नई दिल्ली: दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रही डीटीसी के बेड़े में अगले कुछ महीनों में हजार से अधिक इलेक्ट्रिक बसें शामिल हो जाएंगी. इस दिशा में शुरुआत पिछले कुछ महीनों में शुरू हो चुकी है, लेकिन दिल्ली में आयोजितG-20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर अप्रैल से सितंबर के बीच एक हजार नई इलेक्ट्रिक बसें उतारने का प्लान परिवहन विभाग ने तैयार कर लिया है.
विदेशी मेहमानों के बीच सड़कों पर चल रही डीटीसी की खटारा बसें प्रतिष्ठा न खराब कर दें, इसलिए अब परिवहन विभाग ने बस खरीदने की प्रक्रिया में तेजी कर दी है. दिल्ली परिवहन विभाग की अधिकारियों की एक टीम ने कर्नाटक स्थित टाटा कंपनी के उस फैक्ट्री का जायजा लिया, जहां पर इलेक्ट्रिक बसों का उत्पादन हो रहा है. कितनी बसें सितंबर तक मिल सकती हैं, इन सबका आंकलन किया गया है.
परिवहन विभाग के आयुक्त आशीष कुंद्रा का कहना है कि विभाग की कोशिश है कि सितंबर तक कम से कम एक हजार इलेक्ट्रिक बसें डीटीसी के बेड़े में शामिल हो जाए. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड ने दिल्ली सरकार के लिए 2080 लो फ्लोर एसी इलेक्ट्रिक बसों के लिए टेंडर आवंटित कर दिया है. उम्मीद है कि इस साल के अंत तक दिल्ली में सामान्य बसों से छोटी 9 मीटर लंबाई की छोटी साइज की लो फ्लोर एसी बसें भी उतरने लगेंगी. तब दिल्ली सरकार के पास कुल 3980 इलेक्ट्रिक बसें होंगी, जिनमें 2080 लो फ्लोर एसी बसों के अलावा 1900 बसें 12 मीटर लंबाई की होंगी.
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि दिल्ली सरकार ने इस साल के अंत तक अधिक से अधिक बसों को खरीदने का लक्ष्य रखा है. जो बसें खरीदने के आर्डर किए गए हैं उनमें से सौ इलेक्ट्रिक बसें, अप्रैल में आ जाएंगी और उसकी टेस्टिंग और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी होते ही यह कुछ दिनों में चलने भी लगेंगी. नियमित रूप से बसों के खेप जब आने लगेगी तो दिल्ली में परिवहन निगम के अधीन आने वाली डीटीसी की पुरानी बसों को ऑफलोड कर दिया जाएगा. इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग के लिए डीटीसी की सभी डिपो में चार्जिंग स्टेशन बनाने का काम जोर-शोर से चल रहा है. अभी दिल्ली में 300 से अधिक इलेक्ट्रिक बसें अलग-अलग रूटों पर चल रही हैं.
अभी दिल्ली में डीटीसी और क्लस्टर स्कीम के तहत 7300 बसें चल रही हैं. सरकार का लक्ष्य कि अगले 4 सालों में बसों की संख्या बढ़ाकर 11000 कर दी जाए. अभी स्टैंडर्ड रूटों पर सामान्य आकार की 12 मीटर लंबी बसें ही चलेंगी. वही फीडर रूटों पर 9 मीटर लंबी मिनी या मिडी इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी.