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मोदी का लिट्टी चोखा, 2020 की सियासी हेडलाइन!

मनोज तिवारी का लिट्टी चोखा वाला गाना दिल्ली में कमाल नहीं कर पाया, लेकिन मोदी को लगता है कि बिहार में उनका लिट्टी चोखा खाना कामयाबी का इतिहास गढ़ेगा.

PM narendra modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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Published : Feb 20, 2020, 12:04 PM IST

Updated : Feb 20, 2020, 2:55 PM IST

नई दिल्ली/पटना: सियासत का रंग भी बड़ा अजीब होता है साहब, करते कुछ हैं और दिखाते कुछ, और बात हो बिहार की तो यहां की सियासत में कौन गुल खिलाना नहीं चाहता. मोदी जी... तो इस हुनर में माहिर हैं दिल के रास्ते ईवीएम में उतरना उन्हें बहुत अच्छे से आता है. लगता है मोदी ने अपनी पार्टी के भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी के इस गाने को दिल से ले लिया तभी तो पहुंच गए दिल्ली के राजपथ पर हुनर हाट में.. मनोज कभी गाया था... 'इंटरनेशनल लिट्टी चोखा जे खईलस ना पईलस धोखा' दिल्ली में धोखा मिला लेकिन बिहार में मोदी धोखा खाना कैसे पसंद कर सकते थे. झट से उन्होंने 56 व्यंजनों में लिट्टी चोखा को ही चुना. क्योंकि अब बिहार की बारी है.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

उधर प्रधानमंत्री मोदी ने लिट्टी चोखा क्या खाया बिहार में तो चर्चाओं का बाजार गर्मा ही गया. मोदी के लिट्टी चोखा की तस्वीर सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है. उनके चहेते तो इसके सहारे बिहार की गरिमा को दुनिया भर को समझाने की बात कह रहे हैं, लेकिन कहीं ये लिट्टी सियासी आंच पर तो नहीं पकी.

impact story of litti chokha in bihar
राजपथ पर हुनर हाट में पीएम मोदी

6 साल बाद आई याद
बात भी सही है, आखिर प्रधानमंत्री को 6 साल बाद लिट्टी चोखा की याद क्यों आई, ये वाकई हर बिहारी के दिल में उतरकर जीतने की जुगत है, क्योंकि अब कुछ ही महीने बाद बिहार में चुनाव होने हैं, लिहाजा चेहरा भले ही दूसरा हो लेकिन मोदी लिट्टी चोखा खाकर बिहार की सत्ता का स्वाद एक बार फिर चखना चाहते हैं.

impact story of litti chokha in bihar
बिहार का इंटरनेशनल लिट्टी चोखा

बोली लगाने वाले दिल में जगह बनाएंगे!
मोदी भले ही अपने इस कदम से बिहारियों के दिल तक पहुंचने की जुगत में हों, लेकिन वो बातें भी याद हैं. जब उन्होंने बिहार की बोली लगाई थी. कीमत 50 करोड़, 70 करोड़ और 100 करोड़ से सवा लाख करोड़ तक पहुंची थी. मोदी कई बार बिहार आए लेकिन लिट्टी चोखा की बात तक नहीं की. और चुनाव आते ही उन्होंने इसे खाया और तारीफ भी की.

लिट्टी-चोखा खाना नहीं बिहार की संस्कृति है
लिट्टी चोखा बिहार का मशहूर भोजन है और ये बहुत हाईजेनिक होता है. आटा, सतुआ, सरसों का तेल, आलू, प्याज, लहसुन अजवाइन, नमक, नींबू सबका स्वाद लिट्टी चोखा में होता है. बिहारियों के लिए ये खाना नहीं बल्कि संस्कृति है. देश के प्रधानमंत्री अब सरेआम इसे खा रहे हैं तो समझिए उस संस्कृति का सियासत में कितना असर है.

impact story of litti chokha in bihar
मनोज तिवारी

इस तरह मिलेगी राजगद्दी
मोदी बिहार में अभी से चर्चा में रहना चाहते हैं, गांव में लोग बातें भी करने लगे हैं, 'देखल मरदे मोदी जिउआ के लिट्टी चोखा पता बा एकर मतलब हमनी के उ जान ताड़न' गाहे बगाहे इस तरह की चर्चा बिहार में हो रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि मोदी ने लिट्टी चोखा खाया तो बिहार में वोटरों पर इसका असर कितना पड़ता है, दिल में उतरने का ये रास्ता क्या एक बार फिर मोदी को बिहार की राजगद्दी तक पहुंचाएगा, 2015 का मनोज तिवारी वाला वो गाना कि जात पात से ऊपर की सरकार चाहिए की बात बदल गई है अब तो नरेंद्र मोदी को भी वही गाना होगा कि बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है और यही मंत्र बिहार और बिहारियों से जुड़ने का सबसे बड़ा फॉर्मूला है. उसे दिल से लगाए रखने के लिए लिट्टी चोखा सबसे बड़ा स्वाद है.

नई दिल्ली/पटना: सियासत का रंग भी बड़ा अजीब होता है साहब, करते कुछ हैं और दिखाते कुछ, और बात हो बिहार की तो यहां की सियासत में कौन गुल खिलाना नहीं चाहता. मोदी जी... तो इस हुनर में माहिर हैं दिल के रास्ते ईवीएम में उतरना उन्हें बहुत अच्छे से आता है. लगता है मोदी ने अपनी पार्टी के भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी के इस गाने को दिल से ले लिया तभी तो पहुंच गए दिल्ली के राजपथ पर हुनर हाट में.. मनोज कभी गाया था... 'इंटरनेशनल लिट्टी चोखा जे खईलस ना पईलस धोखा' दिल्ली में धोखा मिला लेकिन बिहार में मोदी धोखा खाना कैसे पसंद कर सकते थे. झट से उन्होंने 56 व्यंजनों में लिट्टी चोखा को ही चुना. क्योंकि अब बिहार की बारी है.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

उधर प्रधानमंत्री मोदी ने लिट्टी चोखा क्या खाया बिहार में तो चर्चाओं का बाजार गर्मा ही गया. मोदी के लिट्टी चोखा की तस्वीर सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है. उनके चहेते तो इसके सहारे बिहार की गरिमा को दुनिया भर को समझाने की बात कह रहे हैं, लेकिन कहीं ये लिट्टी सियासी आंच पर तो नहीं पकी.

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राजपथ पर हुनर हाट में पीएम मोदी

6 साल बाद आई याद
बात भी सही है, आखिर प्रधानमंत्री को 6 साल बाद लिट्टी चोखा की याद क्यों आई, ये वाकई हर बिहारी के दिल में उतरकर जीतने की जुगत है, क्योंकि अब कुछ ही महीने बाद बिहार में चुनाव होने हैं, लिहाजा चेहरा भले ही दूसरा हो लेकिन मोदी लिट्टी चोखा खाकर बिहार की सत्ता का स्वाद एक बार फिर चखना चाहते हैं.

impact story of litti chokha in bihar
बिहार का इंटरनेशनल लिट्टी चोखा

बोली लगाने वाले दिल में जगह बनाएंगे!
मोदी भले ही अपने इस कदम से बिहारियों के दिल तक पहुंचने की जुगत में हों, लेकिन वो बातें भी याद हैं. जब उन्होंने बिहार की बोली लगाई थी. कीमत 50 करोड़, 70 करोड़ और 100 करोड़ से सवा लाख करोड़ तक पहुंची थी. मोदी कई बार बिहार आए लेकिन लिट्टी चोखा की बात तक नहीं की. और चुनाव आते ही उन्होंने इसे खाया और तारीफ भी की.

लिट्टी-चोखा खाना नहीं बिहार की संस्कृति है
लिट्टी चोखा बिहार का मशहूर भोजन है और ये बहुत हाईजेनिक होता है. आटा, सतुआ, सरसों का तेल, आलू, प्याज, लहसुन अजवाइन, नमक, नींबू सबका स्वाद लिट्टी चोखा में होता है. बिहारियों के लिए ये खाना नहीं बल्कि संस्कृति है. देश के प्रधानमंत्री अब सरेआम इसे खा रहे हैं तो समझिए उस संस्कृति का सियासत में कितना असर है.

impact story of litti chokha in bihar
मनोज तिवारी

इस तरह मिलेगी राजगद्दी
मोदी बिहार में अभी से चर्चा में रहना चाहते हैं, गांव में लोग बातें भी करने लगे हैं, 'देखल मरदे मोदी जिउआ के लिट्टी चोखा पता बा एकर मतलब हमनी के उ जान ताड़न' गाहे बगाहे इस तरह की चर्चा बिहार में हो रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि मोदी ने लिट्टी चोखा खाया तो बिहार में वोटरों पर इसका असर कितना पड़ता है, दिल में उतरने का ये रास्ता क्या एक बार फिर मोदी को बिहार की राजगद्दी तक पहुंचाएगा, 2015 का मनोज तिवारी वाला वो गाना कि जात पात से ऊपर की सरकार चाहिए की बात बदल गई है अब तो नरेंद्र मोदी को भी वही गाना होगा कि बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है और यही मंत्र बिहार और बिहारियों से जुड़ने का सबसे बड़ा फॉर्मूला है. उसे दिल से लगाए रखने के लिए लिट्टी चोखा सबसे बड़ा स्वाद है.

Last Updated : Feb 20, 2020, 2:55 PM IST
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