नई दिल्ली: दिल्ली के पुनर्वास बस्तियों, गांव देहात में संचालित होने वाले स्कूलों के प्रबंधकों ने अभिभावक और छात्रों के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. बता दें कि ये प्रदर्शन दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के बैनर तले आयोजित किया गया था.
'3 हजार स्कूलों को बंद करना चाहती है सरकार'
इस प्रदर्शन को लेकर दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने कहा कि सरकार इन बस्तियों में संचालित होने वाले करीब 3000 स्कूल को अपने तुगलकी फरमान के जरिए बंद करना चाहती हैं. जिसके कारण हम सभी को इस मामले को लेकर सड़क पर उतरना पड़ा है.
'इन स्कूलों के बच्चों के भविष्य का क्या होगा?'
उन्होंने कहा कि सरकार इन स्कूलों को बंद करना चाहती है, लेकिन कोई नया स्कूल बनाया नहीं है. इन स्कूलों में हजारों की संख्या कम फीस में बच्चे पढ़ाई करते हैं. अगर सरकार इन स्कूलों को बंद कर देती है. तो पुनर्वास बस्तियों, गांव देहात के बच्चे पढ़ने के लिए कहां जाएंगे. क्योंकि सरकार ने और स्कूल बनाए नहीं है. जो स्कूल है. उन में छात्रों की संख्या अधिक है और निजी स्कूलों की फीस अधिक है. ऐसे में अगर ये स्कूल बंद हो गए, तो ये सभी बच्चे कहां जाएंगे. इसका सरकार के पास कोई समाधान नहीं है.
स्कूलों को मिले थे मान्यता प्राप्त करने के आदेश
बता दें कि मई 2018 में दिल्ली सरकार ने इन स्कूलों को मान्यता लेने के लिए कहा था. इस पर दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने कहा कि मान्यता के लिए सरकार ने कड़े मानक तय किए हुए हैं. जिसके चलते मान्यता लेना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने बताया कि इन स्कूलों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों से बेहतर बच्चों को शिक्षा दी जाती है. ऐसे में सरकार इन स्कूलों के साथ भेदभाव क्यों कर रही है.
'इन स्कूलों के लिए नहीं आई कोई पॉलिसी'
बता दें कि 9 मई 2018 को दिल्ली शिक्षा निदेशालय की ओर से एक सर्कुलर निकाला गया था. जिसमें कहा गया था कि जो भी गैर मान्यता प्राप्त स्कूल है. मान्यता ले लें और कहा था कि हम पॉलिसी लेकर आएंगे. लेकिन आज तक सरकार इन स्कूलों के लिए कोई भी पॉलिसी लेकर नहीं आई है. जैन ने कहा कि अगर सरकार वो पॉलिसी लाई होती और निजी स्कूल खरे नहीं उतरते, तो हम उन स्कूलों को बंद कर देते. लेकिन सरकार का रवैया इन स्कूलों के खिलाफ ढीला है.