नई दिल्ली: चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पेट्रोल और डीजल की दरों में कमी लाने की गुहार लगाई है. सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल का भाव गिरने के बावजूद जनता को लाभ नहीं मिल रहा है.
भारत ने दिसंबर 2023 में कच्चा तेल 77.14 डॉलर प्रति बैरल खरीदा है, जबकि सितंबर 2023 में यही क्रूड ऑयल 93.54 डॉलर प्रति बैरल खरीदा था. जून 2022 में 116 डॉलर प्रति बैरल कच्चा तेल खरीदा गया था. कच्चे तेल में लगातार कमी आ रही है, फिर भी जनता को फायदा नहीं मिल रहा. उन्होंने बताया कि पेट्रोल-डीजल के भाव में 22 मई 2022 को बदलाव हुआ था. उस समय केंद्र ने उत्पाद शुल्क में कमी की थी.
पेट्रोलियम कंपनियों ने 6 अप्रैल 2022 के बाद से कटौती नहीं की है. 116 डॉलर प्रति बैरल से कच्चा तेल 77.14 डॉलर तक पहुंच गया है. सरकार कहती है कि तेल कंपनियों को अधिकार है. मगर, केंद्र सरकार पेट्रोलियम कंपनियों पर दवाब तो बना सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 6 महीने में इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम को संयुक्त तौर पर 58,198 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है. सरकार पर इन कंपनियों की माली हालत को लेकर कोई दबाव नहीं है.
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सीटीआई ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि वो इन कंपनियों से पेट्रोल-डीजल के रेट घटाने का दबाव बनाए. पेट्रोल-डीजल के दामों में कम से कम 10 रुपये लीटर की कमी होनी चाहिए. डीजल का रेट कम होता है, तो महंगाई पर अंकुश लगता है. देश में माल ढुलाई सेक्टर डीजल पर निर्भर है. यदि ये सस्ती होगी, तो उपभोक्ताओं को लाभ होगा. जनता की जेब में पैसा जाएगा, तो मार्केट में दूसरी मदों में खर्चा होगा.