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नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम पर आपत्तिजनक कंटेंट दिखाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज - Netflix

नई दिल्ली: नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो और बाकी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने वाली याचिका खारिज कर दी गई है. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया.

याचिका खारिज
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Published : Feb 8, 2019, 6:02 PM IST

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए न तो लाइसेंस लेने की जरूरत होती है और न ही वे कंटेंट को रेगुलेट करते हैं. विधि और न्याय मंत्रालय ने बताया कि यह मसला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है.

आईटी एक्ट की धारा तहत रेगुलेशन
सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग ने कहा कि इंटरनेट पर कंटेंट को आईटी एक्ट की धारा 69ए के तहत रेगुलेट किया जा सकता है. हालांकि, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इसके तहत नहीं आता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट का निर्धारण आईटी एक्ट की धारा 66ई, धारा 67 और धारा 67बी का पालन करते हुए करना चाहिए.

दिशानिर्देश जारी करने की मांग थी
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील एच एस होरा ने कहा था कि सरकार ने ये स्वीकार किया है कि ऑनलाइन कंटेंट के रेगुलेशन के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है. उन्होंने कहा था कि ये जानकारी उन्हें आरटीआई के जरिये मिली थी. याचिका एक एनजीओ जस्टिस फॉर राइट्स ने दायर की थी. याचिका में प्लेटफार्म को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी.

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कंटेंट कानून का उल्लंघन
याचिका में कहा गया था कि नेटफ्लिक्स और अमेजन जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कंटेंट धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले होते हैं. याचिका में कहा गया था कि रेगुलेशन में कमी की वजह से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाने वाले कंटेंट कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं. इनके कंटेंट भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का उल्लंघन करती है. याचिका में कहा गया था कि इनके कंटेंट महिलाओं की वल्गर छवि पेश करती हैं.

सैकरेड गेम्स याचिका दायर की गई थी
बता दें कि नेटफ्लिक्स पर प्रसारित होनेवाले सैकरेड गेम्स के खिलाफ भी एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी. हालांकि, जब याचिका दायर की गई थी उस समय इसके आठ सीरीज प्रसारित हो चुके थे. कोर्ट ने कहा था कि सीरीज में अभिनेता और अभिनेत्रियों के संवाद के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहाराया जा सकता है.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए न तो लाइसेंस लेने की जरूरत होती है और न ही वे कंटेंट को रेगुलेट करते हैं. विधि और न्याय मंत्रालय ने बताया कि यह मसला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है.

आईटी एक्ट की धारा तहत रेगुलेशन
सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग ने कहा कि इंटरनेट पर कंटेंट को आईटी एक्ट की धारा 69ए के तहत रेगुलेट किया जा सकता है. हालांकि, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इसके तहत नहीं आता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट का निर्धारण आईटी एक्ट की धारा 66ई, धारा 67 और धारा 67बी का पालन करते हुए करना चाहिए.

दिशानिर्देश जारी करने की मांग थी
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील एच एस होरा ने कहा था कि सरकार ने ये स्वीकार किया है कि ऑनलाइन कंटेंट के रेगुलेशन के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है. उन्होंने कहा था कि ये जानकारी उन्हें आरटीआई के जरिये मिली थी. याचिका एक एनजीओ जस्टिस फॉर राइट्स ने दायर की थी. याचिका में प्लेटफार्म को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी.

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कंटेंट कानून का उल्लंघन
याचिका में कहा गया था कि नेटफ्लिक्स और अमेजन जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कंटेंट धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले होते हैं. याचिका में कहा गया था कि रेगुलेशन में कमी की वजह से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दिखाए जाने वाले कंटेंट कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं. इनके कंटेंट भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का उल्लंघन करती है. याचिका में कहा गया था कि इनके कंटेंट महिलाओं की वल्गर छवि पेश करती हैं.

सैकरेड गेम्स याचिका दायर की गई थी
बता दें कि नेटफ्लिक्स पर प्रसारित होनेवाले सैकरेड गेम्स के खिलाफ भी एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी. हालांकि, जब याचिका दायर की गई थी उस समय इसके आठ सीरीज प्रसारित हो चुके थे. कोर्ट ने कहा था कि सीरीज में अभिनेता और अभिनेत्रियों के संवाद के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहाराया जा सकता है.

Intro:नई दिल्ली । नेटफ्लिक्स , अमेजन प्राइम वीडियो औऱ बाकी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को रेगुलेटर करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने वाली याचिका खारिज कर दी है।चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।


Body:सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए न तो लाइसेंस लेने की जरूरत होती है और न ही वे कंटेंट को रेगुलेट करते हैं। विधि और न्याय मंत्रालय ने बताया कि यह मसला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है। सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग ने कहा कि इंटरनेट पर कंटेंट को आईटी एक्ट की धारा 69ए के तहत रेगुलेट किया जा सकता है। हालांकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इसके तहत नहीं आता है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कंटेंट का निर्धारण आईटी एक्ट की धारा 66ई, धारा 67 और धारा 67बी का पालन करते हुए करना चाहिए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील एच एस होरा ने कहा था कि सरकार ने ये स्वीकार किया है कि आनलाइन कंटेंट के रेगुलेशन के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है। उन्होंने कहा था कि ये जानकारी उन्हें आरटीआई के जरिए मिली थी।याचिका एक एनजीओ जस्टिस फॉर राइट्स ने दायर की थी ।याचिका में प्लेटफार्म को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि नेटफ्लिक्स और अमेजन जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के कंटेंट धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले होते हैं। याचिका में कहा गया था कि रेगुलेशन में कमी की वजह से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दिखाये जाने वाले कंटेंट कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं। इनके कंटेंट भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम का उल्लंघन करती है। याचिका में कहा गया था कि इनके कंटेंट महिलाओं की वल्गर छवि पेश करती हैं ।


Conclusion:आपको बता दें कि नेटफ्लिक्स पर प्रसारित होनेवाले सैकरेड गेम्स के खिलाफ भी एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी। हालांकि जब याचिका दायर की गई थी उस समय इसके आठ सीरिज प्रसारित हो चुके थे। कोर्ट ने कहा था कि सीरिज में अभिनेता और अभिनेत्रियों के संवाद के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहाराया जा सकता है।
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