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12 घंटे बुआई करने के बाद मिलते हैं 300 रुपए, फिर भी डटे हुए हैं मजदूर

कोरोना वायरस महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के बाद किसान के साथ-साथ खेतों में काम करने वाले मजदूर भी परेशान हैं. 12 घंटे धान की बुआई करने के बाद भी केवल 300 रुपए ही मिलते हैं. इसके बावजूद वह धान की बुआई में लगे हुए हैं.

grain sowing worker facing problem due to low wages
धान की बुआई
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Published : Jul 8, 2020, 10:20 AM IST

नई दिल्लीः वैश्विक महामारी के समय में जहां एक बड़ी जनसंख्या को खाने के दाने-दाने के लिए तरसना पड़ गया. वहीं उन तक खाना पहुंचाने वाले किसानों का हाल भी यही होगा यह किसने सोचा था. परंतु बक्करवाला में खेतों में धान की बुआई करके अपना गुजारा करने वाले मजदूर किसानों की यही दास्तां है.

खेतों में काम करने वाले मजदूर परेशान

महामारी के समय डटे हुए हैं मजदूर

कोरोना वायरस के डर से आम लोग अपने घरों में बंद हैं, लेकिन किसान ऐसा नहीं कर सकते. यदि वह ऐसा करते हैं, तो आम लोगों तक खाना कैसे पहुंचेगा. इसलिए इस माहौल में भी वह अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट रहे और खेतों में धान की बुआई कर रहे हैं, जिससे वह अपने परिवार का पेट पालने के साथ अन्य लोगों तक भी खाना पहुंचा पाएं.

12 घंटे मजदूरी के मिलते हैं 300 रुपए

यह मजदूर किसान सुबह 5:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक मजदूरी करते हैं. लेकिन 12 घंटे मजदूरी करने के बाद भी इन्हें, दिन के केवल साढ़े तीन सौ रुपए ही मिलते हैं. जिसके कारण इनकी उम्मीद टूटती जा रही है और इन्हें अपने परिवार का पालन पोषण करने में काफी कठिनाइयों से गुजारना पड़ रहा है.

बावजूद इसके वह इस उम्मीद में धान की बुआई में लगे हुए हैं कि जल्द ही पुराने दिन लौट आएंगे और उन्हें उनकी पूरी मजदूरी मिल पाएगी. जिससे वह आसानी से अपने परिवार और बच्चों को दो वक्त की रोटी खिला सकेंगे.

नई दिल्लीः वैश्विक महामारी के समय में जहां एक बड़ी जनसंख्या को खाने के दाने-दाने के लिए तरसना पड़ गया. वहीं उन तक खाना पहुंचाने वाले किसानों का हाल भी यही होगा यह किसने सोचा था. परंतु बक्करवाला में खेतों में धान की बुआई करके अपना गुजारा करने वाले मजदूर किसानों की यही दास्तां है.

खेतों में काम करने वाले मजदूर परेशान

महामारी के समय डटे हुए हैं मजदूर

कोरोना वायरस के डर से आम लोग अपने घरों में बंद हैं, लेकिन किसान ऐसा नहीं कर सकते. यदि वह ऐसा करते हैं, तो आम लोगों तक खाना कैसे पहुंचेगा. इसलिए इस माहौल में भी वह अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट रहे और खेतों में धान की बुआई कर रहे हैं, जिससे वह अपने परिवार का पेट पालने के साथ अन्य लोगों तक भी खाना पहुंचा पाएं.

12 घंटे मजदूरी के मिलते हैं 300 रुपए

यह मजदूर किसान सुबह 5:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक मजदूरी करते हैं. लेकिन 12 घंटे मजदूरी करने के बाद भी इन्हें, दिन के केवल साढ़े तीन सौ रुपए ही मिलते हैं. जिसके कारण इनकी उम्मीद टूटती जा रही है और इन्हें अपने परिवार का पालन पोषण करने में काफी कठिनाइयों से गुजारना पड़ रहा है.

बावजूद इसके वह इस उम्मीद में धान की बुआई में लगे हुए हैं कि जल्द ही पुराने दिन लौट आएंगे और उन्हें उनकी पूरी मजदूरी मिल पाएगी. जिससे वह आसानी से अपने परिवार और बच्चों को दो वक्त की रोटी खिला सकेंगे.

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