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शाहीन बाग की तर्ज पर बस्ती हजरत निजामुद्दीन औलिया में महिलाओं का प्रदर्शन

राजधानी में हो रहे प्रदर्शन में नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (NCR) का ज़बरदस्त तरीके से विरोध हो रहा है और सरकार से ऐसे क़ानून की वापस लेने की अपील की जा रही है.

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Published : Feb 3, 2020, 4:48 PM IST

NRC-CAA
बस्ती हजरत निजामुद्दीन औलिया में महिलाओं का प्रदर्शन जारी

नई दिल्ली: बस्ती हज़रत निजामुद्दीन औलिया की महिलाएं ओखला के शाहीन बाग की ही तरह NRC, CAA और NPR का विरोध कर रही हैं. यहां पर सैकड़ों की संख्या में विरोध-प्रदर्शन के लिए एकजुट हो कर सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी कर रही हैं.

बस्ती हजरत निजामुद्दीन औलिया में महिलाओं का प्रदर्शन जारी

सड़कों पर महिलाएं
इस मौके पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए समाजसेवी खतीजा फातमा ने कहा कि देश की महिलाएं शुरू से ही संविधान पर विश्वास करती हैं इसीलिए यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही है, और यही महिलाएं देश में एकता और कानून को बचाने के लिए सड़कों पर उतर रही हैं.

उन्होंने कहा कि हमारे देश को ऐसे कानून की जरूरत नहीं है. हमारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह कानून सिर्फ धर्म की बुनियाद पर भेदभाव करने वाला है. खतीजा का यह भी कहना था कि हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के जरिए हमारी बात सुनी जाएगी और इस कानून में बदलाव के लिए सरकार को आदेश दिया जाएगा.

मुस्लिम महिलाओं का भी अहम रोल
सामाजिक कार्यकर्ता सविता ने कहा कि जो हमारी हजारों साल पुरानी गंगा जमुनी तहजीब है वह आगे भी कायम रहे. हम यह चाहते हैं नफरत को ना फैलाया जाए. उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई तो सब ने मिलजुल कर लड़ी थी तब तो हिंदू-मुस्लिम कुछ नहीं था.

आज ऐसे कानून के जरिए नफरत फैलाई जा रही है. मैं समझती हूं कि सभी धर्मों को ऐसे विवादित कानून के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और अल्पसंख्यकों विशेष तौर से मुसलमानों का साथ देना चाहिए. उन्होंने मुस्लिम महिलाओं पर दी जा रही विवादित बयान का खंडन किया और कहां के ऐसे लोगों को तारीख पढ़नी चाहिए कि मुस्लिम महिलाओं ने आजादी में कितना अहम रोल अदा किया था.

विवादित बयान पर मांगे माफी

भोगल गुरुद्वारे के सेक्रेटरी जनरल परमजीत सिंह सरना ने कहा कि हम यहां पर यह संदेश लेकर आए हैं जो मजलूम औरतें सर्दियों में सड़कों पर उतर कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही है, और अपने देश के संविधान को बचाने के लिए आगे आई है, वह काबिले तारीफ है, उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम समुदाय का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि सभी धर्मों का प्रदर्शन है.

उन्होंने कहा कि सरकार को कानून में बदलाव करना चाहिए. क्योंकि एक तरफा कानून है जो देश को तोड़ने वाला है. उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और अनुराग ठाकुर के विवादित बयान की कड़ी निंदा की और कहा कि उनको ऐसे पदों पर बैठने के बाद ऐसे बयान नहीं देने चाहिए. मेरी अपील यह है कि उनको सार्वजनिक तौर पर मुस्लिम महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए.

नई दिल्ली: बस्ती हज़रत निजामुद्दीन औलिया की महिलाएं ओखला के शाहीन बाग की ही तरह NRC, CAA और NPR का विरोध कर रही हैं. यहां पर सैकड़ों की संख्या में विरोध-प्रदर्शन के लिए एकजुट हो कर सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी कर रही हैं.

बस्ती हजरत निजामुद्दीन औलिया में महिलाओं का प्रदर्शन जारी

सड़कों पर महिलाएं
इस मौके पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए समाजसेवी खतीजा फातमा ने कहा कि देश की महिलाएं शुरू से ही संविधान पर विश्वास करती हैं इसीलिए यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही है, और यही महिलाएं देश में एकता और कानून को बचाने के लिए सड़कों पर उतर रही हैं.

उन्होंने कहा कि हमारे देश को ऐसे कानून की जरूरत नहीं है. हमारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह कानून सिर्फ धर्म की बुनियाद पर भेदभाव करने वाला है. खतीजा का यह भी कहना था कि हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के जरिए हमारी बात सुनी जाएगी और इस कानून में बदलाव के लिए सरकार को आदेश दिया जाएगा.

मुस्लिम महिलाओं का भी अहम रोल
सामाजिक कार्यकर्ता सविता ने कहा कि जो हमारी हजारों साल पुरानी गंगा जमुनी तहजीब है वह आगे भी कायम रहे. हम यह चाहते हैं नफरत को ना फैलाया जाए. उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई तो सब ने मिलजुल कर लड़ी थी तब तो हिंदू-मुस्लिम कुछ नहीं था.

आज ऐसे कानून के जरिए नफरत फैलाई जा रही है. मैं समझती हूं कि सभी धर्मों को ऐसे विवादित कानून के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और अल्पसंख्यकों विशेष तौर से मुसलमानों का साथ देना चाहिए. उन्होंने मुस्लिम महिलाओं पर दी जा रही विवादित बयान का खंडन किया और कहां के ऐसे लोगों को तारीख पढ़नी चाहिए कि मुस्लिम महिलाओं ने आजादी में कितना अहम रोल अदा किया था.

विवादित बयान पर मांगे माफी

भोगल गुरुद्वारे के सेक्रेटरी जनरल परमजीत सिंह सरना ने कहा कि हम यहां पर यह संदेश लेकर आए हैं जो मजलूम औरतें सर्दियों में सड़कों पर उतर कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही है, और अपने देश के संविधान को बचाने के लिए आगे आई है, वह काबिले तारीफ है, उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम समुदाय का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि सभी धर्मों का प्रदर्शन है.

उन्होंने कहा कि सरकार को कानून में बदलाव करना चाहिए. क्योंकि एक तरफा कानून है जो देश को तोड़ने वाला है. उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और अनुराग ठाकुर के विवादित बयान की कड़ी निंदा की और कहा कि उनको ऐसे पदों पर बैठने के बाद ऐसे बयान नहीं देने चाहिए. मेरी अपील यह है कि उनको सार्वजनिक तौर पर मुस्लिम महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए.

Intro:बस्ती हज़रत निजामुद्दीन औलिया की महिलाए ओखला के शाहीन बाग की ही तरह NRC, CAA और NPR का विरोध कर रही हैँ. यहां पर सैकड़ों की संख्या में विरोध-प्रदर्शन के लिए एकजुट हो कर सरकार के खिलाफ नारे बाज़ी कर रही है.
यहाँ हो रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन में नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NCR) का ज़बरदस्त तरीके से मुखालिफत की जा रही है और ऐसे काले क़ानून की वापस लेने की अपील की जा रही है.Body:मुस्लिम महिलाएं देश में एकता और कानून को बचाने के लिए सड़कों पर उतरी हैं

इस मौके पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए समाजसेवी खतीजा फातमा ने कहा कि देश की महिलाएं शुरू से ही संविधान पर विश्वास करती हैं इसीलिए यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही है, और यही महिलाएं देश में एकता और कानून को बचाने के लिए सड़कों पर उतर रही हैं. उन्होंने कहा कि हमारे देश को ऐसे कानून की जरूरत नहीं है, हमारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह कानून सिर्फ धर्म की बुनियाद पर भेदभाव करने वाला है. खतीजा का यह भी कहना था कि हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के जरिए हमारी बात सुनी जाएगी और इस काले कानून मैं तरमीम के लिए हुकूमत को हुकुम देंगे.

आजादी की लड़ाई में मुस्लिम महिलाओं का भी अहम रोल
सामाजिक कार्यकर्ता सविता ने कहा कि जो हमारी हजारों साल पुरानी गंगा जमुनी तहजीब है वह आगे भी कायम रहे, हम यह चाहते हैं नफरत को ना फेलाया जाए, उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई तो सब ने मिलजुल कर लड़ी थी तब तो हिंदू-मुस्लिम कुछ नहीं था, आज ऐसे कानून के जरिए नफरत फैलाई जा रही है, मैं समझती हूं कि सभी धर्मों को ऐसे विवादित कानून के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और अल्पसंख्यकों विशेष तौर से मुसलमानों का साथ देना चाहिए. उन्होंने मुस्लिम महिलाओं पर दी जा रही विवादित बयान का खंडन किया और कहां के ऐसे लोगों को तारीख पढ़नी चाहिए कि मुस्लिम महिलाओं ने आजादी में कितना अहम रोल अदा किया था.

विवादित बयान देने वाले लीडरों को माफी मांगनी चाहिए

भोगल गुरुद्वारे के सेक्रेटरी जनरल परमजीत सिंह सरना ने कहा कि हम यहां पर यह संदेश लेकर आए हैं जो मजलूम औरतें सर्दियों में सड़कों पर उतर कर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही है, और अपने देश के संविधान को बचाने के लिए आगे आई है, वह काबिले तारीफ है, उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम समुदाय का प्रदर्शन नहीं है, बलकी सभी धर्मों का प्रदर्शन है. उन्होंने कहा कि सरकार को कानून में तरमीम करनी चाहिए, क्योंकि एक तरफा कानून है जो देश को तोड़ने वाला है. उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और अनुराग ठाकुर के जरिए विवादित बयान की कड़ी निंदा की और कहा कि उनको ऐसे पदों पर बैठने के बाद ऐसे बयान नहीं देना चाहिए, मेरी अपील यह है कि उनको सार्वजनिक तौर पर मुस्लिम महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए.Conclusion:पहली बाइट. खदीजा फातमा
समाजसेवी

दूसरी बाइट. सविता
सामाजिक कार्यकर्ता

तीसरी बाइट. परमजीत सिंह सरना
सेक्रेट्री जनरल, भोगल गुरुद्वारा
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