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साहित्य अकादमी के "प्रवासी मंच" कार्यक्रम में अमेरिका से पहुंचे लेखक अनुराग शर्मा

साहित्य अकादमी के प्रवासी मंच कार्यक्रम में पधारे लेखक अनुराग शर्मा ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की. इस दौरान उन्होंने अमेरिका में हिंदी किताब के लिए अपने संघर्ष के बारे में भी बातया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 29, 2023, 8:34 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी के मंडी हाउस स्थित साहित्य अकादमी में पिट्सबर्ग अमेरिका से पधारे लेखक अनुराग शर्मा ने 29 दिसंबर को ‘प्रवासी मंच’ के अंतर्गत अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं. अमेरिका से जून 2016 से प्रकाशित हो रही ऑनलाइन मासिक पत्रिका सेतु के संस्थापक एवं संपादक अनुराग शर्मा ने सर्वप्रथम अपने अप्रकाशित उपन्यास का एक अंश प्रस्तुत किया, जो एक मरे हुए व्यक्ति का आत्मसंस्मरण था. जो अतीत को इस तरह देख रहा है, मानो ज़िंदा रहते हुए भी वह ज़िंदा नहीं था. अर्थात् वह अपने रोज़मर्रा के जीवन को इस तरीक़े से बिता रहा था कि उसमें जीवन का कोई अंश ही नहीं था.

इसके बाद उन्होंने ‘गंधहीन’ शीर्षक से कहानी प्रस्तुत की, जिसमें विदेशों में रह रहे एक भारतीय परिवार के बिखरते रिश्तों को दर्शाया गया था, जो कि वहां के जन-जीवन में रच-बस गया था कि भारतीय होने के ज़रा से भी प्रयास को अनदेखा ही नहीं बल्कि उपहास का प्रतीक बना रहा था. उनकी प्रस्तुत की गई अंग्रेज़़ी कहानी एक ऐसी लड़की की कहानी थी जो विदेश से वापस भारत नहीं आना चाहती है और वहाँ के दुख भरे जीवन को अपनाने को तैयार है.

अनुराग शर्मा के रचना-पाठ के बाद उपस्थित श्रोताओं से उनसे सेतु पत्रिका अमेरिका में हिंदी लेखन/प्रकाशन की स्थिति आदि के बारे में कई सवाल पूछे, जिनके जवाब में उन्होंने बताया कि वहां हिंदी किताबें पाने के लिए मुश्किल होती है. भारत से जब कोई आता-जाता है तभी किताबं मंगवा पाना संभव होता है जिसे हम आपस में बांटकर पढ़ते हैं. कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के संपादक अनुपम तिवारी ने किया.

नई दिल्ली: राजधानी के मंडी हाउस स्थित साहित्य अकादमी में पिट्सबर्ग अमेरिका से पधारे लेखक अनुराग शर्मा ने 29 दिसंबर को ‘प्रवासी मंच’ के अंतर्गत अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं. अमेरिका से जून 2016 से प्रकाशित हो रही ऑनलाइन मासिक पत्रिका सेतु के संस्थापक एवं संपादक अनुराग शर्मा ने सर्वप्रथम अपने अप्रकाशित उपन्यास का एक अंश प्रस्तुत किया, जो एक मरे हुए व्यक्ति का आत्मसंस्मरण था. जो अतीत को इस तरह देख रहा है, मानो ज़िंदा रहते हुए भी वह ज़िंदा नहीं था. अर्थात् वह अपने रोज़मर्रा के जीवन को इस तरीक़े से बिता रहा था कि उसमें जीवन का कोई अंश ही नहीं था.

इसके बाद उन्होंने ‘गंधहीन’ शीर्षक से कहानी प्रस्तुत की, जिसमें विदेशों में रह रहे एक भारतीय परिवार के बिखरते रिश्तों को दर्शाया गया था, जो कि वहां के जन-जीवन में रच-बस गया था कि भारतीय होने के ज़रा से भी प्रयास को अनदेखा ही नहीं बल्कि उपहास का प्रतीक बना रहा था. उनकी प्रस्तुत की गई अंग्रेज़़ी कहानी एक ऐसी लड़की की कहानी थी जो विदेश से वापस भारत नहीं आना चाहती है और वहाँ के दुख भरे जीवन को अपनाने को तैयार है.

अनुराग शर्मा के रचना-पाठ के बाद उपस्थित श्रोताओं से उनसे सेतु पत्रिका अमेरिका में हिंदी लेखन/प्रकाशन की स्थिति आदि के बारे में कई सवाल पूछे, जिनके जवाब में उन्होंने बताया कि वहां हिंदी किताबें पाने के लिए मुश्किल होती है. भारत से जब कोई आता-जाता है तभी किताबं मंगवा पाना संभव होता है जिसे हम आपस में बांटकर पढ़ते हैं. कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के संपादक अनुपम तिवारी ने किया.

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