नई दिल्ली: राजधानी में दिल्ली में ऑक्सीजन को लेकर हंगामा मचा हुआ है. केंद्र और राज्य के बीच आरोप प्रत्यारोप जारी है और दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की खबरें लगातार आ रही हैं. हाल ये रहा कि मैक्स जैसा नामी अस्पताल ऑक्सीजन के लिए बुधवार को सरकार से गुहार लगाता रहा, जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो आखिरकार मैक्स अस्पताल दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा. तब कहीं जाकर सरकार ने ऑक्सीजन पहुंचाने का भरोसा दिया.
ऑक्सीजन पर तकरार
सीरियस कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन अमृत के सामान है. राजधानी में ऑक्सीजन को लेकर पिछले 17 अप्रैल से ही दिल्ली सरकार लगातार केंद्र से गुहार लगा रही थी. प्रेस कॉन्फ्रेंस फिर चिट्ठी और फिर ट्ववीटर, कुछ ऐसी ही कहानी है दिल्ली में ऑक्सीजन पर तकरार की. कई दिनों से चल रही ये तकरार मंगलवार और बुधवार को तब बढ़ गई, जब सीएम ने केंद्र से गुहार लगाते हुए साफ कह दिया कि दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ कुछ घंटों की ही ऑक्सीजन बची है. सीएम के बाद डिप्टी सीएम ने भी अस्पतालों में मौजूद ऑक्सीजन के भंडारण की पूरी जानकारी ट्वीट कर दे दी.
मंगलवार रात को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी ट्वीट किया और फिर किसी तरह से अस्पतालों को ऑक्सीजन मिलने लगा. मंगलवार को ही हाईकोर्ट ने भी ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर सरकार को कई निर्देश दिए थे.
इसके बाद बुधवार से सरकार के साथ-साथ अस्पताल भी सक्रिय हुए और ऑक्सीजन के लिए गुहार लगाने लगा. अपोलो, सर गंगाराम, सेंट स्टीफन जैसे अस्पताल में सैकड़ों जिंदगियां ऑक्सीजन के कारण खतरे में आ गईं. हालांकि कुछ घंटों में ही इन अस्पतालों में ऑक्सीजन पहुंच गया, लेकिन इन सबके बीच मैक्स अस्पताल ऑक्सीजन के लिए गुहार लगाता रहा, लेकिन उसे ऑक्सीजन नहीं मिली.
मनीष सिसोदिया ने इस बीच एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने की मांग की. कोरोना मामलों के नोडल मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी है और पिछले चार-पांच दिनों से केंद्र सरकार से हम सप्लाई बढ़ाने को कह रहे हैं. सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की जो कमी हुई है, उसके दो मुख्य कारण हैं. सबसे पहला कारण यह है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के लिए जो ऑक्सीजन का कोटा तय किया है, अचानक मरीजों की संख्या बढ़ने से उससे ज्यादा ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है.
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में जिस तरह कोरोना के मामले बढ़े हैं और आसपास के राज्यों से भी जिस तरह कोरोना के मरीज दिल्ली आ रहे हैं, उससे अचानक दिल्ली में ऑक्सीजन की डिमांड तेजी से बढ़ी है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि आज ऑक्सीजन की सप्लाई केंद्र और राज्य की संयुक्त जिम्मेदारी है. दिल्ली का कोटा 378 मीट्रिक टन का है, लेकिन मांग आज बढ़कर 700 मीट्रिक टन हो गई है. इसलिए हमारी मांग है कि सप्लाई में बढ़ोतरी की जाए.
उन्होंने कहा कि कल कई अस्पतालों में ऑक्सीजन का संकट हो गया था. कुछ अस्पतालों में फरीदाबाद से स्टॉक आनी थी, लेकिन वहां के अधिकारी ने दिल्ली के लिए और अन्य राज्यों के लिए जाने वाले ऑक्सीजन टैंकर को रोक दिया और कहा कि वहां से केवल हरियाणा के लिए ऑक्सीजन जाएगी. सिसोदिया ने कहा कि जब केंद्र सरकार को यह तय करना है कि किस राज्य को कितना ऑक्सीजन मिलेगा, तो फिर राज्य सरकारें क्यों किसी की सप्लाई को रोक रहीं हैं.
आदेश गुप्ता ने क्या कहा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने मंगलवार को एक ट्वीट कर कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में कुछ घंटों का ऑक्सीजन बची है, पर दिल्ली सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. केजरीवाल जी अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डालना बंद करो, दूसरे राज्य भी अन्य जगहों से ऑक्सीजन की व्यवस्था कर रहे हैं. अगर आप ईमानदारी से प्रयास करते तो दिल्ली में ऐसी स्थिति न होती.
अनिल विज का आरोप
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा नेता अनिल विज ने दिल्ली सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि हम पर दवाब बनाया जा रहा है कि हम दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई करें, लेकिन हम पहले प्रदेशवासियों को ऑक्सीजन मुहैया करवाएंगे. उसके बाद अगर बच जाती है तो दिल्ली को देने में हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जिस तरह से दिल्ली सरकार ऑक्सीजन की पूर्ति करने के लिए हथकंडे अपना रही है. वह निंदनीय है. हरियाणा के गृह मंत्री ने कहा कि हाल ही में हरियाणा का ऑक्सीजन टैंकर दिल्ली से जा रहा था. जिसे दिल्ली सरकार ने जबरदस्ती हथिया लिया. इस तरह के हथकंडे अपनाने से देश में अफरा-तफरी का माहौल फैल जाएगा. यह दिल्ली सरकार द्वारा बेहद निंदनीय कार्य किया गया है, इसलिए हमने अब ऑक्सीजन टैंकर को पुलिस एस्कॉर्ट के साथ भेजने का निर्णय लिया है.
अभी ऑक्सीजन की किल्लत की कहानी चल ही रही थी मंगलवार शाम सीएम केजरीवाल ने ट्वीट कर जानकारी दी कि दिल्ली के लिए केंद्र ने ऑक्सीजन का कोटा बढ़ा दिया है. सीएम केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली का ऑक्सीजन का कोटा बढ़ा दिया है, इसके लिए केन्द्र सरकार का शुक्रिया. यानी जो तरकार पिछले कई दिनों से चल रही थी वो शुक्रिया पर आकर खत्म होती दिखी...
दिल्ली और केंद्र के स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. मैक्स अस्पताल अभी भी ऑक्सीजन का वेट कर रहा था. शालीमार बाग के मैक्स अस्पताल ने आरोप लगाया कि उनके ऑक्सीजन टैंकर को एम्स भेज दिया गया.
मैक्स प्रशासन इसे लेकर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को शिकायत भेजी. इसमें कहा गया कि मंगलवार रात मैक्स हॉस्पिटल, शालीमार बाग आने वाले ऑक्सीजन टैंकर को एम्स भेज दिया गया. इसके कारण अस्पताल के ऑक्सीजन टैंक खाली हो गए और ऐसी गंभीर परिस्थिति में मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए संभालना पड़ा.
मैक्स ने कहा है कि यहां 250 कोरोना मरीज़ हैं और ज़्यादातर ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. इस घटना की वजह से मरीजों की सुरक्षा खतरे में पड़ी है और इससे हालात काफी गंभीर हो सकते हैं. मैक्स प्रशासन ने सरकार से सप्लाई सुनिश्चित करने की अपील की है. मैक्स अस्पताल को रोजाना 25 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है, लेकिन सप्लाई रोकी जा रही है. आपको बता दें कि सुबह 8 बजे मैक्स शालीमार बाग में 9 घण्टे के इस्तेमाल की ऑक्सीजन स्टोरेज ही थी.
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हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
इसके बाद भी जब इस अस्पताल की सुनवाई नहीं हुई तो यह अस्पताल मरीजों की जान बचाने और ऑक्सीजन पाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट की शरण में चला गया. दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की तुरंत सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वे उद्योगों को दी जानेवाली सप्लाई तुरंत बंद करें और अस्पतालों को ऑक्सीजन दे. जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करें और लोगों की जान की रक्षा करे. मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए जो भी करना पड़े वो करे.
कोर्ट ने कहा मामला बेहद गम्भीर है , आज मैक्स अस्पताल आया है कल और लोग आएंगे. कोर्ट ने कहा कि अगर जरुरत पड़े तो उद्योगों खासकर स्टील और पेट्रोलियम को दी जाने वाली पूरी ऑक्सीजन की सप्लाई को रोक दें और अस्पतालों को दें. केंद्र सरकार प्लांटों से ऑक्सीजन के परिवहन की व्यवस्था करें. अगर जरूरत पड़े तो उसे ऑक्सीजन सिलेंडर को एयरलिफ्ट किया जाए.