ETV Bharat / state

ट्रेड फेयर में असली पश्मीना को लेकर लोगों में दिखा उत्साह, जानें पश्मिना कपड़ों से जुड़ी खास बातें - India international trade fair

jammu kashmir pavelion: 42वें इंडिया इंटरनेशन ट्रेड फेयर में अलग-अलग राज्यों से आए वस्तुओं की खासी डिमांड रही. जम्मू कश्मीर पवेलियन में लगे पश्मीना के स्टॉल पर भी लोगों की काफी भीड़ रही. पश्मीना से निर्मित कपड़ों की कीमत बहुत ज्यादा होती है और यह बहुत मुलायम होता है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 28, 2023, 4:15 PM IST

42वां इंडिया इंटरनेशन ट्रेड फेयर

नई दिल्ली: दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे 42वें इंडिया इंटरनेशन ट्रेड फेयर के हॉल नंबर 1 में जम्मू कश्मीर पवेलियन अपने खास कलेक्शन पश्मिना की वजह से काफी चर्चा में रहा. पवेलियन में जम्मू के मेपेल क्राफ्ट की ओर से ऊनी कपड़ों की सेल करने आए फैजल ने बताया कि पश्मीना लेह लद्दाख में मिलने वाली एक विशेष पश्मीना भेड़ की ऊन से बनाया जाता है. यह भेड़ समुद्री लेवल के 16,000 फीट ऊपर पाया जाता है और इसकी कीमत काफी ज्यादा होती है.

पश्मीना की बात करें, तो इसके छोटे से स्टॉल की कीमत भी 10,000 रुपए से शुरू होती है. दस हजार से शुरू होकर यह लाखों तक बिकते हैं. डिजाइन और एंब्रॉयडरी के बाद इसके दाम की कोई सीमा नहीं होती है. यह पहनने में बेहद गर्म और छूने में काफी मुलायम होता है.

ऐसे होता है तैयार: कारोबारी फैजल ने बताया कि पश्मीना का एक सिंपल शॉल बनाने में 15 से 20 दिन का समय लगता है. सबसे पहले भेड़ से रॉ मैटेरियल इकट्ठा किया जाता है. इसके बाद उसे कारीगरों द्वारा हैंड स्पिन किया जाता है, फिर डिजाइनिंग की जाती है. अगर इसको और खूबसूरत बनाना है, तो कई कारीगर उसको अपने अपने घरों में नया रूप देते हैं. खास बात यह है कि पश्मीना के कई कपड़ों को तैयार होने में एक से 2 साल का समय भी लग जाता है.

फैजल ने बताया कि आजकल बाजारों में पश्मीना के नाम पर सेमी पश्मीना सेल किया जा रहा है. हकीकत यह है कि पश्मीना को किसी भी फैब्रिक के साथ मिक्स नहीं किया जा सकता. इसमें किसी भी तरह के केमिकल को मिक्स नहीं किया जा सकता है. आज कल मशीन द्वारा भी पश्मीना के कपड़े बनाए जा रहे हैं. इनकी कीमत हैंड स्पिन पश्मीना से कम होती है. अगर आप बेहद सॉफ्ट पश्मीना खरीदना चाहते हैं तो हमेशा हैंड स्पिन ही खरीदे.

ये भी पढे़ं: IITF 2023: दिल्ली के ट्रेड फेयर में पहुंचे एक लाख 50 हजार लोग, टूटे सारे रेकॉर्ड

कैसे करें पहचान: वर्तमान में केंद्र सरकार ने हर प्रोडक्ट पर GI टैग लगाना अनिवार्य कर दिया है. अब ग्राहक आसानी से GI टैग को स्कैन करके सही कीमत और क्वालिटी का पता लगा सकते हैं.

बेहतर देखभाल जरूरी: पश्मीना से निर्मित कपड़ों की कीमत बहुत ज्यादा होती है और इसी तरह इसको केयर भी ज्यादा चाहिए. फैजल ने बताया कि इसको रख कर भूलना नहीं हैं, वर्ष में दो बार अपनी अलीमरी से निकाल कर इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं किया जाएगा, तो इसमें कीड़े लग सकते हैं. वहीं अगर वॉश करने की बात आती है, तो उसको सिंपली ठंडे पानी से धोना चाहिए.

जम्मू कश्मीर पवेलियन में मौजूद अधिकारी शब्बीर अहमद सोफी ने बताया कि इस बार ट्रेड फेयर में आयोजित सभी पवेलियन में से जम्मू कश्मीर में सबसे ज्यादा स्टॉल लगाए हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब इनकी संख्या 125 के ज्यादा है. इस बार जम्मू कश्मीर से महिला उद्यमियों को बढ़ावा दिया गया है. इस बार 25 से ज्यादा महिला उद्यमियों ने IITF में अपना स्टॉल लगाया है.

ये भी पढे़ं: अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला का समापन, ओडिशा पेवेलियन को उत्कृष्ट का अवॉर्ड; जानें लिस्ट में और कौन-कौन है

42वां इंडिया इंटरनेशन ट्रेड फेयर

नई दिल्ली: दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे 42वें इंडिया इंटरनेशन ट्रेड फेयर के हॉल नंबर 1 में जम्मू कश्मीर पवेलियन अपने खास कलेक्शन पश्मिना की वजह से काफी चर्चा में रहा. पवेलियन में जम्मू के मेपेल क्राफ्ट की ओर से ऊनी कपड़ों की सेल करने आए फैजल ने बताया कि पश्मीना लेह लद्दाख में मिलने वाली एक विशेष पश्मीना भेड़ की ऊन से बनाया जाता है. यह भेड़ समुद्री लेवल के 16,000 फीट ऊपर पाया जाता है और इसकी कीमत काफी ज्यादा होती है.

पश्मीना की बात करें, तो इसके छोटे से स्टॉल की कीमत भी 10,000 रुपए से शुरू होती है. दस हजार से शुरू होकर यह लाखों तक बिकते हैं. डिजाइन और एंब्रॉयडरी के बाद इसके दाम की कोई सीमा नहीं होती है. यह पहनने में बेहद गर्म और छूने में काफी मुलायम होता है.

ऐसे होता है तैयार: कारोबारी फैजल ने बताया कि पश्मीना का एक सिंपल शॉल बनाने में 15 से 20 दिन का समय लगता है. सबसे पहले भेड़ से रॉ मैटेरियल इकट्ठा किया जाता है. इसके बाद उसे कारीगरों द्वारा हैंड स्पिन किया जाता है, फिर डिजाइनिंग की जाती है. अगर इसको और खूबसूरत बनाना है, तो कई कारीगर उसको अपने अपने घरों में नया रूप देते हैं. खास बात यह है कि पश्मीना के कई कपड़ों को तैयार होने में एक से 2 साल का समय भी लग जाता है.

फैजल ने बताया कि आजकल बाजारों में पश्मीना के नाम पर सेमी पश्मीना सेल किया जा रहा है. हकीकत यह है कि पश्मीना को किसी भी फैब्रिक के साथ मिक्स नहीं किया जा सकता. इसमें किसी भी तरह के केमिकल को मिक्स नहीं किया जा सकता है. आज कल मशीन द्वारा भी पश्मीना के कपड़े बनाए जा रहे हैं. इनकी कीमत हैंड स्पिन पश्मीना से कम होती है. अगर आप बेहद सॉफ्ट पश्मीना खरीदना चाहते हैं तो हमेशा हैंड स्पिन ही खरीदे.

ये भी पढे़ं: IITF 2023: दिल्ली के ट्रेड फेयर में पहुंचे एक लाख 50 हजार लोग, टूटे सारे रेकॉर्ड

कैसे करें पहचान: वर्तमान में केंद्र सरकार ने हर प्रोडक्ट पर GI टैग लगाना अनिवार्य कर दिया है. अब ग्राहक आसानी से GI टैग को स्कैन करके सही कीमत और क्वालिटी का पता लगा सकते हैं.

बेहतर देखभाल जरूरी: पश्मीना से निर्मित कपड़ों की कीमत बहुत ज्यादा होती है और इसी तरह इसको केयर भी ज्यादा चाहिए. फैजल ने बताया कि इसको रख कर भूलना नहीं हैं, वर्ष में दो बार अपनी अलीमरी से निकाल कर इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. यदि ऐसा नहीं किया जाएगा, तो इसमें कीड़े लग सकते हैं. वहीं अगर वॉश करने की बात आती है, तो उसको सिंपली ठंडे पानी से धोना चाहिए.

जम्मू कश्मीर पवेलियन में मौजूद अधिकारी शब्बीर अहमद सोफी ने बताया कि इस बार ट्रेड फेयर में आयोजित सभी पवेलियन में से जम्मू कश्मीर में सबसे ज्यादा स्टॉल लगाए हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब इनकी संख्या 125 के ज्यादा है. इस बार जम्मू कश्मीर से महिला उद्यमियों को बढ़ावा दिया गया है. इस बार 25 से ज्यादा महिला उद्यमियों ने IITF में अपना स्टॉल लगाया है.

ये भी पढे़ं: अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला का समापन, ओडिशा पेवेलियन को उत्कृष्ट का अवॉर्ड; जानें लिस्ट में और कौन-कौन है

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.