नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) ने चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो (Vivo) से जुड़े 14 कंपनियों के फ्रीज बैंक खातों को आपरेट करने की अनुमति दे दी है. जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि ये कंपनियां अपने बैंक खातों में हमेशा उतनी रकम रखेंगी जितना छापे के समय पाया गया था.
कोर्ट ने इन कंपनियों को निर्देश दिया कि वे इन खातों से धन भेजने के 48 घंटे के अंदर ईडी को उसकी सूचना देंगे. कोर्ट ने ईडी को इस बात की छूट दी कि वो इन 14 कंपनियों के खातों में रखी राशि को वेरिफाई कर सकता है. इसके पहले 13 जुलाई को कोर्ट ने वीवो के फ्रीज बैंक खातों को शर्तों के साथ ऑपरेट करने की अनुमति दी थी. कोर्ट ने वीवो को 950 करोड़ रुपये का बैंक गारंटी जमा करने का निर्देश दिया.
सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से कहा गया था कि 12 सौ करोड़ रुपये का अपराध किया गया है और जो बैंक खाते फ्रीज किए गए हैं उनमें मात्र ढाई सौ करोड़ रुपये थे. इसलिए उनके खातों को आपरेट करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. इसके बाद हाईकोर्ट ने वीवो को 950 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि वीवो अपने खाते में कम से कम ढाई सौ करोड़ रुपये हमेशा रखे. कोर्ट ने वीवो को निर्देश दिया कि वो ईडी को बताए कि उसने चीन में कितने करोड़ रुपये भेजे.
8 जुलाई को कोर्ट ने ईडी को निर्देश दिया था कि वो वीवो का बैंक फ्रीज किया हुआ खाता आपरेट करने की मांग पर विचार करें. वीवो कंपनी की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया था कि 5 जुलाई को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में वीवो के अनेक ठिकानों पर छापा मारा था. ईडी ने वीवो के नौ बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है. इन खातों में ढाई सौ करोड़ रुपए थे. ईडी वीवो कंपनी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच कर रही है.
ईडी के मुताबिक, वीवो कंपनी ने अपनी कुल बिक्री का पचास फीसदी रकम चीन भेज दिया. ये रकम रकम 62 हजार 476 करोड़ रुपये है. ईडी का कहना है कि भारत में टैक्स से बचने के लिए वीवो ने अपना नुकसान दिखाने के लिए ये रकम चीन भेज दिया. वीवो ने कहा कि उसके बैंक खातों को फ्रीज करने से उसका पूरा कारोबार चौपट हो जाएगा और वो विभिन्न प्राधिकारों के कर्ज भी नहीं दे पाएगा. इससे कंपनी की मौत हो जाएगी.
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