नई दिल्ली: नगर निगम के अगले साल होने वाले प्रमुख चुनावों से पहले दिल्ली का सियासी पारा गरमाया हुआ है. इस बीच दिल्ली सरकार के दौरान निगम को फंड जारी करने को लेकर इंकार किए जाने के बाद नॉर्थ एमसीडी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. नॉर्थ एमसीडी के मेयर का कहना है कि दिल्ली सरकार राजनीतिक द्वेष भावना के कारण निगम का फंड जबरन रोक रही है जिसके चलते अब अपने न्याय के लिए को कोर्ट का रुख किया है. जहां सभी दस्तावेजों के साथ वकील ना सिर्फ निगम पक्ष रखेंगे बल्कि दिल्ली सरकार से निगम के हक का 328 करोड रुपए का फंड पहले की तरह लेकर लाया जाएगा.
दिल्ली नगर निगम के चुनाव भले ही अगले साल होने हों, लेकिन इस बीच चुनावों को लेकर सियासत अभी से शुरू हो गई है. बता दें कि नॉर्थ एमसीडी पिछले काफी लंबे समय से आर्थिक बदहाली से गुजर रही है. जिसके पीछे प्रमुख वजह निगम में शासित में बीजेपी की सरकार के द्वारा आम आदमी पार्टी के दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. निगम में बीजेपी की सरकार का कहना है कि दिल्ली सरकार जबरन राजनीतिक द्वेष भावना के कारण निगम के हक का फंड रोक रही है.
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वहीं दिल्ली सरकार का कहना है कि उसने निगम को उसका पूरा बकाया फंड जारी कर दिया है. इस बीच बीते दिनों निगम ने अपनी खराब हो चुकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल से मदद की गुहार लगाई थी. जिसके बाद उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को नॉर्थ एमसीडी को तुरंत प्रभाव से 328 करोड की राशि जारी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन दिल्ली सरकार ने नॉर्थ एमसीडी को किसी प्रकार का फंड जारी करने से सीधे तौर पर मना कर दिया. जिसके बाद अब नॉर्थ एमसीडी ने दिल्ली सरकार के द्वारा निगम के हक के फंड को रोके जाने को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कोर्ट में निगम के वकीलों के द्वारा नॉर्थ एमसीडी का ना सिर्फ पक्ष रखा गया बल्कि दिल्ली सरकार के ऊपर जबरन राजनीतिक द्वेष भावना के कारण फंड रोकने को लेकर कई गंभीर आरोप भी लगाए गए.
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नॉर्थ एमसीडी के मेयर राजा इकबाल सिंह का कहना है कि दिल्ली सरकार के द्वारा नगर निगम के हक का फंड जबरन रोका जा रहा है. पहले भी फंड को इसी तरह रोका गया. तब निगम ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और वहां से निगम का न सिर्फ न्याय मिला था बल्कि दिल्ली सरकार को डांट खाकर निगम का फंड भी जारी करना पड़ा था. इस बार भी निगम ने दिल्ली सरकार के भेदभाव पूर्ण रवैया को देखते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उम्मीद है कि निगम को न्याय मिलेगा ओर उसके हक का फंड भी मिलेगा. जबकि दिल्ली सरकार को एक बार फिर कोर्ट में अपने रवैए को लेकर डांट खानी पड़ेगी.