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कोरोना के बाद से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बढ़ी छात्रों की संख्या: रिपोर्ट

राजधानी दिल्ली में कोरोना के बाद निजी स्कूलों के बच्चे सरकारी स्कूलों की तरफ रूख करने लगे. सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी बढ़ने (Number of students increased in government schools of Delhi) लगी. प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.

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Published : Nov 23, 2022, 6:59 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोविड के दौरान कई शिक्षण संस्थान बंद हो गए थे. राजधानी में बहुत सारे बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते थे, लेकिन कोरोना के बाद यही निजी स्कूलों के बच्चे सरकारी स्कूलों की तरफ रूख करने लगे. इस प्रकार सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी बढ़ने (Number of students increased in government schools of Delhi) लगी. यह जानकारी बुधवार को जारी प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट में प्रजा फाउंडेशन ने दिल्ली में सार्वजनिक (स्कूल) शिक्षा के दस साल के चलन का विश्लेषण किया है.

आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में 2018-19 से छात्रों की संख्या बढ़ रही है और कोविड -19 के दौरान 2018-19 से 2021-22 तक इन संख्याओं में 18% की वृद्धि हुई. हालांकि यह अभी भी चिंताजनक है कि 2014-15 से 2020-21 तक 9वीं कक्षा के छात्रों में से 38% (7,58,338 ) छात्र 10वीं कक्षा में जाने में विफल रहे और 11 वीं कक्षा के छात्रों में से 19% (2,23,471) छात्र 12वीं कक्षा में जाने में विफल रहे.

दिल्ली सरकारी स्कूलों में बढ़ी छात्रों की संख्या

रिपोर्ट के मुताबिक, 9वीं और 11वीं कक्षा के छात्रों की बढ़ती संख्या, जो अगली कक्षा में जाने में विफल रहे, का कारण 8वीं और उससे नीचे के कक्षा के छात्रों के शिक्षण परिणामों के सुधार में पर्याप्त ध्यान देने की कमी हो सकती है. पत्राचार और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एन.आई.ओ.एस) परियोजना जैसी राज्य योजनाएं इन छात्रों को 10वीं और 12वीं की परीक्षा करवाकर अपनी शिक्षा पूरी करने का मौका देती हैं.

प्रजा फाउंडेशन के डायलॉग प्रोग्राम प्रमुख योगेश मिश्रा ने बताया कि इन योजनाओं के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 2019-20 में, 9वीं कक्षा में असफल होने वाले 60,635 छात्रों में से केवल 26% ने 2020-21 में पत्राचार और एन.आई.ओ.एस के लिए नामांकन किया. हालांकि, पत्राचार 10वीं परीक्षा के लिए उपस्थित छात्रों में से केवल 47% ही परीक्षा पास कर सके. इसी तरह 2020-21 में, 11वीं कक्षा में असफल होने वाले 4,008 छात्रों में से केवल 40% छात्रों ने 2021-22 के लिए पत्राचार में दाखिला लिया, जिसमें से 70% 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण कर सके.

इतने छात्रों ने दाखिला नहीं लियाः फाउडेशन की ओर से कहा गया कि साल 2014-15 से 2021-22 तक, 8,15,654 छात्र जिन्होंने पत्रचार/एन.आई.ओ.एस में दाखिला नहीं लिया और 99,733 छात्र जो सीधे या पत्राचार के माध्यम से 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा पास नहीं कर सके, उन्होंने आगे की पढ़ाई जारी रखी या नहीं, इस बात की कोई जानकारी नहीं है. जब एन.ई.पी. सभी के लिए शिक्षा का 100% नामांकन और ट्रैकिंग उल्लेख करता है, यह दिल्ली की खराब शिक्षा प्रणाली को दर्शाता है कि ये छात्र व्यवस्था से छूट रहे हैं. यह आगे इन छात्रों के जीविका को भी प्रभावित करेगा क्योंकि उनकी समग्र शिक्षा पूरी नहीं हुई है.

शिक्षा के 6 फीसद मुद्दे उठाए गएः फाउंडेशन की ओर से कहा गया है कि 2021 में दिल्ली के विधायकों द्वारा कुल उठाए गए 783 मुद्दों में से केवल 6% शिक्षा पर थे. इसके अलावा, दिल्ली के विधायकों द्वारा प्रधानाचार्यों और शिक्षकों की रिक्ति पर केवल 7 मुद्दे उठाए गए, जब शिक्षण कर्मचारियों में 20% रिक्ति है. आगे कहा गया कि एन.ई.पी. लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए दोनों सरकारों के लिए सभी क्षेत्रों, जिलों और मुख्यालयों में शिक्षा के आंकड़ों को प्रभावी ढंग से बनाए रखना आवश्यक है. जो छात्र पढ़ाई छोड़ (ड्रॉप आउट) चुके हैं, उनका पता लगाकर उनकी शिक्षा पूरी करने के लिए प्रभावी उपाय सुनिश्चित किए जाने चाहिए.

ये भी पढ़ेंः MCD Election: पूर्वांचली मतदाताओं की 60 से अधिक सीटों पर दबदबा, AAP और BJP लुभाने में जुटी

इसके अलावा सरकारी अभिकरणों को नीति में निर्धारित पर्याप्त बुनियादी अवसंरचना और सुविधाएं सुनिश्चित उपलब्ध कराने चाहिए. बजटीय आवंटनों के कुशल उपयोग से इन कमियों को प्रभावी ढंग से दूर किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त, एम.सी.डी और राज्य सरकार को योजनाओं में एकरूपता सुनिश्चित करने और दिल्ली स्कूली छात्रों के लिए प्री-प्राइमरी से उच्च माध्यमिक तक गुणवत्ताशील शिक्षा प्रदान करने के लिए सहयोग और सहभागिता करने की आवश्यकता है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोविड के दौरान कई शिक्षण संस्थान बंद हो गए थे. राजधानी में बहुत सारे बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते थे, लेकिन कोरोना के बाद यही निजी स्कूलों के बच्चे सरकारी स्कूलों की तरफ रूख करने लगे. इस प्रकार सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या काफी बढ़ने (Number of students increased in government schools of Delhi) लगी. यह जानकारी बुधवार को जारी प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट में सामने आई है. रिपोर्ट में प्रजा फाउंडेशन ने दिल्ली में सार्वजनिक (स्कूल) शिक्षा के दस साल के चलन का विश्लेषण किया है.

आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में 2018-19 से छात्रों की संख्या बढ़ रही है और कोविड -19 के दौरान 2018-19 से 2021-22 तक इन संख्याओं में 18% की वृद्धि हुई. हालांकि यह अभी भी चिंताजनक है कि 2014-15 से 2020-21 तक 9वीं कक्षा के छात्रों में से 38% (7,58,338 ) छात्र 10वीं कक्षा में जाने में विफल रहे और 11 वीं कक्षा के छात्रों में से 19% (2,23,471) छात्र 12वीं कक्षा में जाने में विफल रहे.

दिल्ली सरकारी स्कूलों में बढ़ी छात्रों की संख्या

रिपोर्ट के मुताबिक, 9वीं और 11वीं कक्षा के छात्रों की बढ़ती संख्या, जो अगली कक्षा में जाने में विफल रहे, का कारण 8वीं और उससे नीचे के कक्षा के छात्रों के शिक्षण परिणामों के सुधार में पर्याप्त ध्यान देने की कमी हो सकती है. पत्राचार और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एन.आई.ओ.एस) परियोजना जैसी राज्य योजनाएं इन छात्रों को 10वीं और 12वीं की परीक्षा करवाकर अपनी शिक्षा पूरी करने का मौका देती हैं.

प्रजा फाउंडेशन के डायलॉग प्रोग्राम प्रमुख योगेश मिश्रा ने बताया कि इन योजनाओं के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 2019-20 में, 9वीं कक्षा में असफल होने वाले 60,635 छात्रों में से केवल 26% ने 2020-21 में पत्राचार और एन.आई.ओ.एस के लिए नामांकन किया. हालांकि, पत्राचार 10वीं परीक्षा के लिए उपस्थित छात्रों में से केवल 47% ही परीक्षा पास कर सके. इसी तरह 2020-21 में, 11वीं कक्षा में असफल होने वाले 4,008 छात्रों में से केवल 40% छात्रों ने 2021-22 के लिए पत्राचार में दाखिला लिया, जिसमें से 70% 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण कर सके.

इतने छात्रों ने दाखिला नहीं लियाः फाउडेशन की ओर से कहा गया कि साल 2014-15 से 2021-22 तक, 8,15,654 छात्र जिन्होंने पत्रचार/एन.आई.ओ.एस में दाखिला नहीं लिया और 99,733 छात्र जो सीधे या पत्राचार के माध्यम से 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा पास नहीं कर सके, उन्होंने आगे की पढ़ाई जारी रखी या नहीं, इस बात की कोई जानकारी नहीं है. जब एन.ई.पी. सभी के लिए शिक्षा का 100% नामांकन और ट्रैकिंग उल्लेख करता है, यह दिल्ली की खराब शिक्षा प्रणाली को दर्शाता है कि ये छात्र व्यवस्था से छूट रहे हैं. यह आगे इन छात्रों के जीविका को भी प्रभावित करेगा क्योंकि उनकी समग्र शिक्षा पूरी नहीं हुई है.

शिक्षा के 6 फीसद मुद्दे उठाए गएः फाउंडेशन की ओर से कहा गया है कि 2021 में दिल्ली के विधायकों द्वारा कुल उठाए गए 783 मुद्दों में से केवल 6% शिक्षा पर थे. इसके अलावा, दिल्ली के विधायकों द्वारा प्रधानाचार्यों और शिक्षकों की रिक्ति पर केवल 7 मुद्दे उठाए गए, जब शिक्षण कर्मचारियों में 20% रिक्ति है. आगे कहा गया कि एन.ई.पी. लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए दोनों सरकारों के लिए सभी क्षेत्रों, जिलों और मुख्यालयों में शिक्षा के आंकड़ों को प्रभावी ढंग से बनाए रखना आवश्यक है. जो छात्र पढ़ाई छोड़ (ड्रॉप आउट) चुके हैं, उनका पता लगाकर उनकी शिक्षा पूरी करने के लिए प्रभावी उपाय सुनिश्चित किए जाने चाहिए.

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इसके अलावा सरकारी अभिकरणों को नीति में निर्धारित पर्याप्त बुनियादी अवसंरचना और सुविधाएं सुनिश्चित उपलब्ध कराने चाहिए. बजटीय आवंटनों के कुशल उपयोग से इन कमियों को प्रभावी ढंग से दूर किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त, एम.सी.डी और राज्य सरकार को योजनाओं में एकरूपता सुनिश्चित करने और दिल्ली स्कूली छात्रों के लिए प्री-प्राइमरी से उच्च माध्यमिक तक गुणवत्ताशील शिक्षा प्रदान करने के लिए सहयोग और सहभागिता करने की आवश्यकता है.

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