नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शनिवार को किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर टूलकिट फैलाने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट जमानत याचिका पर 23 फरवरी को फैसला सुनाएगा.
न्यायिक हिरासत में है दिशा रवि
पिछले 19 फरवरी को दिशा रवि को तीन दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस मामले के सह-आरोपी शांतनु को 22 फरवरी को पूछताछ के लिए समन जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में निकिता और शांतनु पर भी आरोप हैं. दिशा रवि को दूसरे सह-आरोपियों के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है.
दो बजे सुनवाई शुरू हुई
शनिवार सुबह जब कोर्ट ने सुनवाई शुरू की तो वकील इरफान अहमद ने कहा कि इस मामले पर एएसजी एसवी राजू दिल्ली पुलिस की ओर से दलीलें रखेंगे और वे दोपहर दो बजे बहस में शामिल हो पाएंगे. तब कोर्ट ने कहा कि ये हमें पहले बताना चाहिए था. तब कोर्ट ने एसवी राजू से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बात की और दोपहर दो बजे सुनवाई का आदेश दिया.
22 फरवरी को पुलिस हिरासत की मांग कर सकती है पुलिस
दोपहर दो बजे जब सुनवाई शुरू हुई तो इरफान अहमद ने कहा कि हमने न्यायिक हिरासत की मांग करते समय शर्त लगाई थी कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रही है और उसे दूसरे सह-आरोपियों के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है. सह-आरोपी शांतनु को पूछताछ के लिए 22 फरवरी को समन जारी किया है. 22 फरवरी को हम पुलिस हिरासत की मांग कर सकते हैं. इसे कोर्ट ने स्वीकार किया था. अहमद ने कहा कि दिशा रवि की जमानत याचिका प्रि-मैच्योर है. तब कोर्ट ने पूछा कि इसमें बाधा क्या है. न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश का मतलब यह नहीं है कि जमानत पर सुनवाई नहीं हो सकती है. तब अहमद ने कहा कि कुछ ऐसे साक्ष्य हैं, जिन्हें आरोपी से शेयर नहीं किया जा सकता है. तब कोर्ट ने पूछा कि क्या सीलबंद लिफाफा है, तब अहमद ने कहा कि हां.
संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करने के दिए थे निर्देश
पिछले 19 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिशा रवि की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यूज चैनलों के संपादकों को निर्देश दिया था कि वे संपादकीय नियंत्रण सुनिश्चित करें ताकि सूचना देते समय कोई जांच प्रभावित न हो. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने कहा था कि निजता के अधिकार, देश की अखंडता और संप्रभुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन कायम होना चाहिए.
पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का खालिस्तान से संबंध
कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश हुए एसवी राजू से पूछा कि हम तीन चीजों पर दलीलें सुनना चाहते हैं. अभियोजन की कहानी, आरोप और साक्ष्य की प्रकृति पर हम दलीलें सुनना चाहते हैं. राजू ने कहा कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक संगठन खालिस्तान की वकालत करता है. इसके संस्थापक धालीवाल और अमिता लाल हैं. इसके ट्वीट सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं. ये संगठन खालिस्तान के लिए लोगों को गोलबंद करता है. इस संगठन ने किसान आंदोलन का लाभ लेना चाहा और उसके जरिये अपनी गतिविधियां आगे बढ़ाना चाहती थी. उसमें दिशा रवि भी शामिल है.
11 जनवरी को जूम के जरिये बैठक की
राजू ने कहा कि जो टूलकिट बनाया गया, उसकी साजिश कनाडा में रची गई. ये राजद्रोह की धाराएं लगाने के लिए काफी हैं. राजू ने कहा कि उन्होंने इंटरनेशनल फॉरमर्स स्ट्राइक नामक वाट्सऐप ग्रुप बनाया. उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की. राजू ने कहा कि दिशा रवि और दूसरे आरोपियों ने 11 जनवरी को जूम के जरिये धालीवाल और दूसरे आरोपियों से बात की. जूम की बैठक के बाद एक आरोपी ने ये पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन को धन्यवाद देते हुए मैसेज छोड़ा. कोर्ट ने राजू से पूछा कि क्या दूसरी FIR भी है. तब राजू ने कहा कि अभी तक नहीं. तब कोर्ट ने पूछा कि हम क्या कहें कि आरोपी का इतिहास खराब है, तब राजू ने कहा कि उनके ट्वीट देखकर.
डकैत से मंदिर के लिए दान मांगने का मतलब डकैती की पूर्व जानकारी नहीं है
सुनवाई के दौरान दिशा रवि की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि अगर हम किसी डकैत के पास मंदिर के लिए दान मांगने जाते हैं तो इसका मतलब ये है कि हमें डकैती की पूर्व जानकारी थी. उन्होंने कहा कि अगर हम किसी आंदोलन से जुड़े हैं और कुछ खास लोगों से मिल रहे हैं तो आप उनके इरादों को हम पर कैसे थोप सकते हैं. तब राजू ने कहा कि ये वे लोग हैं, जिनका इरादा सबको पता है. कोर्ट को उनके व्यवहार को देखना चाहिए, दिशा रवि हमेशा आरोपियों के संपर्क में रही हैं. तब कोर्ट ने राजू से पूछा कि टूलकिट का हिंसा से क्या संबंध है. उसका क्या सबूत है. तब राजू ने कहा कि साजिश में अलग-अलग लोगों की अलग-अलग भूमिका होती है. टूलकिट से प्रेरणा लेकर कोई हिंसा कर सकता है. कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुआ और पूछा कि यह करना है या वह करना है इसका संबंध क्या है. अगर हम अपने संज्ञान को संतुष्ट नहीं करेंगे तो हम आगे नहीं बढ़ेंगे. तब राजू ने कहा कि टूलकिट को फिर से देखें. इसके हैशटैग और लिंक को पढ़ना होगा. ये एक साधारण मैसेज नहीं है. इस लिंक ने लोगों को भड़काया है. लोगों को दिल्ली में मार्च करने के लिए कहा गया. लोगों से कहा गया कि कश्मीर में कत्लेआम हो रहा है. ये राजद्रोह है.
कोर्ट ने कनेक्शन का सीधा साक्ष्य मांगा
कोर्ट ने राजू से पूछा कि क्या कोई साक्ष्य है या केवल शक के आधार पर आरोप हैं. तब राजू ने कहा कि परिस्थितियां देखिए. खालिस्तानी मूवमेंट हिंसक रहा है. तब कोर्ट ने पूछा कि आरोपी के खिलाफ वास्तविक साक्ष्य क्या हैं. आप खालिस्तानी लिंक को छोड़कर दूसरा तथ्य बताएं. तब राजू ने कहा कि साजिश दिमागों के मिलन से होता है. कानून के मुताबिक, साजिश की शर्तें पूरी हो रही हैं. तब कोर्ट ने पूछा कि क्या मैं ये मानूं कि अब तक कोई सीधा लिंक नहीं है. तब राजू ने कहा कि पुलिस अभी जांच कर रही है.
जांच जारी है
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौजूद दिल्ली पुलिस के डीसीपी से पूछा कि क्या वास्तविक साजिशकर्ता गिरफ्तार हुआ है, तब डीसीपी ने कहा कि हां. तब कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या आपने कोई लिंक स्थापित किया है, तब राजू ने कहा कि अभी जांच जारी है. इस पर कोर्ट ने कहा या तो मैंने सवाल सही नहीं पूछा है या आप जवाब नहीं देना चाहते हैं. ये बताएं कि इस मामले में साजिश का लिंक साबित करने का क्या सबूत है.
दिशा रवि का खालिस्तान से लिंक नहीं
सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि दिशा रवि का खालिस्तान से कोई लिंक नहीं रहा है. इसमें धन का भी कोई एंगल नहीं है. तब कोर्ट ने कहा कि इसमें तीसरा एंगल भी हो सकता है. दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. अग्रवाल ने कहा कि अगर किसानों के आंदोलन को ग्लोबल प्लेटफार्म पर हाईलाईट करना राजद्रोह है तो हम दोषी हैं.
ग्रेटा थनबर्ग से बात करने से समस्या हुई
अग्रवाल ने कहा कि अगर दिशा रवि ने इतनी बड़ी साजिश की होती तो वो अपने फोन नंबर से वाट्सऐप ग्रुप क्यों बनाती. अग्रवाल ने कहा कि समस्या ये है कि दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग से बात की और उन्हें किसानों के आंदोलन के बारे में ट्वीट के जरिये समझाया. ट्वीट में खालिस्तान मूवमेंट का कोई जिक्र नहीं है.
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14 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था
पटियाला हाउस कोर्ट ने पिछले 14 फरवरी को दिशा रवि को 19 फरवरी तक की पुलिस हिरासत में भेजा था. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिशा रवि को बंगलुरु से गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस का आरोप है कि दिशा रवि ने किसान आंदोलन से जुड़े उस डॉक्युमेंट को शेयर किया, जिसे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट किया था. दिशा पर टूलकिट नाम के उस डॉक्युमेंट को एडिट करके उसमें कुछ चीज़ें जोड़ने और उसे आगे फॉरवर्ड करने का आरोप है.
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क्या-क्या हैं आरोप
यह टूलकिट तब चर्चा में आया था, जब इसे अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए अपने ट्विटर एकाउंट पर साझा किया. उसके बाद पुलिस ने पिछले 4 फरवरी को FIR दर्ज की थी. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 120ए और 153ए के तहत बदनाम करने, आपराधिक साजिश रचने और नफरत को बढ़ावा देने के आरोपों में FIR दर्ज की है.