नई दिल्ली: अयोध्या में रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद के विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जहां राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो गया है. वहीं अब मस्जिद निर्माण की ओर भी काम शुरू होने जा रहा है. बता दें कि अयोध्या में बनने वाली मस्जिद की डिज़ाइन तैयार करने का ज़िम्मा जामिया मिल्लिया इस्लामिया के आर्किटेक्ट विभाग के डीन प्रो. एस.एम अख्तर को दिया गया है.
वहीं प्रो.अख्तर ने कहा कि यह किसी मस्जिद की डिज़ाइन तैयार करने का सवाल नहीं है बल्कि यहां ऐसा परिसर बनेगा जो मानवता की सेवा को समर्पित होगा. इसका मूल उद्देश्य भारत के लोकाचार और इस्लाम की भावना को एक साथ लाना होगा.
मस्जिद और अस्पताल साथ-साथ
बता दें कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया के आर्किटेक्ट विभाग के डीन प्रो. एस.एम अख्तर को सौंपा गया है. इसको लेकर प्रो. अख्तर ने कहा कि उन्हें एक मौका मिला है एक जिम्मेदारी मिली है जिसे पूरी ईमानदारी से निभाना ही उनका लक्ष्य होगा. वहीं उन्होंने मंदिर-मस्जिद के विवादास्पद मुद्दे को दरकिनार कर एक नए सिरे से समाज कल्याण की ओर प्रयासरत होने की बात कही. प्रो. अख्तर ने कहा कि अयोध्या में पांच एकड़ भूमि दी गयी है. जिसका मस्जिद केवल एक हिस्सा भर होगा. इसके अलावा यहां ऐसा परिसर बनेगा जहां अस्पताल और शैक्षिक केंद्र भी होंगे.
जरूरी संस्थानों और केंद्रों का भी होगा निर्माण
प्रो. अख्तर ने कहा कि यह परियोजना केवल मस्जिद निर्माण की नहीं बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य समाज कल्याण है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में वसुधैव कुटुम्बकम की परंपरा चलती है. ऐसे में इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए एक ऐसा परिसर तैयार करने की योजना है, जहां मस्जिद में सजदा करने के साथ-साथ जरूरतमंदों को बेहतर मेडिकल सुविधा और छात्रों को उच्च शिक्षा मिल सके. साथ ही समाज में जो दूरियां हैं. उसे हटाकर सबको एक साथ लाना ही इस परियोजना की प्राथमिकता होगी.
मस्जिद के साथ हर जरूरत कर रखा जाएगा ख्याल
उन्होंने बताया कि अयोध्या में किन बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है, जिससे समाज के हर वर्ग के लोगों को खासतौर पर आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को फायदा पहुंचे. उसका आंकलन करने के बाद ही पक्के तौर पर यह निर्णय लिया जा सकेगा कि इस परिसर में क्या क्या बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि फिलहाल यहां हॉस्पिटल और स्कूल बनाने पर विचार किया जा रहा है. इसके अलावा लाइब्रेरी म्यूजियम आदि भी बनाये जा सकते हैं.
वहीं अयोध्या में बनने वाली मस्जिद के नाम को लेकर उन्होंने कहा कि भविष्य निर्माण के लिए जरूरी है कि बीती बातों को पीछे छोड़कर उससे सीख लेकर आगे बढ़ा जाए. इसलिए पुराने नाम से इसका कोई सरोकार नहीं होगा और समकालीन परिस्थिति को देखते हुए कुछ भी नाम रखा जा सकता है.