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वित्तिय संकट में North MCD, दिल्लीवासियों पर पड़ रहा अतिरिक्त भार

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Published : Jul 24, 2021, 10:18 AM IST

North MCD वित्तिय संकट से गुजर रहा है. MCD फिलिकल डेफिसेट को कम करने में लगी है और इसे कम करने के लिए अलग-अलग करों की दरें बढ़ाई जा रही हैं जिससे दिल्लीवासियों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है.

North MCD
वित्तिय संकट

नई दिल्ली: दिल्ली की सबसे बड़ी सिविक एजेंसियों में से एक नॉर्थ एमसीडी (North Delhi Municipal Corporation) इन दिनों आर्थिक बदहाली की जमकर मार झेल रही है. लेकिन इस आर्थिक बदहाली की मार के पीछे निगम की अपनी भी काफी सारी गलतियां हैं. दरअसल पहली नजर में देखें तो नॉर्थ एमसीडी की आमदनी नहीं प्रबंधन में ही गड़बड़ नजर आती है. प्रमुख रूप से नॉर्थ एमसीडी दिल्ली की बहुत बड़ी आबादी को बड़े स्तर पर स्वच्छता, सफाई और कई अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराती है.

नॉर्थ एमसीडी की आय का प्रमुख साधन संपत्ति कर है, जिससे निगम को सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है. इसके बाद निगम को पार्किंग, विज्ञापन और टोल टैक्स के माध्यम से भी राजस्व की प्राप्ति होती है. जबकि बाजारों के आने वाले कमर्शियल टैक्स, लाइसेंस फीस और अन्य साधन भी निगम के राजस्व का स्रोत है.

वित्तिय संकट में नॉर्थ एमसीडी.

ये भी पढ़ें: न चुनाव लड़ेंगे, न राजनीतिक दल बनाएंगे मगर कानून वापस होते देखोगे- राकेश टिकैत

नॉर्थ एमसीडी की वर्तमान समय में आर्थिक बदहाली का मुख्य कारण निगम का जरूरत से ज्यादा दिल्ली सरकार के ऊपर निर्भर होना है. दरअसल निगम अपने खर्चों के मुताबिक अपनी आमदनी को अभी तक बढ़ा नहीं पाई है. जिसकी वजह से उसे लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान समय में निगम का सालाना खर्च तकरीबन 6 हजार करोड़ के आसपास है. जबकि उसकी आमदनी 2 हजार 500 सौ करोड़ से भी कम है. ऐसे में हर साल निगम को 3 हजार 500 सौ करोड़ की अतिरिक्त आवश्यकता होती है. जिसमें से निगम को एक बड़ा हिस्सा दिल्ली सरकार के द्वारा मिलता है. लेकिन दिल्ली सरकार के द्वारा लगातार फंड के लिए निगम को न सिर्फ परेशान किया जाता है बल्कि फंड जबरन रोका भी जाता है.

ये भी पढ़ें: ABVP कर रहा छात्रों की मदद, 20 पाठ्यक्रमों में चला रहा क्रैश कोर्स

आपको बता दें कि, वित्तिय संकट से जूझ रही नॉर्थ एमसीडी की वार्षीक आय 2 हजार 470 करोड़ 58 लाख रुपए है. जबकि खर्चा 6 हजार करोड़ का है. इसमें लगभग 3 हजार 763 करोड़ रुपए कर्मचारियों का सालाना वेतन ही है. बता दें कि हर साल निगम का वित्तिय घाटा बढ़ता ही जा रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो अगले साल होने वाले निगम की नई सरकार पर लगभग 5 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा. इस आर्थिक बदहाली और बढ़ते फिजिकल डेफिसेट के कारण ही निगम अलग-अलग करों की दरें बढ़ा रहा है. जिसका सीधा असर दिल्ली में रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है.

North MCD के आय के स्रोत

Sources of Income of North MCT
नॉर्थ एमसीडी के आय के स्रोत.
  • बाहरी आय 873.55 करोड़ रुपए
  • टैक्स से होने वाली राजस्व की प्राप्ति 1762.92 करोड़ रुपए
  • किराया व जुर्माना 32.50 करोड़ रुपए
  • अन्य स्रोतों से प्राप्त होने वाले राजस्व 852.01 करोड़ रुपए

North MCD के खर्चे

North MCT Expenses
नॉर्थ एमसीडी के खर्च.
  • सामान्य प्रशासन पर 876.49 करोड़ का खर्च
  • सामुदायिक सेवाओं पर 18.05 करोड़ का खर्च
  • पशु चिकित्सा पर 18.96 करोड़ का खर्च
  • शिक्षा पर 801.75 करोड़ का खर्च
  • स्वास्थ्य पर 622.66 करोड़ का खर्च
  • स्वच्छता पर 1250.66 करोड़ का खर्च
  • विकास कार्य पर 84.87 करोड़ का खर्च
  • लाइसेंस पर 2.32 करोड़ का खर्च
  • उद्यान पर 141.72 करोड़ का खर्च
  • अभियांत्रिकी विभाग पर 522.48 करोड़ का खर्च
  • भू एवं संपदा पर 4.04 करोड़ का खर्च

ये भी पढ़ें: ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले 6 जवानों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये की सम्मान राशि देगी दिल्ली सरकार

कोरोना काल में जहां हर किसी को आर्थिक बदहाली का सामना करना पड़ा है. वहीं निगम के ऊपर दो तरफा मार पड़ती नजर आई है. एक तो दिल्ली सरकार द्वारा जबरन निगम का फंड रोका गया. तो दूसरी तरफ कोविड की दूसरी लहर के चलते लगे लॉकडाउन के कारण निगम की आमदनी पूरी तरीके से 2 से 3 महीनों तक बंद हो गई.

बता दें कि, नॉर्थ एमसीडी पर वर्तमान समय में लगभग 4 हजार करोड़ की देनदारी है. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा तकरीबन 12 सौ करोड़ से ज्यादा निगम कर्मचारियों का एरियर और बकाया वेतन के रूप में है. जबकि दूसरा बड़ा हिस्सा ठेकेदारों की बकाया राशि का भी है जो साल 2015 से पेंडिंग. वहीं निगम द्वारा भी अपने अंतर्गत आने वाली दो दर्जन से ज्यादा मार्केट से लीज रेंट और लाइसेंस की फीस लेने को लेकर किसी प्रकार की तेजी नहीं दिखाई गई है. जो निगम की बदहाली का एक बड़ा कारण है.

ये भी पढ़ें: जानें कैसे दिल्ली में ग्रीन कॉरीडोर ने कांस्टेबल को दी नई जिदंगी

देखा जाए तो वर्तमान समय में जिस आर्थिक बदहाली से नॉर्थ एमसीडी गुजर रही है उसके लिए कहीं ना कहीं निगम खुद भी जिम्मेदार है. क्योंकि एक तरफ निगम अपने लगातार बढ़ते खर्चों के मद्देनजर अपने राजस्व को नहीं बढ़ा पाई है.वहीं दिल्ली सरकार के द्वारा जारी किए जाने वाले फंड के ऊपर निगम आज भी काफी हद तक निर्भर करती है. निगम की बीजेपी सरकार और दिल्ली की आप सरकार के बीच लगातार खींचतान दिल्ली के सियासी गलियारों में देखने को मिलती हैं. इसके चलते निगम को उसके हक का फंड मिलने में न सिर्फ देरी होती है बल्कि पिछले कुछ सालों से निगम को उसके हक का पूरा बकाया फंड भी नहीं मिल सका है.

नॉर्थ एमसीडी के ऊपर आए इस आर्थिक संकट के बादलों का एक और कारण निगम में फैला भ्रष्टाचार भी है. जिसके ऊपर अभी तक बीजेपी सरकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने में सफल नहीं हो सकी है.

नई दिल्ली: दिल्ली की सबसे बड़ी सिविक एजेंसियों में से एक नॉर्थ एमसीडी (North Delhi Municipal Corporation) इन दिनों आर्थिक बदहाली की जमकर मार झेल रही है. लेकिन इस आर्थिक बदहाली की मार के पीछे निगम की अपनी भी काफी सारी गलतियां हैं. दरअसल पहली नजर में देखें तो नॉर्थ एमसीडी की आमदनी नहीं प्रबंधन में ही गड़बड़ नजर आती है. प्रमुख रूप से नॉर्थ एमसीडी दिल्ली की बहुत बड़ी आबादी को बड़े स्तर पर स्वच्छता, सफाई और कई अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराती है.

नॉर्थ एमसीडी की आय का प्रमुख साधन संपत्ति कर है, जिससे निगम को सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है. इसके बाद निगम को पार्किंग, विज्ञापन और टोल टैक्स के माध्यम से भी राजस्व की प्राप्ति होती है. जबकि बाजारों के आने वाले कमर्शियल टैक्स, लाइसेंस फीस और अन्य साधन भी निगम के राजस्व का स्रोत है.

वित्तिय संकट में नॉर्थ एमसीडी.

ये भी पढ़ें: न चुनाव लड़ेंगे, न राजनीतिक दल बनाएंगे मगर कानून वापस होते देखोगे- राकेश टिकैत

नॉर्थ एमसीडी की वर्तमान समय में आर्थिक बदहाली का मुख्य कारण निगम का जरूरत से ज्यादा दिल्ली सरकार के ऊपर निर्भर होना है. दरअसल निगम अपने खर्चों के मुताबिक अपनी आमदनी को अभी तक बढ़ा नहीं पाई है. जिसकी वजह से उसे लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान समय में निगम का सालाना खर्च तकरीबन 6 हजार करोड़ के आसपास है. जबकि उसकी आमदनी 2 हजार 500 सौ करोड़ से भी कम है. ऐसे में हर साल निगम को 3 हजार 500 सौ करोड़ की अतिरिक्त आवश्यकता होती है. जिसमें से निगम को एक बड़ा हिस्सा दिल्ली सरकार के द्वारा मिलता है. लेकिन दिल्ली सरकार के द्वारा लगातार फंड के लिए निगम को न सिर्फ परेशान किया जाता है बल्कि फंड जबरन रोका भी जाता है.

ये भी पढ़ें: ABVP कर रहा छात्रों की मदद, 20 पाठ्यक्रमों में चला रहा क्रैश कोर्स

आपको बता दें कि, वित्तिय संकट से जूझ रही नॉर्थ एमसीडी की वार्षीक आय 2 हजार 470 करोड़ 58 लाख रुपए है. जबकि खर्चा 6 हजार करोड़ का है. इसमें लगभग 3 हजार 763 करोड़ रुपए कर्मचारियों का सालाना वेतन ही है. बता दें कि हर साल निगम का वित्तिय घाटा बढ़ता ही जा रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो अगले साल होने वाले निगम की नई सरकार पर लगभग 5 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा. इस आर्थिक बदहाली और बढ़ते फिजिकल डेफिसेट के कारण ही निगम अलग-अलग करों की दरें बढ़ा रहा है. जिसका सीधा असर दिल्ली में रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है.

North MCD के आय के स्रोत

Sources of Income of North MCT
नॉर्थ एमसीडी के आय के स्रोत.
  • बाहरी आय 873.55 करोड़ रुपए
  • टैक्स से होने वाली राजस्व की प्राप्ति 1762.92 करोड़ रुपए
  • किराया व जुर्माना 32.50 करोड़ रुपए
  • अन्य स्रोतों से प्राप्त होने वाले राजस्व 852.01 करोड़ रुपए

North MCD के खर्चे

North MCT Expenses
नॉर्थ एमसीडी के खर्च.
  • सामान्य प्रशासन पर 876.49 करोड़ का खर्च
  • सामुदायिक सेवाओं पर 18.05 करोड़ का खर्च
  • पशु चिकित्सा पर 18.96 करोड़ का खर्च
  • शिक्षा पर 801.75 करोड़ का खर्च
  • स्वास्थ्य पर 622.66 करोड़ का खर्च
  • स्वच्छता पर 1250.66 करोड़ का खर्च
  • विकास कार्य पर 84.87 करोड़ का खर्च
  • लाइसेंस पर 2.32 करोड़ का खर्च
  • उद्यान पर 141.72 करोड़ का खर्च
  • अभियांत्रिकी विभाग पर 522.48 करोड़ का खर्च
  • भू एवं संपदा पर 4.04 करोड़ का खर्च

ये भी पढ़ें: ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले 6 जवानों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये की सम्मान राशि देगी दिल्ली सरकार

कोरोना काल में जहां हर किसी को आर्थिक बदहाली का सामना करना पड़ा है. वहीं निगम के ऊपर दो तरफा मार पड़ती नजर आई है. एक तो दिल्ली सरकार द्वारा जबरन निगम का फंड रोका गया. तो दूसरी तरफ कोविड की दूसरी लहर के चलते लगे लॉकडाउन के कारण निगम की आमदनी पूरी तरीके से 2 से 3 महीनों तक बंद हो गई.

बता दें कि, नॉर्थ एमसीडी पर वर्तमान समय में लगभग 4 हजार करोड़ की देनदारी है. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा तकरीबन 12 सौ करोड़ से ज्यादा निगम कर्मचारियों का एरियर और बकाया वेतन के रूप में है. जबकि दूसरा बड़ा हिस्सा ठेकेदारों की बकाया राशि का भी है जो साल 2015 से पेंडिंग. वहीं निगम द्वारा भी अपने अंतर्गत आने वाली दो दर्जन से ज्यादा मार्केट से लीज रेंट और लाइसेंस की फीस लेने को लेकर किसी प्रकार की तेजी नहीं दिखाई गई है. जो निगम की बदहाली का एक बड़ा कारण है.

ये भी पढ़ें: जानें कैसे दिल्ली में ग्रीन कॉरीडोर ने कांस्टेबल को दी नई जिदंगी

देखा जाए तो वर्तमान समय में जिस आर्थिक बदहाली से नॉर्थ एमसीडी गुजर रही है उसके लिए कहीं ना कहीं निगम खुद भी जिम्मेदार है. क्योंकि एक तरफ निगम अपने लगातार बढ़ते खर्चों के मद्देनजर अपने राजस्व को नहीं बढ़ा पाई है.वहीं दिल्ली सरकार के द्वारा जारी किए जाने वाले फंड के ऊपर निगम आज भी काफी हद तक निर्भर करती है. निगम की बीजेपी सरकार और दिल्ली की आप सरकार के बीच लगातार खींचतान दिल्ली के सियासी गलियारों में देखने को मिलती हैं. इसके चलते निगम को उसके हक का फंड मिलने में न सिर्फ देरी होती है बल्कि पिछले कुछ सालों से निगम को उसके हक का पूरा बकाया फंड भी नहीं मिल सका है.

नॉर्थ एमसीडी के ऊपर आए इस आर्थिक संकट के बादलों का एक और कारण निगम में फैला भ्रष्टाचार भी है. जिसके ऊपर अभी तक बीजेपी सरकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने में सफल नहीं हो सकी है.

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