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दिल्ली कंझावला केसः पितृसत्तात्मक सोच, हिंसक सिनेमा और गेम हो सकती है इन घटनाओं की वजह - कंझावला जैसी घटनाओं की वजह

दिल्ली कंझावला हिट एंड रन मामले (Kanjhawala hit and run case) में मनोवैज्ञानिकों ने पितृसत्तात्मक सोच, हिंसक सिनेमा और गेम को वजह माना है. उनका कहना है कि वर्तमान में ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने से विदेशी और देशी दोनों सिनेमा अधिक हिंसात्मक हो गए हैं. इस कारण हमारे युवाओं का अंतर्मन भी दूषित हो गया है.

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Published : Jan 6, 2023, 3:54 PM IST

नई दिल्ली: कंझावला हिट एंड रन मामले (Kanjhawala hit and run case) में पुलिस जांच में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिसने मनोवैज्ञानिकों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपियों को घटना के तुरंत बाद ही पता चल गया था कि उनकी कार के नीचे अंजलि आ गई है. इसके बावजूद उन्होंने कार को रोकना मुनासिब नहीं समझा. बल्कि उस कार को 13 से 14 किलोमीटर तक तेज रफ्तार में चलाते रहे. इस दौरान अंजलि का शव पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो गया था. बावजूद इसके आरोपी लगातार खुद को बचाने का प्रयास करते दिखाई दिए.

मनोवैज्ञानिक और लिंगया विद्यापीठ में मनोविज्ञान विषय की विभागाध्यक्ष गुरविंदर आहलूवालिया बताती हैं कि इस मामले में हमारी पितृसत्तात्मक सोच एक बड़ी वजह नजर आ रही है. जिस तरह से आज की पीढ़ी में जेंडर को लेकर डिस्क्रिमिनेशन दिखाई दे रहा है, वह पिछली सदी के मुकाबले कहीं ज्यादा है. अपना अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि जब वह अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थी, तब उन्हें कभी भी इस प्रकार की इनसिक्योरिटी फील नहीं हुई. लेकिन जब वह वर्तमान में बच्चों को पढ़ाती हैं तो लड़कियों के बीच असुरक्षा की भावना अधिक है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में ओटीटी प्लेटफॉर्म के आ जाने से विदेशी और देसी दोनों सिनेमा अधिक हिंसात्मक हो गया है. हिंसात्मक सिनेमा देखने से मनोविकार उत्पन्न हो सकते हैं. वहीं, बच्चों के मन बहलाने के लिए लाए गए वीडियो गेम्स भी बहुत अधिक हिंसक हैं. इसके बाद यदि व्यक्ति किसी आपराधिक प्रवृत्ति में पड़ता है तो वह अन्य अपराधियों के मुकाबले अधिक हिंसक और वहशी हो जाता है. ऐसे में कहीं ना कहीं हमें इस प्रकार के कंटेंट को नई पीढ़ी के दिमाग में जाने से रोकना होगा.

गाड़ी के ढांचे में फंस सकता है ऑब्जेक्ट: ऑटो एक्सपर्ट

दिल्ली के ऑटो एक्सपर्ट एसपी सिंह बताते हैं कि कार के नीचे का हिस्से की बनावट ऐसी होती है कि कोई भी चीज बहुत देर तक फंसी ना रह सके. क्योंकि यदि कोई भी ऑब्जेक्ट बहुत देर तक गाड़ी के निचले हिस्से में फंसा रहेगा जिससे गाड़ी को अधिक नुकसान पहुंच सकता है. जहां तक बात है इंसानी शरीर की तो संभवत गाड़ी आगे पीछे की गई होगी, जिसके बाद गाड़ी के किसी ढांचागत हिस्से में शरीर की कोई हड्डी जरूर फंस गई होगी. क्योंकि कपड़ा या बेल्ट फसने पर लंबी दूरी तक वह टिक नहीं सकता.

कार कंपनी के अधिकारी करेंगे बलेनो कार का निरीक्षणः पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अंजलि का शरीर किस तरह से बलेनो कार के नीचे फंसा, इसको लेकर ऑटोमोबाइल कंपनी भी जांच कर रही है. जल्द कंपनी के टेक्निकल एक्सपर्ट दुर्घटना बेस्ट स्मॉल कार का निरीक्षण करने के लिए आ सकते हैं. इसके बाद ही बेहतर तरीके से सामने आएगा कि अंजलि का शरीर दुर्घटना के बाद कैसे कार के नीचे फंस गया.

नई दिल्ली: कंझावला हिट एंड रन मामले (Kanjhawala hit and run case) में पुलिस जांच में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिसने मनोवैज्ञानिकों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपियों को घटना के तुरंत बाद ही पता चल गया था कि उनकी कार के नीचे अंजलि आ गई है. इसके बावजूद उन्होंने कार को रोकना मुनासिब नहीं समझा. बल्कि उस कार को 13 से 14 किलोमीटर तक तेज रफ्तार में चलाते रहे. इस दौरान अंजलि का शव पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो गया था. बावजूद इसके आरोपी लगातार खुद को बचाने का प्रयास करते दिखाई दिए.

मनोवैज्ञानिक और लिंगया विद्यापीठ में मनोविज्ञान विषय की विभागाध्यक्ष गुरविंदर आहलूवालिया बताती हैं कि इस मामले में हमारी पितृसत्तात्मक सोच एक बड़ी वजह नजर आ रही है. जिस तरह से आज की पीढ़ी में जेंडर को लेकर डिस्क्रिमिनेशन दिखाई दे रहा है, वह पिछली सदी के मुकाबले कहीं ज्यादा है. अपना अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि जब वह अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थी, तब उन्हें कभी भी इस प्रकार की इनसिक्योरिटी फील नहीं हुई. लेकिन जब वह वर्तमान में बच्चों को पढ़ाती हैं तो लड़कियों के बीच असुरक्षा की भावना अधिक है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में ओटीटी प्लेटफॉर्म के आ जाने से विदेशी और देसी दोनों सिनेमा अधिक हिंसात्मक हो गया है. हिंसात्मक सिनेमा देखने से मनोविकार उत्पन्न हो सकते हैं. वहीं, बच्चों के मन बहलाने के लिए लाए गए वीडियो गेम्स भी बहुत अधिक हिंसक हैं. इसके बाद यदि व्यक्ति किसी आपराधिक प्रवृत्ति में पड़ता है तो वह अन्य अपराधियों के मुकाबले अधिक हिंसक और वहशी हो जाता है. ऐसे में कहीं ना कहीं हमें इस प्रकार के कंटेंट को नई पीढ़ी के दिमाग में जाने से रोकना होगा.

गाड़ी के ढांचे में फंस सकता है ऑब्जेक्ट: ऑटो एक्सपर्ट

दिल्ली के ऑटो एक्सपर्ट एसपी सिंह बताते हैं कि कार के नीचे का हिस्से की बनावट ऐसी होती है कि कोई भी चीज बहुत देर तक फंसी ना रह सके. क्योंकि यदि कोई भी ऑब्जेक्ट बहुत देर तक गाड़ी के निचले हिस्से में फंसा रहेगा जिससे गाड़ी को अधिक नुकसान पहुंच सकता है. जहां तक बात है इंसानी शरीर की तो संभवत गाड़ी आगे पीछे की गई होगी, जिसके बाद गाड़ी के किसी ढांचागत हिस्से में शरीर की कोई हड्डी जरूर फंस गई होगी. क्योंकि कपड़ा या बेल्ट फसने पर लंबी दूरी तक वह टिक नहीं सकता.

कार कंपनी के अधिकारी करेंगे बलेनो कार का निरीक्षणः पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अंजलि का शरीर किस तरह से बलेनो कार के नीचे फंसा, इसको लेकर ऑटोमोबाइल कंपनी भी जांच कर रही है. जल्द कंपनी के टेक्निकल एक्सपर्ट दुर्घटना बेस्ट स्मॉल कार का निरीक्षण करने के लिए आ सकते हैं. इसके बाद ही बेहतर तरीके से सामने आएगा कि अंजलि का शरीर दुर्घटना के बाद कैसे कार के नीचे फंस गया.

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