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Exclusive : सर्दियों से पहले पंजाब ने कुछ यूं की है प्रदूषण से निपटने की तैयारी, ईटीवी की खास रिपोर्ट

सरकार ने पिछले साल किसानों को पराली नष्ट करने के लिए 28 हजार मशीनें दी थी. जिस पर उन्हें 50 से 80 फीसदी तक सब्सिडी भी दी गई थी. ठीक इसी प्रकार इस साल भी किसानों को इतनी ही बड़ी संख्या में मशीनें दी जा रही हैं.

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Published : Sep 21, 2019, 3:40 AM IST

पंजाब कृषि विभाग के सचिव से ईटीवी की खास बातचीत

नई दिल्ली : सर्दियां आते ही दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या बन जाता है. इसमें पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब में जलाई जाने वाली पराली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हालांकि इस साल पंजाब सरकार ने इससे निपटने की तैयारी कर ली है.

पंजाब कृषि विभाग के सचिव से ईटीवी की खास बातचीत

'अक्टूबर से धान की कटाई होगी शुरू'

पंजाब कृषि विभाग के सचिव काहन सिंह पन्नू ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि पंजाब समेत तमाम राज्यों में अक्टूबर से धान की फसल की कटाई शुरू हो जाती है, इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने पराली को बिना जलाए नष्ट करने की तैयारी पूरी कर ली है.

'पंजाब में निकलती है 20 मिलियन टन पराली'

काहन सिंह ने बताया कि धान की कटाई के समय पंजाब में करीब 20 मिलियन टन पराली निकलती है. जिसे नष्ट करना सरकार के पास एक बड़ी समस्या होती है. पिछले कई सालों से ये बड़ी समस्या उभर कर सामने आ रही है. जिससे निपटने के लिए इस साल सरकार ने, किसानों ने और यहां तक कि केंद्र सरकार ने भी हमें सहयोग दिया है.

'किसानों को दी जा रही हैं मशीनें'

केएस पन्नू ने बताया कि सरकार ने पिछले साल किसानों को पराली नष्ट करने के लिए 28 हजार मशीनें दी थी. जिस पर उन्हें 50 से 80 फीसदी तक सब्सिडी भी दी गई थी. ठीक इसी प्रकार इस साल भी किसानों को इतनी ही बड़ी संख्या में मशीनें दी जा रही हैं. जिन पर उन्हें सब्सिडी दी जाएगी और किसान इन मशीनों के जरिए पराली को बिना जलाए नष्ट कर सकेंगे.

'किसानों को किया जा रहा जागरूक'

उन्होंने बताया कि पंजाब में करीब 12 हजार ऐसे गांव हैं, जहां मुख्य तौर पर पराली जलाई जाती है. इन गांव में पंजाब सरकार की ओर से अधिकारी लगाए गए हैं. अधिकारी और उसकी टीम गांव जाकर किसानों को पराली जलाए जाने के बाद होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करेगी.

दूसरे राज्यों के आरोप पर बोले पन्नू

वहीं हमने जब दिल्ली और अन्य राज्यों द्वारा पंजाब पर प्रदूषण फैलाए जाने के आरोप को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि प्रदूषण लेवल बढ़ने को लेकर केवल पंजाब को दोषी नहीं माना जा सकता है. क्योंकि जो पराली का धुंआ दिल्ली या अन्य राज्यों तक जाता है, पहले वो पंजाब हरियाणा में ही लोगों को इफेक्ट करता है.

इसलिए पूरी तरीके से पंजाब इसके लिए जिम्मेदार नहीं होता है. हालांकि कुछ हद तक हम इसे मान सकते हैं और इस पर पंजाब सरकार काम कर रही है.

1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक चलेगा अभियान

केएस पन्नू ने बताया इसके अलावा कृषि विभाग की ओर से 1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. सोशल मीडिया और प्रिंट समेत तमाम तरीकों से किसानों को और लोगों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी जाएगी.

नई दिल्ली : सर्दियां आते ही दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या बन जाता है. इसमें पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब में जलाई जाने वाली पराली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हालांकि इस साल पंजाब सरकार ने इससे निपटने की तैयारी कर ली है.

पंजाब कृषि विभाग के सचिव से ईटीवी की खास बातचीत

'अक्टूबर से धान की कटाई होगी शुरू'

पंजाब कृषि विभाग के सचिव काहन सिंह पन्नू ने ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि पंजाब समेत तमाम राज्यों में अक्टूबर से धान की फसल की कटाई शुरू हो जाती है, इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने पराली को बिना जलाए नष्ट करने की तैयारी पूरी कर ली है.

'पंजाब में निकलती है 20 मिलियन टन पराली'

काहन सिंह ने बताया कि धान की कटाई के समय पंजाब में करीब 20 मिलियन टन पराली निकलती है. जिसे नष्ट करना सरकार के पास एक बड़ी समस्या होती है. पिछले कई सालों से ये बड़ी समस्या उभर कर सामने आ रही है. जिससे निपटने के लिए इस साल सरकार ने, किसानों ने और यहां तक कि केंद्र सरकार ने भी हमें सहयोग दिया है.

'किसानों को दी जा रही हैं मशीनें'

केएस पन्नू ने बताया कि सरकार ने पिछले साल किसानों को पराली नष्ट करने के लिए 28 हजार मशीनें दी थी. जिस पर उन्हें 50 से 80 फीसदी तक सब्सिडी भी दी गई थी. ठीक इसी प्रकार इस साल भी किसानों को इतनी ही बड़ी संख्या में मशीनें दी जा रही हैं. जिन पर उन्हें सब्सिडी दी जाएगी और किसान इन मशीनों के जरिए पराली को बिना जलाए नष्ट कर सकेंगे.

'किसानों को किया जा रहा जागरूक'

उन्होंने बताया कि पंजाब में करीब 12 हजार ऐसे गांव हैं, जहां मुख्य तौर पर पराली जलाई जाती है. इन गांव में पंजाब सरकार की ओर से अधिकारी लगाए गए हैं. अधिकारी और उसकी टीम गांव जाकर किसानों को पराली जलाए जाने के बाद होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करेगी.

दूसरे राज्यों के आरोप पर बोले पन्नू

वहीं हमने जब दिल्ली और अन्य राज्यों द्वारा पंजाब पर प्रदूषण फैलाए जाने के आरोप को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि प्रदूषण लेवल बढ़ने को लेकर केवल पंजाब को दोषी नहीं माना जा सकता है. क्योंकि जो पराली का धुंआ दिल्ली या अन्य राज्यों तक जाता है, पहले वो पंजाब हरियाणा में ही लोगों को इफेक्ट करता है.

इसलिए पूरी तरीके से पंजाब इसके लिए जिम्मेदार नहीं होता है. हालांकि कुछ हद तक हम इसे मान सकते हैं और इस पर पंजाब सरकार काम कर रही है.

1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक चलेगा अभियान

केएस पन्नू ने बताया इसके अलावा कृषि विभाग की ओर से 1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. सोशल मीडिया और प्रिंट समेत तमाम तरीकों से किसानों को और लोगों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी जाएगी.

Intro:सर्दियां आते हैं दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की समस्या सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आती है और इसमें पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब में जलाई जाने वाली पराली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है लेकिन इस साल पराली जलाने के बाद होने वाली समस्या से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने पूरी तरीके से कमर कस ली है


Body:1 अक्टूबर से धान की कटाई होगी शुरू
पंजाब कृषि विभाग के सचिव काहन सिंह पन्नू ने बताया कि जिस तरीके से पंजाब समेत तमाम राज्यों में अक्टूबर से धान की फसल की कटाई शुरू हो जाती है इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस साल पराली को बिना जलाए नष्ट करने की तैयारी पूरी कर ली है

पंजाब में निकलती है 20 मिलियन टन पराली
उन्होंने बताया कि धान की कटाई के समय पंजाब में करीब 20 मिलियन टन पराली निकलती है जिसे नष्ट करना सरकार के पास एक बड़ी समस्या होती है और पिछले कई सालों से यह बड़ी समस्या उभर कर सामने आ रही है जिसको लेकर इस साल सरकार ने किसानों ने यहां तक कि केंद्र सरकार ने भी हमें सहयोग दिया है

किसानों को दी जा रही पराली नष्ट करने के लिए मशीनें
केएस पन्नू ने बताया सरकार ने पिछले साल किसानों को 28 हज़ार पराली को नष्ट करने के लिए मशीनें दी गई थी जिस पर उन्हें 50 से 80 फ़ीसदी तक सब्सिडी भी दी गई थी ठीक इसी प्रकार इस साल भी किसानों को इतनी ही बड़ी संख्या में मशीनें दी जा रही हैं जिन पर उन्हें सब्सिडी दी जाएगी और किसान इन मशीनों के जरिए पराली को बिना जलाए नष्ट कर सकेंगे.

हर एक गांव में जाकर किसान को किया जा रहा जागरूक
इसके अलावा उन्होंने बताया कि पंजाब में करीब 12 हज़ार ऐसे गांव हैं जहां मुख्य तौर पर पराली जलाई जाती है इन गांव में पंजाब सरकार की ओर से हर एक अधिकारी को हर एक गांव में लगाया गया है जिससे कि वह अधिकारी और उसकी टीम उस गांव में जाकर तमाम किसानों को पराली जलाए जाने के बाद होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करेगी.


Conclusion:दूसरे राज्यों के आरोप पर बोले पन्नू
वही हमने जब दिल्ली और अन्य राज्यों द्वारा पंजाब पर प्रदूषण फैलाए जाने के आरोप को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि प्रदूषण लेवल बढ़ने को लेकर केवल पंजाब को दोषी नहीं माना जा सकता क्योंकि जो पराली का धूंआ दिल्ली या अन्य राज्यों तक जाता है पहले वह पंजाब हरियाणा में ही लोगों को इफेक्ट करता है तो इसलिए पूरी तरीके से पंजाब इसके लिए जिम्मेदार नहीं होता है हालांकि कुछ हद तक हम इसे मान सकते हैं और इस पर पंजाब सरकार काम कर रही है

1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक चलेगा अभियान
केएस पन्नू ने बताया इसके अलावा कृषि विभाग की ओर से 1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है सोशल मीडिया और प्रिंट समेत तमाम तरीकों से किसानों को और लोगों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी जाएगी
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