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'रहमान राही ने हमेशा कश्मीरी लोगों को बेहतर और नया साहित्य देने की कोशिश की' - बेहतर और नया साहित्य देने की कोशिश की

कश्मीरी परामर्श मंडल के पूर्व संयोजक गुलाम नबी आतश ने कहा कि रहमान राही के न रहने से पूरा कश्मीर और कश्मीरी अदब ग़मज़दा है. उन्होंने कश्मीरी कविता को नई दिशा दी. उनके लेखन की सच्ची परख तो अभी होना बाकी है. अभी नई पीढ़ी को उनके व्यक्तित्व को जानना, पहचानना बाकी है. ज़मान आर्जुदा ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हम उनके दौर में थे.

रहमान राही के निधन पर एक ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
रहमान राही के निधन पर एक ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
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Published : Jan 13, 2023, 9:01 PM IST

नई दिल्ली: साहित्य अकादमी की तरफ से शुक्रवार को प्रख्यात कश्मीरी कवि, अनुवादक तथा आलोचक एवं साहित्य अकादमी के महत्तर सदस्य रहमान राही के निधन पर एक ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि रहमान राही ने हमेशा कश्मीरी लोगों को बेहतर और नया साहित्य देने की कोशिश की. उनके दरवाजे हर किसी के लिए हमेशा खुले रहे. वे अपने आप में सच्चे मानवतावादी थे, केवल अपने लेखन में ही नहीं बल्कि व्यवहार में भी. उनका लिखा हुआ हमेशा इंसानियत की ज्योत जलाए रखेगा. ज्ञात हो कि रहमान राही का निधन 9 जनवरी 2023 को श्रीनगर में हो गया था.

पूरा कश्मीर और कश्मीरी अदब ग़मज़दा है
कश्मीरी परामर्श मंडल के पूर्व संयोजक गुलाम नबी आतश ने कहा कि रहमान राही के न रहने से पूरा कश्मीर और कश्मीरी अदब ग़मज़दा है. उन्होंने कश्मीरी कविता को नई दिशा दी. उनके लेखन की सच्ची परख तो अभी होना बाकी है. अभी नई पीढ़ी को उनके व्यक्तित्व को जानना, पहचानना बाकी है. ज़मान आर्जुदा ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हम उनके दौर में थे. उन्होंने कश्मीरी गजल को उन ऊँचाइयों तक पहुँचाया जिसकी कल्पना अब करना भी मुश्किल है. कश्मीर और कश्मीरी भाषा के लिए उनका काम उन्हें हमेशा जिंदा रखेगा. वे पूरे कश्मीरी परिवार का हिस्सा थे. शाद रमज़ान ने कहा कि उनकी हैसियत का शायर न उनसे पहले हुआ न उनके बाद होगा. उनकी शायरी में हर जगह इंसानियत के सवाल मौजूद थे.

कश्मीरी साहित्य के लिए अतुलनीय है उनका योगदान
मजरूह राशिद ने कहा कि कश्मीरी साहित्य के लिए उनका योगदान अतुलनीय है. वे कश्मीर के असाधारण व्यक्तित्व थे. उन्होंने स्वयं तो लिखा ही बल्कि एक पूरी ऐसी ज़िम्मेदार पीढ़ी तैयार की जो कश्मीर और कश्मीरी साहित्य के सवालों को आगे ले गई. उन्होंने अपनी प्रतिभा से कश्मीरी भाषा को एक नई चमक दी जबकि वे चाहते तो उर्दू को भी अपनी लेखनी बना सकते थे. अमीन भट् ने उन्हें एक परफेक्शनिस्ट व्यक्तित्व का प्रतीक मानते हुए कहा कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुचाया. वे कश्मीरी संस्कृति के नायक थे. श्रद्धांजलि सभा में फ़ारूख़ फ़ैयाज़, बशीर आरिफ़ और गौरीशंकर रैणा ने भी अपनी श्रद्धांजलि दी.

ये भी पढ़ें: दिल्ली के 7 खिलाड़ियों ने कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता मेडल, CM ने किया सम्मानित

नई दिल्ली: साहित्य अकादमी की तरफ से शुक्रवार को प्रख्यात कश्मीरी कवि, अनुवादक तथा आलोचक एवं साहित्य अकादमी के महत्तर सदस्य रहमान राही के निधन पर एक ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि रहमान राही ने हमेशा कश्मीरी लोगों को बेहतर और नया साहित्य देने की कोशिश की. उनके दरवाजे हर किसी के लिए हमेशा खुले रहे. वे अपने आप में सच्चे मानवतावादी थे, केवल अपने लेखन में ही नहीं बल्कि व्यवहार में भी. उनका लिखा हुआ हमेशा इंसानियत की ज्योत जलाए रखेगा. ज्ञात हो कि रहमान राही का निधन 9 जनवरी 2023 को श्रीनगर में हो गया था.

पूरा कश्मीर और कश्मीरी अदब ग़मज़दा है
कश्मीरी परामर्श मंडल के पूर्व संयोजक गुलाम नबी आतश ने कहा कि रहमान राही के न रहने से पूरा कश्मीर और कश्मीरी अदब ग़मज़दा है. उन्होंने कश्मीरी कविता को नई दिशा दी. उनके लेखन की सच्ची परख तो अभी होना बाकी है. अभी नई पीढ़ी को उनके व्यक्तित्व को जानना, पहचानना बाकी है. ज़मान आर्जुदा ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हम उनके दौर में थे. उन्होंने कश्मीरी गजल को उन ऊँचाइयों तक पहुँचाया जिसकी कल्पना अब करना भी मुश्किल है. कश्मीर और कश्मीरी भाषा के लिए उनका काम उन्हें हमेशा जिंदा रखेगा. वे पूरे कश्मीरी परिवार का हिस्सा थे. शाद रमज़ान ने कहा कि उनकी हैसियत का शायर न उनसे पहले हुआ न उनके बाद होगा. उनकी शायरी में हर जगह इंसानियत के सवाल मौजूद थे.

कश्मीरी साहित्य के लिए अतुलनीय है उनका योगदान
मजरूह राशिद ने कहा कि कश्मीरी साहित्य के लिए उनका योगदान अतुलनीय है. वे कश्मीर के असाधारण व्यक्तित्व थे. उन्होंने स्वयं तो लिखा ही बल्कि एक पूरी ऐसी ज़िम्मेदार पीढ़ी तैयार की जो कश्मीर और कश्मीरी साहित्य के सवालों को आगे ले गई. उन्होंने अपनी प्रतिभा से कश्मीरी भाषा को एक नई चमक दी जबकि वे चाहते तो उर्दू को भी अपनी लेखनी बना सकते थे. अमीन भट् ने उन्हें एक परफेक्शनिस्ट व्यक्तित्व का प्रतीक मानते हुए कहा कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुचाया. वे कश्मीरी संस्कृति के नायक थे. श्रद्धांजलि सभा में फ़ारूख़ फ़ैयाज़, बशीर आरिफ़ और गौरीशंकर रैणा ने भी अपनी श्रद्धांजलि दी.

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