नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में आपराधिक गतिविधियां लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार करती है, और उन पर केस कर उन्हें जेल भेजती है. बीते कुछ वर्षों से सबसे पहली बार अपराध करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है. ऐसे आरोपियों की संख्या बढ़ने से जेलों की क्षमता पर असर पड़ रहा है.
पहली बार अपराध करने वाले कैदियों को तिहाड़ की जेल संख्या चार में रखा जाता है. इस जेल में 740 कैदियों को रखने की क्षमता है जबकि अभी करीब 3751 कैदी यहां रखे गए हैं. यह संख्या जेल की क्षमता से करीब पांच गुना है. तिहाड़ जेल में फिलहाल ऐसे अपराधियों की संख्या जेल की क्षमता से करीब पांच गुना ज्यादा है. दरअसल, कानून के जानकारों का मानना है कि पहली बार अपराध करने वाले कैदियों के सुधरने की संभावना आदतन अपराधियों की तुलना में काफी अधिक होती है. इस कारण पहली बार अपराध करने वाले कैदियों को जेल संख्या चार रखा जाता है ताकि वे आदतन अपराधियों के संपर्क में न आएं.
''अशिक्षा और शिक्षा में गुणवत्ता की कमी के कारण समाज में अपराध करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. बहुत से लोग अशिक्षित रह जाते हैं और जिन लोगों को शिक्षा मिलती भी है उनमें भी गुणवत्ता की कमी के कारण लोग समाज के मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाते हैं. ऐसे में ये लोग अपराध के दलदल में पहुंच जाते हैं. अशिक्षित और लापरवाह अभिभावक भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं. युवाओं को कानून की जानकारी न होने के कारण वह सोचते हैं कि जो चीज उनके पास नहीं है उसे वे अन्य लोगों से छीन लें. हालांकि वे इन अपराध के दुष्परिणामों से अनजान रहते हैं. आजकल हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल है जिससे लोग भद्दे और अश्लील रील बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट करते हैं. इससे लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.''
डॉ. रोहिणी सिंह,
साइकोलॉजिस्ट एंड न्यूरो प्लास्टिसिटी (एनएलपी) प्रैक्टिशनर
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जनसंख्या बढ़ने से बढ़ी संख्या: सकेत कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सेक्रेटरी एडवोकेट धीर सिंह कसाना कहते हैं कि जब तिहाड़ जेल बना थी तब दिल्ली की जनसंख्या करीब 40 लाख थी और आज दिल्ली की जनसंख्या 2 करोड़ से भी ज्यादा है. इस कारण दिल्ली की जेलों पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है. अपराधियों की संख्या बढ़ाने का कारण एक कारण यह भी है कि स्नैचिंग, पोक्सो, हत्या या हत्या का प्रयास आदि के मामले में गिरफ्तार किए गए अपराधियों को जमानत बहुत मुश्किल से मिलती है. भले ही वह पहली बार गिरफ्तार किए गए हों. आजकल जब से सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल की फुटेज में अपराधी कैद होने लगे हैं तब से उन्हें जमानत मिलना बहुत मुश्किल हो गया है क्योंकि यह इलेक्ट्रॉनिक सुबूत अभियोजन पक्ष को बहुत मजबूती प्रदान करते हैं. ये सुबूत कोर्ट में उनका अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त होते हैं. अदालतें भी गंभीर अपराध में पकड़े गए लोगों के प्रति सख्त रुख अपनाती हैं ताकि वह बार-बार अपराध न कर सकें.
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