्त किया जा सकता है बल्कि बाकी सभी फॉर्मेलिटीज को भी पूरा किया जा सकता है. फैक्ट्री लाइसेंस, जर्नल ट्रेड लाइसेंस, ट्रेड लाइसेंस, गोदाम के लिए जरूरी लाइसेंस के साथ प्रॉपर्टी टैक्स कन्वर्जन टैक्स इन सभी जरूरी चीजों के मद्देनजर निगम के द्वारा इंडस्ट्रियल एरिया के क्षेत्र में व्यापारी वर्ग को सुविधाएं देने के मद्देनजर इन सभी सुविधाओं को ऑनलाइन शुरू कर दिया गया है. साथ ही इन सभी चीजों के लिए महज चार डॉक्यूमेंट के साथ निगम के द्वारा अनुमति दी जा रही है.
इसी तरह निगम के द्वारा राजधानी दिल्ली में लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नियमों को ना सिर्फ सरल किया गया है बल्कि सारी सुविधाओं को ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया गया है. साथ ही निगम के द्वारा लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 9 किलो वाट बिजली की क्षमता का प्रयोग और लघु उद्योग में 13 आदमियों तक को अनुमति भी दे दी गई.
पूरे मामले पर नॉर्थ एमसीडी के मेयर राजा इकबाल सिंह ने फोन पर भी बातचीत में साफ तौर पर कहा कि नॉर्थ एमसीडी के सभी से जोन के डिप्टी कमिश्नर को निर्देश दे दिए गए हैं. 48 घंटे के बाद जो रिपोर्ट आएगी उसके बाद एक्शन लिया जाएगा. गौरतलब है कि मुंडका इंडस्ट्रियल एरिया नरेला जोन के अंतर्गत आता है और पूरे अगर नरेला जोन की बात की जाए तो यहां पर लगभग एक हजार से ज्यादा फैक्टरियां ऐसी हैं. एक अनुमान के मुताबिक जहां पर नियमों का ना सिर्फ सीधे तौर पर उल्लंघन हो रहा है बल्कि किसी भी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है. हालात तो यह है कि सुरक्षा के मद्देनजर उठाए जा रहे किसी भी कदम को नहीं रखा गया है.
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