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दीक्षांत समारोह में पीएचडी डिग्री पाकर खिले रिसर्च स्कॉलरों के चेहरे, पीएचडी की अनिवार्यता खत्म होने पर कही ये बात - जामिया मिल्लिया इस्लामिया

दिल्ली के विज्ञान भवन में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दीक्षांत समारोह के बाद रिसर्च स्कॉलरों के चेहरे खिल गए. इस दौरान उन्होंने सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी की अनिवार्यता को खत्म करने को लेकर भी अपनी बात रखी. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.

PhD scholars react on abolition of PhD requirement
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Published : Jul 23, 2023, 5:11 PM IST

पीएचडी की अनिवार्यता खत्म होने पर बोले रिसर्च स्कॉलर

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का शताब्दी वर्ष दीक्षांत समारोह रविवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया गया. समारोह में रिसर्च स्कॉलरों को पीएचडी की डिग्री दी गई, जिसके बाद उनके चेहरे खिल उठे. इस मौके पर ईटीवी भारत ने पीएचडी डिग्री प्राप्त कर चुके छात्रों से बात की, जिसमें उन्होंने अपना अनुभव बताया.

वहीं यूजीसी द्वारा सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी की अनिवार्यता खत्म होने पर रिसर्च स्कॉलर भरत प्रताप सिंह ने कहा कि पीएचडी की अनिवार्यता तो खत्म नहीं हो सकती. अगर हम पीएचडी की अनिवार्यता खत्म करेंगे तो क्वालिटी भी खत्म हो जाएगी. पीएचडी अपने आप में बहुत बड़ी उपाधि है बहुत सारे इंस्टीट्यूट पैसे लेकर पीएचडी की डिग्री दे देते थे, लेकिन सरकार के इस महत्वपूर्ण कदम से जो प्राइवेट यूनिवर्सिटी थोक के भाव पीएचडी डिग्री बांट रही थी वह खत्म हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की फैकल्टी से काफी सपोर्ट मिला, जिसे वे भूल नहीं सकते.

यह भी पढ़ें-जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बनेगा मेडिकल कॉलेज, शताब्दी वर्ष दीक्षांत समारोह में हुई घोषणा

वहीं, पीएचडी डिग्री ले चुकीं अनामिका चौहान ने कहा कि पीएचडी करना मुश्किल नहीं है. अगर आप मेहनती हैं तो बहुत आराम से पीएचडी कर सकते हैं. बस आपको इसकी प्रक्रिया को फॉलो करना होगा. शिक्षा लेने के लिए सर्टिफिकेट जरूरी नहीं. उन्होंने बताया कि बेंगलुरु में कंप्यूटर साइंस का एक इंस्टिट्यूट है, जहां कोई फैकल्टी पीएचडी नहीं है. हालांकि, सब अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट हैं. हमारी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में डिग्री महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें सीखने की क्षमता और एटीड्यूड पर भी ध्यान देना होगा. सहायक प्रोफेसर के लिए पीएचडी की डिग्री की अनिवार्यता खत्म होने के फैसले पर उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास विषयों की समझ है तो इस फैसले से कोई फर्क नहीं पड़ता.

यह भी पढ़ें-DELHI University: सीएसएएस यूजी एडमिशन के दूसरे चरण पर डीयू ने किया वेबिनार, करीब तीन लाख रजिस्ट्रेशन

पीएचडी की अनिवार्यता खत्म होने पर बोले रिसर्च स्कॉलर

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का शताब्दी वर्ष दीक्षांत समारोह रविवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित किया गया. समारोह में रिसर्च स्कॉलरों को पीएचडी की डिग्री दी गई, जिसके बाद उनके चेहरे खिल उठे. इस मौके पर ईटीवी भारत ने पीएचडी डिग्री प्राप्त कर चुके छात्रों से बात की, जिसमें उन्होंने अपना अनुभव बताया.

वहीं यूजीसी द्वारा सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी की अनिवार्यता खत्म होने पर रिसर्च स्कॉलर भरत प्रताप सिंह ने कहा कि पीएचडी की अनिवार्यता तो खत्म नहीं हो सकती. अगर हम पीएचडी की अनिवार्यता खत्म करेंगे तो क्वालिटी भी खत्म हो जाएगी. पीएचडी अपने आप में बहुत बड़ी उपाधि है बहुत सारे इंस्टीट्यूट पैसे लेकर पीएचडी की डिग्री दे देते थे, लेकिन सरकार के इस महत्वपूर्ण कदम से जो प्राइवेट यूनिवर्सिटी थोक के भाव पीएचडी डिग्री बांट रही थी वह खत्म हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की फैकल्टी से काफी सपोर्ट मिला, जिसे वे भूल नहीं सकते.

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वहीं, पीएचडी डिग्री ले चुकीं अनामिका चौहान ने कहा कि पीएचडी करना मुश्किल नहीं है. अगर आप मेहनती हैं तो बहुत आराम से पीएचडी कर सकते हैं. बस आपको इसकी प्रक्रिया को फॉलो करना होगा. शिक्षा लेने के लिए सर्टिफिकेट जरूरी नहीं. उन्होंने बताया कि बेंगलुरु में कंप्यूटर साइंस का एक इंस्टिट्यूट है, जहां कोई फैकल्टी पीएचडी नहीं है. हालांकि, सब अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट हैं. हमारी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में डिग्री महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें सीखने की क्षमता और एटीड्यूड पर भी ध्यान देना होगा. सहायक प्रोफेसर के लिए पीएचडी की डिग्री की अनिवार्यता खत्म होने के फैसले पर उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास विषयों की समझ है तो इस फैसले से कोई फर्क नहीं पड़ता.

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