नई दिल्ली: दिल्ली में बाढ़ के कारण यमुना खादर के इलाके में मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. इसको लेकर नेता और अधिकारी नगर निगम के अस्पतालों का दौरा कर तैयारियों का जायजा ले रहे हैं. इस दौरान नेता निगम के अस्पतालों में मौजूदा खामियों को दूर करने का भी निर्देश दे रहे हैं. अस्पताल के अधिकारी स्टॉक में सभी सभी दवाइयां होने का दावा कर रहे हैं लेकिन हकीकत कुछ और नजर आ रही है.
दिलशाद गार्डन स्थित निगम के स्वामी दयानंद अस्पताल की ओपीडी में बड़ी संख्या में बुखार, पेट दर्द, उल्टी और दस्त सहित अन्य बीमारियों के मरीज आ रहे हैं. लेकिन अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं अधिकारियों के दावों की पोल खोल रही हैं.
ईटीवी भारत ने स्वामी दयानंद अस्पताल में मरीजों से बातचीत की. इस दौरान मरीजों ने बताया कि उन्हें अस्पताल में पूरी दवाई नहीं मिल रही हैं. एक मरीज ने कहा, दो बजे जब ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने का मेरा नंबर आया तो डॉक्टर ही उठ कर चले गए और कहा कि अब मंगलवार को दिखाने आना. हर्ष विहार से आईं सरिता सिंह ने बताया कि उनका शुगर बढ़ा हुआ है. इससे परेशानी हो रही है. डॉक्टर को दिखाने का नंबर आया तो डॉक्टर उठ गए. एक अन्य मरीज ने बताया कि मेरे पैर में कुछ परेशानी है.
उन्होंने बताया कि अस्पताल के डाक्टरों का मरीजों के साथ व्यवहार ठीक नहीं है. डॉक्टर बदतमीजी से बात करते हैं. ढंग से देखते भी नहीं हैं. उत्तर प्रदेश के बरेली से आए मरीज ने बताया कि वह अपने सर्वाइकल के दर्द को दिखाने के लिए दयानंद अस्पताल आए थे, लेकिन उनका नंबर आया तो लंच का समय हो गया और डॉक्टर ने कहा कि अब वह मरीज को नहीं दिखेंगी. अपने बेटे को दिखाने आए एक मरीज ने बताया कि बेटे की तबीयत बहुत खराब है. उसे लगातार उल्टी और दस्त हो रहा है. इतनी कमजोरी आ गई कि खड़ा भी नहीं हो पा रहा है. जब डॉक्टर को दिखाने के लिए इमर्जेंसी में पहुंचे तो डॉक्टर ने एक टैबलेट देकर यह कहा कि कल ओपीडी में दिखाने आना अभी यह एक गोली खिला दो. इससे यह साफ है कि निगम का स्वामी दयानंद अस्पताल अभी डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बिमारियों के मरीजों का इलाज व दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है.
निगम ने नहीं शुरू नहीं किया मच्छरोधी दवाई का छिड़काव
दिल्ली नगर निगम के पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी रहे डॉ. अजय लिखी ने बताया कि दिल्ली में बाढ़ को आए एक सप्ताह हो चुका है, लेकिन अभी तक निगम ने मच्छर रोधी दवाई या पानी में मिट्टी का तेल डलवाने का काम शुरू नहीं किया है. जबकि ठहरे हुए पानी में दो दिन में मच्छर पैदा हो जाते हैं. इसलिए ठहरे हुए पानी में मच्छरों की रोकथाम के लिए निगम को तुरंत कदम उठाने चाहिए. छिड़काव न होने के कारण बाढ़ के ठहरे हुए पानी में मच्छरों के पैदा होने का प्रकोप शुरू हो चुका है.
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वहीं, स्वामी दयानंद अस्पताल के दौरे पर आईं महापौर शैली ओबेरॉय ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता है कि जलभराव वाले स्थानों से पानी निकलने के बाद वहां से सिल्ट और कचरे को साफ करना. इसके बाद दवाइयों का इंतजाम करना. जिससे डेंगू और मलेरिया के कम से कम केस आएं. साफ-सफाई रहेगी तो मच्छर नहीं पनपेंगे और डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया के मामले भी कम आएंगे.
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