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'झूठा घोषणा पत्र जारी करने पर चुनाव आयोग राजनैतिक पार्टियों को दे सजा'

बुधवार को दिल्ली में नुक्कड़ नाटक द्वारा सभी पार्टियों के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन किया गया. नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को बताया गया कि घोषणा पत्र के जरिए भोली भाली जनता को दशकों से बेवकूफ बनाया जा रहा है.

'झूठा घोषणा पत्र जारी करने पर चुनाव आयोग राजनैतिक पार्टियों को दें सजा'
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Published : Apr 10, 2019, 11:14 PM IST

नई दिल्ली: गुरुवार से 2019 लोकसभा चुनाव का पहला चरण शुरू होने जा रहा है. सभी पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं. हर बार की तरह इस बार भी राजनैतिक पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में बड़े-बड़े वादे किए गए हैं.

कोई पार्टी रोजगार की बात करती है तो कोई पार्टी बेरोजगारी भत्ता देने की. साल 2014 के घोषणापत्र में पार्टियों ने अनेकों वादे कर जनता को लुभाने की कोशिश की थी, उसी तरह 2019 के घोषणा पत्रों में भी पार्टियां दिल खोल के जनता से वादा करती नजर आ रही है और विश्वास दिला रही हैं कि अगर सत्ता में आए तो वादे निभाएंगे और जनता का कल्याण करेंगे. नेताओं की कुंडली रखने वाली जनता सब जानती है कि कौन सी पार्टी अपने चुनावी घोषणा पत्र पर आज तक कितनी खरी उतरी है.

बुधवार को दिल्ली में नुक्कड़ नाटक द्वारा सभी पार्टियों के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन किया गया. नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को बताया गया कि घोषणा पत्र के जरिए भोली भाली जनता को दशकों से बेवकूफ बनाया जा रहा है. कुछ सदस्यों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर जनता को अवगत कराया कि किस तरह एक किसान आत्महत्या कर लेता है जब नेता द्वारा किए गए वादे पूरे नहीं होते हैं.

साथ ही प्रस्तुति में यह भी दिखाया गया कि वोट मांगने से पहले नेता ने किस तरह से उस किसान को लुभाया लेकिन जीतने के बाद उसने अपने कार्यकाल में उस किसान की एक भी ना सुनी, जिससे तंग आकर किसान ने आत्महत्या कर जान दे दी. चुनाव से पहले नेता ने किसान के घर पहुंचकर वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उसके घर की टपकती छत को पक्का कराएगा और उसे कृषि ऋण से मुक्ति दिलाएगा.

'झूठा घोषणा पत्र जारी करने पर चुनाव आयोग राजनैतिक पार्टियों को दे सजा'

ईटीवी भारत ने नुक्कड़ नाटक कर रहे कलाकारों ने बातचीत की तो उन्होंने बताया के निर्वाचन आयोग को पार्टियों पर शिकंजा कसना चाहिए और एक कार्य काल सीमित करना चाहिए, जिससे पार्टियां अपने घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा कर सके, अगर राजनैतिक पार्टियां उन वादों पर खरा नहीं उतरती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

साथ ही कलाकारों ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग को सभी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों से एक शपथ पत्र लिया जाना चाहिए, जिसमें यह लिखा हो कि अगर वह अपने कार्यकाल में चुनाव से पहले किए गए वादों को अस्तित्व में नहीं लाते हैं तो उनकी पार्टी की मान्यता निरस्त की जाए.

हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र, जिसको "संकल्प पत्र" नाम दिया है उसमे किसानों से वादा किया है कि अगर सत्ता में दोबारा वापसी हुई तो 3 साल में किसानों की आय दुगनी कर देंगे. वहीं कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र 'हम निभाएंगे' में न्यूनतम आय योजना के तहत देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों को 72000 रुपये सालाना यानी 6 हजार रुपये महीना देने का वादा किया है.

नई दिल्ली: गुरुवार से 2019 लोकसभा चुनाव का पहला चरण शुरू होने जा रहा है. सभी पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं. हर बार की तरह इस बार भी राजनैतिक पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में बड़े-बड़े वादे किए गए हैं.

कोई पार्टी रोजगार की बात करती है तो कोई पार्टी बेरोजगारी भत्ता देने की. साल 2014 के घोषणापत्र में पार्टियों ने अनेकों वादे कर जनता को लुभाने की कोशिश की थी, उसी तरह 2019 के घोषणा पत्रों में भी पार्टियां दिल खोल के जनता से वादा करती नजर आ रही है और विश्वास दिला रही हैं कि अगर सत्ता में आए तो वादे निभाएंगे और जनता का कल्याण करेंगे. नेताओं की कुंडली रखने वाली जनता सब जानती है कि कौन सी पार्टी अपने चुनावी घोषणा पत्र पर आज तक कितनी खरी उतरी है.

बुधवार को दिल्ली में नुक्कड़ नाटक द्वारा सभी पार्टियों के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन किया गया. नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को बताया गया कि घोषणा पत्र के जरिए भोली भाली जनता को दशकों से बेवकूफ बनाया जा रहा है. कुछ सदस्यों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर जनता को अवगत कराया कि किस तरह एक किसान आत्महत्या कर लेता है जब नेता द्वारा किए गए वादे पूरे नहीं होते हैं.

साथ ही प्रस्तुति में यह भी दिखाया गया कि वोट मांगने से पहले नेता ने किस तरह से उस किसान को लुभाया लेकिन जीतने के बाद उसने अपने कार्यकाल में उस किसान की एक भी ना सुनी, जिससे तंग आकर किसान ने आत्महत्या कर जान दे दी. चुनाव से पहले नेता ने किसान के घर पहुंचकर वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उसके घर की टपकती छत को पक्का कराएगा और उसे कृषि ऋण से मुक्ति दिलाएगा.

'झूठा घोषणा पत्र जारी करने पर चुनाव आयोग राजनैतिक पार्टियों को दे सजा'

ईटीवी भारत ने नुक्कड़ नाटक कर रहे कलाकारों ने बातचीत की तो उन्होंने बताया के निर्वाचन आयोग को पार्टियों पर शिकंजा कसना चाहिए और एक कार्य काल सीमित करना चाहिए, जिससे पार्टियां अपने घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा कर सके, अगर राजनैतिक पार्टियां उन वादों पर खरा नहीं उतरती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

साथ ही कलाकारों ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग को सभी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों से एक शपथ पत्र लिया जाना चाहिए, जिसमें यह लिखा हो कि अगर वह अपने कार्यकाल में चुनाव से पहले किए गए वादों को अस्तित्व में नहीं लाते हैं तो उनकी पार्टी की मान्यता निरस्त की जाए.

हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र, जिसको "संकल्प पत्र" नाम दिया है उसमे किसानों से वादा किया है कि अगर सत्ता में दोबारा वापसी हुई तो 3 साल में किसानों की आय दुगनी कर देंगे. वहीं कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र 'हम निभाएंगे' में न्यूनतम आय योजना के तहत देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों को 72000 रुपये सालाना यानी 6 हजार रुपये महीना देने का वादा किया है.



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From: Shaihzad Abid <shaihzadabid@gmail.com>
Date: Wed, Apr 10, 2019 at 6:10 PM
Subject: झूठा घोषणा पत्र जारी करने पर चुनाव आयोग राजनैतिक पार्टियों को सजा दे
To: DHANANJAY KUMAR <dhananjaykumar@etvbharat.com>


झूठा घोषणा पत्र जारी करने पर चुनाव आयोग राजनैतिक पार्टियों को सजा दे 

नई दिल्ली: कल से 2019 लोकसभा चुनाव का पहला चरण शुरू होने जा रहा है। सभी पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं। हर बार की तरह इस बार भी राजनैतिक पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में बड़े बड़े वादे किये हैं। कोई पार्टी रोजगार की बात करती है तो कोई पार्टी बेरोजगारी भत्ता देने की। 2014 के घोषणापत्र में पार्टियों ने अनेकों वादे कर जनता को लुभाने की कोशिश की थी, उसी तरह 2019 के घोषणा पत्रों में भी पार्टियां दिल खोल के जनता से वादा करती नजर आ रही है और विश्वास दिला रही हैं कि अगर सत्ता में आए तो वादे निभाएंगे और जनता का कल्याण करेंगे  

नेताओं की कुंडली रखने वाली जनता सब जानती है कि कौन सी पार्टी अपने चुनावी घोषणा पत्र पर आज तक कितनी खरी उतरी है। 

आज राजधानी दिल्ली में नुक्कड़ नाटक द्वारा सभी पार्टियों के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन किया गया। नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को बताया गया कि घोषणा पत्र के जरिए भोली भाली जनता को दशकों से बेवकूफ बनाया जा रहा है।

कुछ सदस्यों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर जनता को अवगत कराया कि किस तरह एक किसान आत्महत्या कर लेता है जब नेता द्वारा किए गए वादे पूरे नहीं होते हैं। साथ ही प्रस्तुति में यह भी दिखाया गया कि वोट मांगने से पहले नेता ने किस तरह से उस किसान को लुभाया लेकिन जीतने के बाद उसने अपने कार्यकाल में उस किसान की एक भी ना सुनी जिससे तंग आकर किसान ने आत्महत्या कर जान दे दी। चुनाव से पहले नेता ने किसान के घर पहुंचकर वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उसके घर की टपकती छत को पक्का कराएगा और उसे कृषि ऋण से मुक्ति दिलाएगा।

ईटीवी भारत ने नुक्कड़ नाटक कर रहे कलाकारों ने बातचीत की तो उन्होंने बताया के निर्वाचन आयोग को पार्टियों पर शिकंजा कसना चाहिए और एक कार्य काल सीमित करना चाहिए, जिससे पार्टियां अपने घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा कर सके, अगर राजनैतिक पार्टियां उन वादों पर खरा नहीं उतरती हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए। 

साथ ही कलाकारों ने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग को सभी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों से एक शपथ पत्र लिया जाना चाहिए, जिसमें यह लिखा हो कि अगर वह अपने कार्यकाल में चुनाव से पहले किए गए वादों को अस्तित्व में नहीं लाते हैं तो उनकी पार्टी की मान्यता निरस्त की जाए।

हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र, जिसको "संकल्प पत्र" नाम दिया है उसमे किसानों से वादा किया है कि अगर सत्ता में दोबारा वापसी हुई तो 3 साल में किसानों की आय दुगनी कर देंगे, वहीं कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र "हम निभाएंगे"  में न्यूनतम आय योजना के तहत  देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों को 72000 रुपए सालाना यानी 6 हजार रुपए महीना देने का वादा किया है।


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Thanks and Regards
Dhananjay Kumar
Input head Delhi

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