नई दिल्ली: दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बेहतर बनाने की कड़ी में केजरीवाल सरकार की प्रीमियम बस सेवा को लेकर तमाम अड़चनें अब खत्म होने के कगार पर है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि गत महीनों में उपराज्यपाल ने इस योजना को लेकर जो सवाल उठाए थे, उन सब का जवाब देकर दिल्ली सरकार द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव एलजी ऑफिस को भेज दिया गया है.
बस सेवा से कम होगा जाम: मुख्यमंत्री ने दावा किया कि प्रीमियम बस सेवा शुरू होने से सड़कों पर निजी वाहनें का दबाव कम होगा. दिल्ली सरकार ने इस योजना को मंजूरी देते हुए अब इसे उपराज्यपाल के पास भेज दिया है. वहां से स्वीकृति मिलते ही बस सेवा शुरू करने के लिए निजी ऑपरेटर लाइसेंस लेने के लिए आवेदन कर सकेंगे और 90 दिन में यह बसे सड़कों पर उतर सकती हैं.
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के परिवहन क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक पहल है. दिल्ली में एप आधारित “प्रीमियम बस सेवा” शुरू होने से सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ेगा तो प्रदूषण भी कम होगा. उन्होंने कहा कि प्रीमियम बस सेवा शुरू करने के लिए 2016 में दिल्ली सरकार ने स्कीम बनाई थी. किसी कारणवश उस समय उपराज्यपाल नजीब जंग ने इस स्कीम को एप्रूव करने से मना कर दिया था.
जून 2016 में भारतीय जनता पार्टी के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने एंटी करप्शन ब्रांच में शिकायत की कि भ्रष्टाचार हो गया और इसकी सारी जांच की जाए. केजरीवाल ने कहा कि तब स्कीम आई ही नहीं थी. यानी बच्चा पैदा ही नहीं हुआ था और भ्रष्टाचार हो गया. लगे आरोप की जांच हुई तो टीम को कुछ नहीं मिला. 2017 से 2019 के बीच ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने ऑब्जेक्शन लगाया है कि इस तरह की स्कीम नहीं लाई जा सकती.
प्रीमियम बस सेवा की खासियत: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में बसे हैं लेकिन पर्याप्त संख्या में अभी बस नहीं है. इन बसों में लोअर मिडिल क्लास के लोग सफर करते हैं. डीटीसी बस में सीट की कोई गारंटी नहीं है. अभी जो बसें चल रही है उसमें वो कंफर्ट नहीं है, जो एक अपर मिडिल क्लास और अपर क्लास चाहता है. उनके लिए हम पिछले तीन-चार साल से प्रीमियम बस सर्विस को लाना चाहते थे. यह अपनी तरह का एक पहला एक्सपेरिमेंट है, इस स्कीम के तहत एसी बसें चलाई जाएंगी. बसें कंफर्टेबल और टू बाय टू सीट की होंगी. एयर कंडीशन बसों के अंदर वाईफाई, जीपीएस, सीसीटीवी, पैनिक बटन होगा. इन बसों के लिए सीट की बुकिंग एप से होगी.
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नहीं होगी तीन साल से पुरानी बसें: इस योजना के तहत जो बसें चलेंगी वह 3 साल से अधिक पुरानी नहीं होंगी. एक जनवरी 2024 के बाद जो खरीदी जाएंगी उसका इलेक्ट्रिक होना जरूरी है और उसमें लाइसेंस दिया जाएगा. इलेक्ट्रिक बस लेने वालों को कोई लाइसेंस फीस नहीं देनी होगी. एक एग्रीगेटर कम से कम 50 बसें लाइसेंस मिलने के बाद ले सकता है.
खास बात इस स्कीम की है कि रूट्स हम नहीं करेंगे एग्रीगेटर खुद डिसाइड करेगा. जहां ज्यादा ट्रैफिक है वहां ज्यादा बस चलेगी जहां कम ट्रैफिक होगा वहां कम बसें चलेंगी. रूट एग्रीगेटर खुद डिसाइड करेंगे और दिल्ली सरकार को सूचित करेंगे. किराया भी एग्रीगेटर खुद डिसाइड करेगा. किराए से संबंधित सारी पेमेंट डिजिटली करनी होंगी, यह सारी बसें और एक सामान रंग की होंगी और बस के अंदर एग्रीगेटर अपना एडवर्टाइज कर सकता है और उस एडवर्टाइजमेंट से संचालक पैसा कमा सकता है.
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