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हम कलाकार, लोगों में प्यार और खुशी बांटते हैं : पंडित बिरजू महाराज

* NSD में 20 भारत रंग महोत्सव का आयोजन * देश भर के कलाकारों ने लिया भाग * पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज रहे मुख्यातिथि * कला के लिए मामूली शुल्क भी जरूरी- पंडित बिरजू

भारत रंग महोत्सव में पहुंचे पंडित बिरजू महाराज
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Published : Feb 22, 2019, 12:02 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में भारत रंग महोत्सव का आयोजन हुआ. ये कार्यक्रम 1 फरवरी से 21 तक चला, जिसमें देशभर के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया. महोत्सव के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज और अरुण गोयल (सचिव संस्कृति मंत्रालय) उपस्थित रहे.

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'हम लोगों में प्यार और खुशी बांटते हैं.'

समापन समारोह कार्यक्रम का आयोजन मंडी हाउस में स्थित कमानी सभागार में किया गया. इस दौरान नाटक धूम्रपान भी प्रस्तुत किया गया, जिसे आकर्ष खुराना ने निर्देशित किया. वहीं दर्शकों को संबोधित करते हुए पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज ने कहा कि हम लोगों में प्यार और खुशी बांटते हैं. उन्होंने कहा कि खुशी होती है जब लोग आपकी कला का सम्मान करते हैं.

शुल्क भी जरूरी

पंडित बिरजू ने कहा कि वक्त के साथ-साथ खर्च बढ़ा गया है, उस हिसाब से कला को देखने के लिए मामूली शुल्क भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि टिकट का दाम ज्यादा नहीं होना चाहिए ताकि दर्शक कला के पास रहें, लेकिन शुल्क रखना अब समय की जरूरत है.

'बेशक हम आधुनिक हो गए हैं, लेकिन आज भी रावण हैं, कंस हैं और राम भी'

'हम खुशी बांटते हैं '

उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में नाट्य-संगीत हमारी पुरानी धरोहर है. आज भी हम राम, कृष्ण और शिव की कथा गाते हैं. उससे हम अलग नहीं हो सकते. बेशक हम आधुनिक हो गए हैं, लेकिन आज के दौर में भी रावण हैं, कंस हैं और राम भी हैं. इस संसार में सभी प्रकार के लोग हैं. कला हमें लोगों से जोड़ती है और कलाकार तो सभी लोगों को खुश रखता है.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में भारत रंग महोत्सव का आयोजन हुआ. ये कार्यक्रम 1 फरवरी से 21 तक चला, जिसमें देशभर के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया. महोत्सव के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज और अरुण गोयल (सचिव संस्कृति मंत्रालय) उपस्थित रहे.

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'हम लोगों में प्यार और खुशी बांटते हैं.'

समापन समारोह कार्यक्रम का आयोजन मंडी हाउस में स्थित कमानी सभागार में किया गया. इस दौरान नाटक धूम्रपान भी प्रस्तुत किया गया, जिसे आकर्ष खुराना ने निर्देशित किया. वहीं दर्शकों को संबोधित करते हुए पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज ने कहा कि हम लोगों में प्यार और खुशी बांटते हैं. उन्होंने कहा कि खुशी होती है जब लोग आपकी कला का सम्मान करते हैं.

शुल्क भी जरूरी

पंडित बिरजू ने कहा कि वक्त के साथ-साथ खर्च बढ़ा गया है, उस हिसाब से कला को देखने के लिए मामूली शुल्क भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि टिकट का दाम ज्यादा नहीं होना चाहिए ताकि दर्शक कला के पास रहें, लेकिन शुल्क रखना अब समय की जरूरत है.

'बेशक हम आधुनिक हो गए हैं, लेकिन आज भी रावण हैं, कंस हैं और राम भी'

'हम खुशी बांटते हैं '

उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में नाट्य-संगीत हमारी पुरानी धरोहर है. आज भी हम राम, कृष्ण और शिव की कथा गाते हैं. उससे हम अलग नहीं हो सकते. बेशक हम आधुनिक हो गए हैं, लेकिन आज के दौर में भी रावण हैं, कंस हैं और राम भी हैं. इस संसार में सभी प्रकार के लोग हैं. कला हमें लोगों से जोड़ती है और कलाकार तो सभी लोगों को खुश रखता है.

Intro:राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में चल रहा 20 भारत रंग महोत्सव का गुरुवार को समापन होगा. 1 फरवरी से 21 तक चले इस महोत्सव में देश भर के कलाकारों ने अपनी कला प्रदर्शन किया. वहीं इस महोत्सव के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज और अरुण गोयल सचिव संस्कृति मंत्रालय रहे. समापन समारोह कार्यक्रम का आयोजन मंडी हाउस में स्थित कमानी सभागार में किया गया था. इस दौरान आकर्ष खुराना द्वारा निर्देशित नाटक धूम्रपान भी प्रस्तुत किया गया.




Body:वहीं दर्शकों को संबोधित करते हुए पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज ने कहा कि हम लोगों में प्यार और खुशी बांटते हैं. उन्होंने कहा कि खुशी होती है जब लोग आपके कला का सम्मान करते हैं. साथ ही कहा कि वक़्त के साथ खर्च बढ़ा गया है. उस हिसाब से कला को देखने के लिए मामूली शुल्क भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि टिकट का दाम अधिक नहीं होना चाहिए. जिससे कि जो दर्शक देखने के लिए आते हैं वो दूर न हो जाएं. लेकिन शुल्क रखना अब समय की जरूरत बनते जा रही है क्योंकि हर चीज़ को मेंटेन करने है.

वहीँ पंडित बिरजू महाराज ने कहा कि भारतीय परंपरा में नाट्य, संगीत यह सब हमारी धरोहर है पुरानी. और हम वो मजबूत लोग है जो कभी भटकते नहीं है आज भी हम राम , कृष्ण, और शिव की कथा गाते हैं. उस से हम अलग थोड़ी हो सकते है. बेशक हम आधुनिक हो गए है लेकिन आज भी आज के दौर में भी रावण है, कंस, बहुत से और इसमें राम भी हैं. इस संसार में सभी प्रकार के लोग है. कलाकार तो सभी लोगों को खुश रखता है इसी उद्देश्य से हम चाह रहे हैं कि कुछ बीच का रहा निकाले जिसे की जब शुल्क लगना शुरू हो तो दर्शक भी दूर न हो और हमारा खर्च भी निकाले.


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