नई दिल्ली: राजधानी में लगातार बढ़ते आतंकी हमलों की आशंका और दंगों की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत को देखते हुए दिल्ली पुलिस के लिए अलवर के अभनपुर गांव में स्पेशल कमांडो ट्रेनिंग परिसर का उद्घाटन किया गया. परिसर के उद्घाटन के दौरान पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने कहा कि पुलिस का काम लगातार जटिल होता जा रहा है, ऐसे में हर जवान को हर परिस्थिति के लिए तैयार होना पड़ेगा. इन बातों के मद्देनजर दिल्ली पुलिस अपनी ट्रेनिंग में देश के मानक सैन्य संस्थानों द्वारा निर्धारित उपकरणों को शामिल कर रही है. उन्होने ट्रेनिंग यूनिट को बधाई देते हुए कहा कि यूनिट के लगातार प्रयासों से यह परिसर तैयार हो रहा है. आगे आने वाले समय में यह परिसर और सुसज्जित नजर आएगा.
पुलिस आयुक्त ने बताया कि कमांडो शब्द द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान चलन में आया क्योंकि उस वक्त बड़ी संख्या में सैनिक लड़ते थे. ऐसे में एक ऐसी सैन्य टुकड़ी की जरूरत महसूस की गई जो आकार में छोटी, लेकिन हर काम में पारंगत हो. वर्तमान समय में पुलिस बल भी अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग रूप में सेवाएं देते हैं. चाहे दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति को प्राथमिक उपचार देना हो, डूबे हुए व्यक्ति को बचाने के लिए नदी में तैराकी करनी हो. आग लगने पर भी स्थानीय पुलिस अपने सीमित संसाधनों से प्रयास करने शुरू कर देती है. कहा कि पुलिस का काम जटिल हो रहा है ऐसे में हर पुलिसकर्मी एक नियत समय पर अलग-अलग विशेषज्ञता जाहिर करते हैं.
दंगे जैसी स्थितियों पर नियंत्रण को तैयार रहेंगे जवान: स्पेशल आयुक्त मुकेश कुमार मीणा
दिल्ली पुलिस के स्पेशल आयुक्त मुकेश कुमार मीणा ने ईटीवी से विशेष बातचीत में बताया कि किस तरह इस ट्रेनिंग सेंटर में कमांडो को तैयार किया जाएगा. बताया कि इस सेंटर में केंद्रीय पुलिस बलों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी उपकरण लगाए गए हैं, जिसमें दिल्ली पुलिस के जवानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके अलावा उन्हें तैराकी से लेकर पहाड़ी और प्रत्येक इलाके में अनुकूल एक्शन लेने के लिए तैयार किया जाएगा ताकि वे किसी भी परिस्थिति में नागरिकों की सुरक्षा में सक्रिय हो सकें. उन्होंने बताया कि दुर्गम इमारतों में चढ़ने के साथ-साथ उन्हें हवाई मार्ग से एक्शन लेने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे मुंबई हमले जैसी घटनाओं पर जल्द से जल्द काबू पा सकें और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए तैयार रहें. बताया कि राजधानी में सांप्रदायिक घटनाओं से निपटने के लिए भी पुलिस पूरी तरह से तैयार है. ऐसे हालातों में देखा गया है कि समय अधिक महत्वपूर्ण है. जवानों को इस तरह से तैयार किया जाएगा कि वह घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय स्तर पर ही घटना को काबू कर लें ताकि घटना का प्रभाव शहर के अन्य इलाकों में न पड़े. वे तैराकी से लेकर हथियार चलाने और बिना हथियार के भी घटना पर नियंत्रण पा सकें.
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